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Updated: 27 अप्रिल, 2017 01:46 PM
गोपी मनियार
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दिल्ली एमसीडी के चुनाव में बीजेपी को मिली भारी जीत ने जहां गुजरात बीजेपी का जोश बढा दिया है, वहीं गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले और एमसीडी में मिली हार के बाद, आज गुजरात कांग्रेस के प्रभारी गुरदास कामत को हटाकर उनकी जिम्मेदारी पूर्व मुख्यमंत्री, राजस्थान के अशोक गहलोत को सौंप दी है. इसके बाद गुरुदास कामत ने आज कांग्रेस के सभी पदों से अपना इस्तिफा भी दे दिया.

कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो गुरदास कामत को हटाने के पीछे वजह गुजरात कांग्रेस के नेता शंकरसिंह वाघेला और 35 विधायकों के बीच हुई मीटिंग को माना जा रहा है. इतना ही नहीं, माना यही जाता है कि शंकरसिंह वाघेला और गुरदास कामत काफी करीब थे. 17 अप्रेल को शकंरसिंह वाघेला ने अपने घर पर शाम के वक्त करीबन 35 विधायकों को खाने पर बुलाया था. जहां गुरदास कामत भी मौजूद थे और सभी के जरिये कामत को मैसेज देने कि कोशिश की गयी थी कि शंकरसिंह वाघेला ही हमारे नेता हैं. उन्हें ही सीएम उम्मीदवार के तौर पर घोषित किया जाए. और गुरदास कामत ने उनकी ये बात हाईकमान तक पहुंचाने की बात कही थी. सूत्रों के मुताबिक ये बात जब दिल्ली कांग्रेस हाईकमान के पास पहुंची तब हाईकमान शंकरसिंह वाघेला की इस गुटबाजी से काफी नाराज दिखा. जिसका खामियाजा गुरदास कामत को भुगतना पडा.

gujarat-congress-650_042717014515.jpgगुजरात कांग्रेस में अंतरकलह की धुरी बन गए हैं शंकर सिंह वाघेला

साफ बात है कि कांग्रेस हाईकमान ने कामत को हटाकर अपना मूड साफ कर दिया, लेकिन हाईकमान जितना शंकरसिंह वाघेला की गुटबाजी से नाराज है, उतना ही शकंरसिंह वाघेला खुद का नाम सीएम के उम्मीदवार के तौर पर घोषित ना करने से भी हैं. सुत्रों के मुताबिक 1 मई को ‘गुजरात दिवस’ के मौके पर राहुल गांधी गुजरात के आदिवासी वोटरों को डेडीयापाडा में संबोधित करने वाले हैं. ऐसे में शंकरसिंह वाघेला वहां अपनी गैरमौजूदगी से नाराजगी के भी संकेत दे सकते हैं.  

वहीं कांग्रेस की अंदरुनी गुथ्थबंदी ही है जो अब तक भाजपा के लिये आर्शीवाद बनी हुई है. 20 साल के गुजरात में बीजेपी के शासन के बाद एन्टी इन्कंबेंसी और स्थानीय नेतृत्व की कमी के चलते कांग्रेस को लग रहा है कि इस बार चुनावी राह आसान है. गुजरात देश के प्रधानमंत्री और बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह का होम ग्राउन्ड है. ऐसे गुजरात में जहां बीजेपी ने 150 सीट का मंत्र दिया है, वहीं कांग्रेस की अंदरुनी गुटबाजी इस कदर सामने आ रही है कि अभी गुजरात में जीत भी नहीं मिली लेकिन मुख्यमंत्री पद के दावेदार के सपनो में नेता खो गये हैं. कांग्रेस में ही पार्टी के अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी और विपक्ष के नेता शंकरसिंह वाघेला के बीच मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर नाम को लेकर लड़ाई चल रही है. कांग्रेस की अंदरुनी लडाई ही है जिससे बीजेपी को लगता है कि इस बार 150 सीट की राह आसान होगी.

दरअसल गुजरात कांग्रेस की समस्या ये है कि पार्टी में नेता ज्यादा और कार्यकर्ता कम हैं. और चुनाव कार्यकर्ता के दम पर ही जीते जाते हैं. गुजरात कांग्रेस को समझना होगा कि 2017 का चुनाव गुजरात में कांग्रेस के लिये अपने अस्तित्व को बचाये रखने के लिये आखरी मौका है.

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गोपी मनियार गोपी मनियार @gopi.maniar.5

लेखिका गुजरात में 'आज तक' की प्रमुख संवाददाता है.

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