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Updated: 12 अप्रिल, 2017 04:22 PM
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कसाब एक बार फिर चर्चा में है. ये चर्चा इस बार सरहद के उस पार है. हाल के यूपी चुनाव में नेताओं ने अपने अपने तरीके से कसाब को नये सिरे से परिभाषित किया था. अब पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव केस के सिलसिले में अजमल कसाब का नाम लिया है. मीर ने कसाब की मिसाल देते हुए जाधव के मामले में भारत को समझदारी दिखाने की सलाह दी है. क्या जाधव के मामले और कसाब के केस की आपस में तुलना कभी हो सकती है?

कसाब से तुलना कैसे

कुलभूषण जाधव को लेकर पाकिस्तान की सियासत और मीडिया में तेज बहस छिड़ी हुई है. पाक नेताओं के अपने रणनीतिक स्टैंड हो सकते हैं - और मीडिया कर्मियों की अपने मुल्क से बेपनाह मोहब्बत भी. न तो इस पर किसी को ऐतराज होगा और न होना चाहिये. पाकिस्तान का राष्ट्रवादी मीडिया हुकुमत के स्टैंड को सही ठहरा रहा है. ये बात अलग है कि हुकुमत का मतलब नवाज शरीफ सरकार से है या पाकिस्तानी फौज या फिर आईएसआई से?

जियो न्यूज के सीनियर पत्रकार हामिद मीर का कहना है कि भारत को जाधव केस में वैसे ही पेश आना चाहिये जो रवैया पाकिस्तान का कसाब के मामले में रहा था.

ajmal-kasab-650_041217023531.jpgकसाब को इंसाफ का पूरा मौका मिला

हामिद मीर कहते हैं, "सब लोग भारत की ओर से हुई प्रतिक्रिया के बारे में बात क्यों कर रहे हैं? मेरा विश्वास है कि भारत समझदारी से काम लेगा और इस खबर पर बिल्कुल रिएक्ट नहीं करेगा. अगर लोगों को याद हो जब अजमल कसाब को सजा दी गई थी तो पाकिस्तान पूरी तरह खामोश रहा. हमारा रुख बिल्कुल साफ था कि अगर कसाब के खिलाफ सबूत हैं तो उसे भारतीय कानून के मुताबिक सजा मिलनी चाहिए."

हामिद मीर यही थ्योरी कुलभूषण यादव के मामले में भी दे रहे हैं. मीर कानूनी प्रक्रिया की बात तो कर रहे हैं, लेकिन क्या उन्हें मालूम है कि जो कानूनी सुविधाएं कसाब को हासिल हुईं, क्या जाधव को उसका सौंवा हिस्सा भी मिल पाया है?

पूर्व गृह सचिव और बीजेपी सांसद आरके सिंह ने यही मुद्दा उठाया है, "हमने 13 बार उनसे काउंसलर एक्सेस की मांग की थी, लेकिन हमें जाधव से संपर्क की इजाजत नहीं मिली."

दूसरी तरफ जिस का कसाब का रियल्टी शो पूरी दुनिया ने देखा उसे भारत की न्यायिक प्रक्रिया में अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया गया. कसाब के साथ जो कुछ हुआ उससे जुड़ी हर बात की रिपोर्ट सभी के सामने आई, लेकिन जाधव के मामले के क्या हो रहा है - क्या हामिद मीर को वो बातें समझ में नहीं आ रहीं या समझना नहीं चाहते?

कसाब के ट्रायल को लेकर 26/11 हमले में सरकारी वकील रहे उज्ज्वल निकम बताते हैं, "हमारे पास कसाब के खिलाफ सारे सबूत थे. फिर भी उसका ओपन ट्रायल हुआ. हमारे संविधान में आरोपी के भी हक हैं - लिहाजा, हमने कसाब को भी एक नहीं बल्कि दो-दो वकील दिए थे.”

