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Updated: 08 जून, 2020 09:39 PM
गोपी मनियार
गोपी मनियार
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Gujarat Rajya Sabha election politics: कोरोना के कहर के बीच भी जहां दिल्ली में राजनीतिक बवाल देखने को मिल रहा है, वहीं गुजरात में भी जमकर राजनीति हो रही है. एक ओर जहां गुजरात में अब तक कोरोना के 20 हजार से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं और 1200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं अब राजनीति का खेल भी शुरू हो गया है. कोरोना की खबरों के बीच अचानक एक खबर आई कि गुजरात कांग्रेस के करजण के विधायक अक्षय पटेल गायब है और उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है. इस खबर की पुष्टि भी नहीं हुई थी कि दूसरी खबर ने तो मानो कांग्रेस के पैरों तले जमीन खिसका दी. दरअसल, जीतु चौधरी दक्षिण गुजरात से विधायक और अक्षय पटेल दोनों ने अपना इस्तीफा बतौर विधायक विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिया हैं.

सवाल कांग्रेस से ही था कि क्यूं कांग्रेस अपने विधायकों को संभाल नहीं पा रही है. लेकिन कांग्रेस की रणनीति बने उसे पहले ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ब्रिजेश मेरजा, जो कि जिस दिन अक्षय पटेल और जीतु चौधरी ने अपना इस्तीफा दिया था, उसी दिन कांग्रेस दफ्तर में कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवार शक्तिसिंह गोहिल के माताजी की अचानक हुई मृत्यु को लेकर शोक संदेश दे रहे थे. रात को कांग्रेस अपने विधायकों को बचाने की रणनीति बनाने में लगी रही और दूसरे दिन सुबह ही ब्रिजेश मेरजा ने मोरबी विधायक पद से इस्तीफा दे दिया, जो कि कांग्रेस के लिए सदमे से कम नहीं था.

ब्रिजेश मेरजा के इस्तीफे के बाद अब माना जा रहा है कि कांग्रेस से एक या दो और विधायक अपना इस्तीफा दे सकते हैं. मार्च से लेकर आज यानी 8 जून तक 8 विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है. मार्च में लॉकडाउन से पहले 5 विधायकों ने अपना इस्तीफा दिया था, जिसके बाद अपने विधायकों के बचाने के लिए कांग्रेस सभी विधायकों के जयपूर ले कर चली गई. हालांकि लॉकडाउन हुआ तो कांग्रेस के सभी विधायकों को वापस अपने-अपने शहर भेज दिया गया. बीते दिनों गुजरात में चक्रवाती तूफान निसर्ग के बीच में जहां एक ओर चुनाव आयोग ने 19 जून को राज्यसभा की सभी सीट के लिए चुनाव की धोषणा की, तो वहीं निसर्ग चक्रवात के तुरंत बाद ही सुबह-सुबह कांग्रेस के 3 और विधायकों ने इस्तीफा दे दिया. 24 घंटे में 3 इस्तीफे और कुल मिलाकर 3 महीने में 8 इस्तीफे. कांग्रेस की बात की जाए तो 2017 के चुनाव में कांग्रेस साल 2002 के बाद सबसे मजबूत स्थिति में थी, यानी 77 सीट के साथ चुनाव जीती थी. लेकिन 3 साल के अंदर अंदर ही अब कांग्रेस के पास महज 65 सीटें ही रह गई हैं.

Gujarat Congress MLA resignsमौजूदा संकट को देखते हुए पिछले हफ्ते अहमदाबाद स्थित कांग्रेस दफ्तर में विधायकों की बैठक बुलाई गई थी.

आखिर इस बार ऐसा क्या हुआ कि 73 सीटों वाली कांग्रेस 65 पर आ गई. सूत्रों की माने तो गुजरात कांग्रेस में दो नाम बहुत महत्वपुर्ण है, एक भरतसिंह सोलंकी और दूसरा अर्जुन मोढवाडिया. इन दोनों नेता का नाम राज्यसभा के लिए लंबे वक्त से चल रहा था. लेकिन टिकट मिल शक्ति सिंह गोहिल को, जिनपर पार्टी आला कमान ने भरोसा जताया. कांग्रेस चाहती है कि राज्यसभा में शक्ति सिंह गोहिल आएं, क्योंकि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को देश में रोकना है तो गुजरात से उन्हें जानने वाले नेता ही राज्यसभा में ठीक काम कर पाएंगे. इसमें शक्ति सिंह का इतिहास रहा है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने 2 बार नेता विपक्ष के तौर पर काम कर चुके हैं. दोनों ही बार मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को कई मामले में शक्ति सिंह के जरिये रोका गया था.

