New

होम -> सियासत

 |  2-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 21 अप्रिल, 2015 09:47 AM
नदीम असरार
नदीम असरार
  @nadim.asrar
  • Total Shares

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पिछले सप्ताह वापस लौटे. शनिवार को बारिश से प्रभावित किसानों के साथ बैठक की. रविवार को रामलीला मैदान में मेगा रैली को संबोधित किया और सोमवार को उन्होंने विपक्षी बेंच से पहली बार संसद में भाषण दिया. इसे 44 वर्षीय राहुल को उनकी मां सोनिया गांधी के रुप में स्थापित करने की कांग्रेसी कोशिश के रूप में भी देखा गया.

अगर राहुल गांधी वास्तव में उस पोजीशन को चाहते हैं,  तो कुछ चीजें हैं जो उन्हें जरूर करनी होंगी:

1. यहां रहें: यह सरल है. और सबसे महत्वपूर्ण कि उन्हें आस-पास होना चाहिए. साथी कांग्रेसियों और महिलाओं के लिए और राष्ट्र के लिए आसानी से उपलब्ध रहना चाहिए. अपनी भीतरी शंका जीतनी चाहिए. और अगर बाहरी लोग अभी तक यकीन नहीं कर रहे हैं, तो वे जाने लें कि राहुल मोदी के रिप्लेसमेंट से भी आगे हो सकते हैं. यह एक विकट महत्वाकांक्षा है. आस-पास चिपके रहने से उन्हें मदद मिलेगी.

2. बोलें: ज्यादा से ज्यादा. संसद में. जैसा कि लोकसभा में किया. संसद के बाहर भी बोलें. टीवी स्टूडियो में, सड़क किनारे लोगों से मिलते हुए, रैलियों में. कहीं भी जहां लोगों की निगाह उन पर जाती हो. और कल्पना भी.

3. खोलो: राहुल के आसपास चुप्पी की एक हवा है. वह उनके पास राजनीति को ऐसा बनाती है कि जैसे उन्हें एक क्रॉस लेकर जाना हो. केवल उनके मशहूर अंतिम नाम की वजह से. दोस्त इसे आसान बनाओ और आराम से सियासी खेल खेलो.

4. मोदी बनें: यहाँ एक सिद्धांत है: मनमोहन सिंह ने मोदी को संभव बनाया. देश एक नजरबंद प्रधानमंत्री से थक गया था. उनके बयान के लिए इंतज़ार करना पड़ता था. जिसे मोदी ने प्रचुर मात्रा में उपलब्ध कराया दिया. पूरा देश उनके शब्दों की आगोश में चला गया. और मोदी वहां पहुंच गए जहां हम उन्हें अब देख रहे हैं. चुप्पी उनके लिए विडंबना है. और दूरी भी. (यहां तक कि सचमुच विदेशी दौरे उन्हें पंसद हैं.) वक्त आ गया है कि मोदी के साथ वो करो जो उन्होंने मनमोहन सिंह के साथ किया. उन्हें सत्ता एक थाली में रखी मिली.

और अंत में...

5. ट्विटर/फेसबुक पर आएं: देश में सोशल मीडिया पर हर बात को तूल दिया जाता है बावजूद इसके कि इंटरनेट तक देश के केवल 10  फीसदी लोगों की ही पहुंच है. लेकिन राष्ट्रीय राजनीतिक बहस में उसका बेजा दखल तो है ही. खासकर ट्विटर का. कैसे आसानी से आपके प्रबल विरोधी मोदी विवेक ओबेराय पर ट्वीट कर सकते हैं. या रामदेव पर. ट्वीट करें. एक हैंडल बनाएं. वैसे @RahulFor2019 भी बुरा नहीं है.

#राहुल गांधी, #सोनिया गांधी, #कांग्रेस, राहुल गांधी, वापसी, कांग्रेस

लेखक

नदीम असरार नदीम असरार @nadim.asrar

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में पत्रकार हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय