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Updated: 08 नवम्बर, 2022 02:17 PM
विवेकानंद शांडिल
विवेकानंद शांडिल
  @vivekanand.shandil
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गुजरात में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. भारतीय निर्वाचन आयोग ने चुनावी तारीखों का ऐलान भी कर दिया है. पहले चरण का चुनाव 1 दिसंबर को निर्धारित है, तो दूसरे चरण का 5 दिसंबर को. वहीं, नतीजे 8 दिसंबर को घोषित किये जाएंगे. हालांकि, गुजरात के प्रसंग को उठाने का मेरा यह उद्देश्य नहीं है कि यहां चुनाव होने वाले हैं, बल्कि यहां  मेरा संदर्भ राज्य के ऐतिहासिक विरासतों और पीएम मोदी उन विरासतों को कैसे एक नया आयाम दे रहे हैं, विषय पर आधारित है. वस्तुतः गुजरात ऐतिहासिक दृष्टि से देश के सबसे अग्रणी राज्यों में से एक है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण मथुरा छोड़ने के बाद द्वारिका में बसे थे. यह पवित्र स्थान सौराष्ट्र के पश्चिमी तट पर है. यही कारण है कि इसे 'प्रवेशद्वार' की संज्ञा दी गई. इसके बाद यहां मौर्य, गुप्त और प्रतिहार जैसे कई राजवंशों का शासन रहा.

Narendra Modi, Gujarat, gujarat Assembly Elections, Prime Minister, BJP, Election, Development, Rahul Gandhi पीएम मोदी की नीतियों का ही परिणाम है कि आज पूरी दुनिया भारत की ओर उम्मीद की नजर से देख रही है

मध्यकाल में मुगल शासकों ने वर्चस्व हासिल कर लिया और 19वीं सदी में यह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन हो गया. अपनी ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति के अंतर्गत अंग्रेजों ने गुजरात प्रांत को कई भागों में बांट दिया. गुजरात सांस्कृतिक विविधताओं से परिपूर्ण राज्य है. यहां हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई, पारसी जैसे कई धार्मिक आस्थाओं को मानने वाले लोग रहते हैं.यहां के पतंग उत्सव, भवई लोकनाट्य, गरबा और डांडिया नृत्य जैसे सांस्कृतिक उत्सवों की लोकप्रियता पूरी दुनिया में है.

वहीं, सोमनाथ मंदिर, द्वारिकानाथ का मंदिर, अहमदाबाद, भुज, आदि जैसे स्थान भारत के सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थलों में से हैं. वहीं, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, गणेश वासुदेव मावलंकर, अश्विनी कुमार दत्त जैसे गुजरात अनगिनत महापुरुषों का अवतरण भी गुजरात में ही हुआ, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई धार दी.

एक ओर, महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा को अंग्रेजों के खिलाफ अपना हथियार बनाया, तो सरदार पटेल ने अपनी कूटनीतिक क्षमता से राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ किया. वैसे तो गुजरात राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा हमेशा ही रहा है. लेकिन नरेंद्र मोदी के साल 2001 में मुख्यमंत्री बनने के बाद, राज्य के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, प्रशासनिक और राजनैतिक विकास को एक नई ऊंचाई हासिल हुई.

नतीजन, यह संपूर्ण राष्ट्र के सामने एक मॉडल की तरह उभरा. यह कहना कोई अतिश्योक्ति भी नहीं है कि नरेंद्र मोदी अपने इसी मॉडल के जरिये प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचे  और 8 साल पहले देशवासियों को जो सपना दिखाया था, आज उसे पूरा भी कर रहे हैं. पीएम मोदी के विचारों में महात्मा गांधी और सरदार पटेल के जीवन आदर्शों का एक अद्भुत संयोग दिखाई देता है.

उन्होंने एक ओर, अपने 'स्वच्छता मिशन अभियान', 'आत्मनिर्भर भारत', 'मेक इन इंडिया' जैसे कई प्रयासों से देश के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण को प्रोत्साहित किया. उनके ये प्रयास प्रत्यक्षतः महात्मा गांधी की कार्य शैली को परिलक्षित करते हैं. वहीं, दूसरी ओर, उऩ्होंने नोटबंदी, सर्जिकल स्ट्राइक और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने जैसे कई कड़े फैसलों से सरदार पटेल की तरह राष्ट्रीय एकता और अखंडता को सुनिश्चित किया.

आज आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की बात हो, चाहे पर्यावरण संरक्षण का मुद्दा, यह पीएम मोदी की नीतियों का ही परिणाम है कि आज संपूर्ण विश्व भारत की ओर उम्मीद की नजर से देख रहा है. पीएम मोदी हमेशा ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना के साथ काम करते हैं. उनके कार्यों में राजनीति के बजाय मानव जीवन में बदलाव और विकास की अनूठी प्रतिबद्धता देखने को मिलती है.

अंततः यह कहना गलत नहीं होगा कि पीएम मोदी ने गुजरात की विरासत को न सिर्फ आगे बढ़ाया, बल्कि आज भारत की वैश्विक छवि के नये शिल्पकार के रूप में भी उभरे हैं. एक ऐसे शिल्पकार, जिन्होंने अपनी दृढ़-इच्छाशक्ति और संकल्प से एक ऐसे भारत को गढ़ा है, जो हर चुनौती का सामना कर सकता है और जीत सकता है. 

लेखक

विवेकानंद शांडिल विवेकानंद शांडिल @vivekanand.shandil

लेखक स्वतंत्र पत्रकार और ब्लॉगर हैं और राजनीति में खास रूचि रखते हैं

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