गुजरात कांग्रेस के नेताओं की अंदरूनी राजनीति भी कई हद तक इन इस्तीफों के लिए जिम्मेदार मानी जा रही है. माना जा रहा है कि पहले भरतसिंह की जगह पर राजीव शुक्ला को यहां से राज्यसभा चुनाव लड़ना था, लेकिन भरत सिंह तुरंत ही दिल्ली दरबार पहुंचे और राजीव शुक्ला का पत्ता कटाकर अपने नाम पर मुहर लगवा कर गुजरात लौटे. दिलचस्प मोड़ ये भी रहा कि अर्जुन मोढवाडिया को भी इस बार राज्यसभा का टिकट नहीं मिला, जिससे गुटबाजी शुरू हो गई. भरतसिंह गुट के नेता और अर्जुन मोढवाडिया गुट के नेता दोनों ही शक्ति सिंह को पंसद नहीं कर रहे हैं. लेकिन आला कमान के सामने दोनों की शक्तिसिंह गोहिल के नाम को हटाने में नहीं चली. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के नेता आरोप लगा रहे हैं कि बीजेपी विधायकों को खरीद रही है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावडा का तो यहां तक कहना है कि साल 2017 में जब अहमद पटेल के समय कांग्रेस से इस्तीफा देने वालों को बीजेपी ने तत्काल अपनी पार्टी में शामिल कर लिया तो लोगों का भरोसा बीजेपी से हट गया. वैसे इस बार 8 विधायकों ने अपना इस्तीफा जरूर दिया, लेकिन उन्हें बीजेपी ने कांग्रेस में शामिल करवाने की गलती नही की है.

कांग्रेस को आखिरकार अपने विधायकों को बचाना था, तो कांग्रेस ने कोरोना महामारी के बीच अपने विधायकों को तीन अलग-अलग जोन में बांट दिया. मध्य और दक्षिण गुजरात के विधायक आणंद स्थित फार्म हाउस पर रुके हुए हैं, तो उत्तर गुजरात के सभी 21 विधायक बनासकांठा जिले स्थित रिसॉर्ट में रुके हुए है. और सौराष्ट्र प्रांत के सभी विधायक राजकोट जिले स्थित रिसॉर्ट में रुके हुए हैं. आखिरकार महामारी जैसे वक्त में भी कांग्रेस को अपने विधायकों को बचाने के लिए रिसॉर्ट का सहारा लेना ही पड़ा.

मसला यही 8 विधायकों के इस्तीफे तक नहीं रुकता है. मसला आगे भी हो सकता हैं. भले ही पार्टी ने अपने राज्यसभा में गुजरात से प्रथम उम्मीदवार के तौर पर शक्तिसिंह गोहिल को चुना है, लेकिन उनका दूसरा उम्मीदवार भरतसिंह सोलंकी अब भी रेस में बने हुए हैं. साफ है कि कांग्रेस को जीत के लिए हर एक उम्मीदवार के लिए 35 विधायक के वोट चाहिए, कांग्रेस के पास अब 65 विधायक हैं, अब भी 5 विधायकों की कमी है. निर्दलीय जिग्नेश मेवानी पहले से ही कांग्रेस के पक्ष में है, तो वही एनसीपी और बीटीपी यानी छोटु वसावा और उनके बेटे महेश वसावा, ये दोनों के वोट मिलाकर भी कांग्रेस को एक वोट की कमी हो रही है. लेकिन बीजेपी में भी खेल हो सकता हैं. बीजेपी के पास 103 विधायक है, उन्हें अपनी तीन राज्यसभा सीटों पर जीत के लिए 105 वोट चाहिए. लेकिन बीजेपी के 3 विधायक कोरोना ग्रस्त हैं और वो अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं. यानी बीजेपी को भी 5 वोट की कमी हो रही है.

गुजरात में राज्यसभा चुनाव का ये खेल बेहद दिलचस्प है, क्योंकि राजनीति किसी भी करवट ले सकती है. यहां कांग्रेस द्वारा प्राथमिकता दिए जाने के बावजूद भरतसिंह चुनाव जीत सकते हैं और शक्तिभाई हार सकते हैं, तो वहीं बीजेपी के तीन विधायक कोरोना ग्रस्त होने की वजह से वोट नहीं देते हैं और कुछ विधायक वोट देने नहीं पहुंचते हैं, तब कांग्रेस दोनों ही राज्यसभा सीट जीत भी सकती है.

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लेखक

गोपी मनियार गोपी मनियार @gopi.maniar.5

लेखिका गुजरात में 'आज तक' की प्रमुख संवाददाता है.

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