"इतना ही नहीं," निकम आगे बताते हैं, "कसाब ने पाकिस्तानी वकील मांगा था. इसकी इजाजत भी उसे मिली थी. भारत ने इसको लेकर पाक हाई कमिश्नर को पत्र भी लिखा था. लेकिन, पाकिस्तान ने कसाब को वकील देने से इनकार कर दिया था.”

kulbhushan-jadhav-65_041217023905.jpgसबूत जरूरी है...

क्या हामिद मीर को ये बातें अब तक नहीं मालूम या फिर जान बूझ कर वैसी ही बातें कर रहे हैं जैसा पाक फौज सुनना चाहती है?

जाधव पर पाकिस्तान की सियासत में भी टिप्पणी हुई है. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के प्रमुख बिलावल भुट्टो ने कुलभूषण जाधव को मौत की सजा दिये जाने पर अपना विरोध जताया है. हालांकि, बिलावल मानते हैं कि जाधव मुद्दा विवादास्पद है लेकिन उनकी पार्टी सैद्धांतिक तौर पर सजा-ए-मौत के खिलाफ है. बिलावल ने इस सिलसिले में अपने नाना जुल्फिकार अली भुट्टो की फांसी का जिक्र भी किया है.

...सबूत तो दे पाक

और भी लोग ऐसे हो सकते हैं जिन्हें पूर्व गृह सचिव आरके सिंह की तरह जाधव केस में पाकिस्तान की ओर से गढ़ी कहानी पर शक है. अमेरिकी विशेषज्ञों को भी पाकिस्तान की थ्योरी पर यकीन नहीं हो रहा.

आशंका जताते हुए सिंह ने कहा है, "ये संभावना है कि जाधव अब इस दुनिया में न हों और पाकिस्तान अब इस मामले में बचने के लिए कहानियां तैयार कर रहा है."

वैसे जाधव के मामले में मीर ने पाकिस्तान को सबूत खोजने और उसे भारत के साथ शेयर करने की सलाह दी है. पाकिस्तान ने जाधव के भारतीय जासूस होने का दावा किया है. पाकिस्तान के इस दावे पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह का सवाल है कि अगर जाधव जासूस हैं तो उनके पास भारतीय पासपोर्ट कैसे हो सकता है. असल में, पहले पाकिस्तान की ओर से जाधव के पास भारतीय पासपोर्ट होने का दावा किया गया था.

सबूत सिर्फ इसी बात का नहीं. भारत को पूर्व गृह सचिव आरके सिंह की बात पर गौर करना चाहिये. सबसे पहले तो जाधव के जिंदा होने का सबूत हासिल करना चाहिये.

nawaj-modi-_041217023714.jpgवो मुलाकात...

मीडिया में ऐसी तमाम रिपोर्ट हैं जिनमें पाकिस्तान रिटायर्ड फौजी के गायब होने और जाधव के केस में कोई न कोई लिंक होने की बात कही जा रही है. जो फौजी लापता है उसके बारे में ये भी कहा जा रहा है कि वो खुद भी जाधव को ट्रैप किये जाने वाली टीम का हिस्सा रहा.

सबसे पहले भारत को दबाव बनाना चाहिये भले ही इसके लिए दबाव बनाने खातिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कूटनीति तेज करनी पड़े. भारत की और से सबसे ज्यादा कोशिश इसी बात की होनी चाहिये कि किसी भी सूरत में जाधव से भारतीय अधिकारी मुलाकात कर सकें - ये सुनिश्चित हो ताकि पूर्व गृह सचिव का शक सही नहीं है और जाधव सुरक्षित हैं. वैसे भी सरबजीत सिंह का केस हमें नहीं भूलना चाहिये. तमाम कोशिशों के बावजूद सरबजीत को जिंदा वापस नहीं लाया जा सका. पाकिस्तान सरबजीत के मंजीत होने का दावा करता रहा और आखिरकार उसकी लाश ही लौट पायी.

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