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Updated: 15 दिसम्बर, 2015 04:09 PM
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दिल तक पहुंचने का रास्ता पेट से होकर गुजरता है - लगता है मोदी सरकार भी इस पर यकीन करने लगी है. संसद में सरकार के मंत्रियों की ओर से कांग्रेस नेताओं को दी गई दावत से तो ऐसा ही लगता है.

बिल को लेकर, सरकार इस बीच हर घर दस्तक अभियान भी चला रही है. मगर, नतीजा अब तक सिफर ही रहा है.

हर घर दस्तक

खबर है कि जीएसटी को लेकर सरकार चाय पर चर्चा ही नहीं, हर घर दस्तक मुहिम भी चला रही है. ईटी ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि जीएसटी बिल पर चर्चा के लिए संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू लोक सभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खर्गे से मिलने उनके घर पहुंचे थे. इसी तरह नायडू ने ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी उनके घर जाकर मुलाकात की.

खुद नायडू इस अभियान को आगे भी जारी रखने की बात कह रहे हैं, "मैं बिल पर चर्चा के लिए राहुल गांधी से मिल सकता हूं. उनके घर जाने को न सिर्फ मैं तैयार हूं, बल्कि जरूरत पड़ी तो फाइनेंस मिनिस्टर को भी साथ ले जा सकता हूं."

पधारो म्हारे लंच...

वेंकैया नायडू और अरुण जेटली की ओर से संसद भवन परिसर में दावत भी दी गई थी. इसमें कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लंच का लुत्फ तो पूरा उठाया लेकिन उससे इतर कोई बात आगे नहीं बढ़ने दी. इन नेताओं का कहना था कि बिल पर औपचारिक बात मल्लिकार्जुन खर्गे की गैरमौजूदगी में नहीं हो सकती.

आरोप-प्रत्यारोप

लंच तो मजेदार रहा ही होगा, लेकिन उसके बाद राजनीति फिर वहीं से शुरू हुई जहां लंच से पहले थी.

लंच के बाद जेटली ने एक पोस्ट लिखी, "संसद के मौजूदा सत्र के भी वॉश-आउट होने का डर नजर आ रहा है. इस सेशन के वॉश-आउट होने के कारण हर घंटे बदल रहे हैं."

कांग्रेस ने भी प्रतिक्रिया देने में देर नहीं लगाई. पार्टी की प्रेस ब्रीफिंग में आनंद शर्मा ने बताया कि सरकार ने मिलने की ख्वाहिश जाहिर की थी और उसे उन्होंने कबूल भी किया, लेकिन, "बीजेपी और उसकी सरकार में बहुत से बड़बोले लोग हैं जो हर घंटे विवाद पैदा करते हैं जिससे संसद के कामकाज में रुकावट आती है."

लगे हाथ शर्मा ने ये भी साफ कर दिया कि विपक्ष के साथ सरकार की बातचीत सिर्फ एक बिल को लेकर संभव नहीं है. अगर बात हुई तो केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी के अपमान, पंजाब में बढ़ते अत्याचार, ललित मोदी प्रकरण और व्यापम घोटाला जरूर डिस्कस होगा.

मॉनसून सेशन ललित मोदी प्रकरण और व्यापम की ही भेंट चढ़ गया था. अब जेटली को वही डर खाए जा रहा है. सरकार और विपक्ष दोनों एक दूसरे को अपने अपने तरीके से घेर रहे हैं, लेकिन कोई किसी के हाथ नहीं आ रहा.

इससे पहले अरुण जेटली ने इनविटेशन डिप्लोमेसी को भी आजमाया था. माना गया कि राहुल गांधी को बेटी की शादी का न्योता देते वक्त हुई मुलाकात में जेटली ने जीएसटी पर बात जरूर की होगी. हालांकि, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने इसे महज निजी मुलाकात बताया था.

कांग्रेस को नसीहत देने के लिए जेटली ने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का भी हवाला दिया. जेटली ने अपनी पोस्ट में लिखा, "जो पंडित जी की विरासत पर दावा करते हैं, उन्हें खुद से ये सवाल जरूर पूछना चाहिए कि वे कैसा इतिहास बना रहे हैं?"

एक बात तो तय है जीएसटी को लेकर कांग्रेस जो भी फैसला लेगी वो 19 दिसंबर के बाद ही लेगी. 19 दिसंबर को हेराल्ड केस में सोनिया और राहुल गांधी की पेशी है. 19 के बाद शीतकालीन सत्र के सिर्फ तीन आखिरी दिन बचेंगे. देखना होगा तीन दिन सर्दी पड़ती है, गर्मी रहती है या मॉनसून का माहौल हावी रहता है.

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