मोदी पर्यटनः ये पांच स्थान क्यों नहीं
गुजरात में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वहां के पर्यटन निगम को एक बहुत ही अनोखा आइडिया आया है. वो है 'मोदी पर्यटन'.
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गुजरात में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वहां के पर्यटन निगम को एक बहुत ही अनोखा आइडिया आया है. वो है 'मोदी पर्यटन'. दरअसल आइडिया यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जबरदस्त लोकप्रियता को भुनाया जाए. इसके तहत पर्यटकों को मोदी के जन्मस्थान वडनगर में आमंत्रित किया जाएगा.
इस टूर में वडनगर प्राथमिक कुमार शाला को शामिल किया गया है. पीएम ने यहां प्राथमिक तक की शिक्षा ली थी. फिर खास है हटकेश्वर मंदिर. जहां मोदी ने काफी वक्त बिताया और यहीं वे अपने दोस्तों के साथ सड़कों पर खेला करते थे. पर्यटक यहीं से प्रसिद्ध शर्मिष्ठा झील जाएंगे. कहा जाता है कि "बाल नरेंद्र" ने यहां मगरमच्छ से मल्लयुद्ध किया था. पर्यटकों को यहां एक महान नेता बन चुके मोदी के सहपाठियों से बातचीत करने का अवसर भी मिलेगा.
यह योजना विकास में सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के प्रति मोदी की प्रतिबद्धता को दर्शाती है. इस टूर पैकेज को गुजरात पर्यटन ने अक्षर ट्रेवल्स प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से शुरू किया है.
"मोदी पर्यटन" गुजरात पर्यटन विभाग के लिए बहुत कामयाब साबित हुआ है. ऐसे और पांच स्थान हैं जिन्हें इस टूर पैकेज में शामिल किए जाने पर विचार हो सकता है.
1) स्थानः नरौदा पाटिया
कैसे जाएं: अहमदाबाद एअरपोर्ट से 9 किमी
महत्व: 28 फरवरी, 2002 को लगभग 5000 लोगों की भीड़ ने अहमदाबाद के इस बाहरी इलाके में धावा बोलकर 97 मुसलमानों को मौत के घाट उतार दिया था. एक घंटे से ज्यादा चली हिंसा में दंगाईयों ने समूह बनाकर और अलग-अलग भी लूट, चाकूबाजी, बलात्कार और सामूहिक बलात्कार की घटनाओं को अंजाम दिया था. लोगों को जिन्दा जलाया था. गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी ने इसे "गोधरा ट्रेन नरसंहार की एक सहज प्रतिक्रिया" से उभरा "लोगों का स्वाभाविक और उचित क्रोध" बताया था. उस वक्त मोदी ने दावा किया था कि दंगों से राज्य सरकार का कोई लेना देना नहीं था. हालांकि नरोदा से भाजपा विधायक और मोदी कैबिनेट में महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मायाबेन कोडनानी को नरोदा पाटिया नरसंहार में शामिल होने का दोषी पाया गया था. और उन्हें 28 साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी. बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी को आजीवन कारावास की सजा दी गई थी.
2) स्थानः कृष्णा गोदावरी बेसिन
वहां कैसे जाएं: विशाखापटनम से नौका यात्रा
महत्व: गुजरात के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के अनुसार इस जगह की वजह से गुजरात के खजाने को 5,000 करोड़ रुपये का नुकसान भुगतना पड़ा. तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी के "कुछ खास" उद्योगपतियों को "लाभ" पहुंचाने के लिए गुजरात सरकार ने यह नुकसान किया. बेसिन में तेल और गैस की खोज करने के नाम पर बेकार प्रबंधन और दोषपूर्ण समझौते घाटे की वजह बन गए थे. भले ही यह जगह गुजरात में नहीं है लेकिन गुजरात पर्यटन वहां जाने के लिए निश्चित रूप से व्यवस्था कर सकता है.
3) स्थानः मुन्द्रा
वहाँ कैसे जाएं: भुज से 52 किमी की दूरी पर
महत्व: यह व्यापार पर्यटन के लिए एक बेहतरीन जगह है. अदानी समूह ने यहां मुंद्रा पोर्ट और एसईजेड बनाया है. गुजरात की मोदी सरकार ने इस समूह को यहां मात्र 1 रुपये से 32 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से जमीन दी थी. जो कि बाजार दर का एक मामूली अंश है. जिन लोगों को मुंद्रा बहुत दूर लगता हो वे अहमदाबाद के पास साणंद जा सकते हैं. जहां गुजरात कृषि विश्वविद्यालय के लिए आरक्षित भूमि टाटा समूह को नैनो संयंत्र के लिए दे दी गई थी.
4) स्थानः बिछाराजी
वहाँ कैसे जाएं: अहमदाबाद से 108 किमी. की दूरी पर
महत्व: यह जगह महत्वपूर्ण है. क्योंकि नरेंद्र मोदी के विकास में इसने अहम भूमिका अदा की है. हिंदू हृदय सम्राट का ताज पहनने से बहुत पहले ही मोदी यहां विकास का एक प्रतीक बन गए थे. 9 सितंबर, 2002 को मोदी ने अपनी गुजरात गौरव यात्रा के दौरान यहां के प्रसिद्ध मंदिर का दौरा किया था. यहां मोदी ने दंगों के दौरान विस्थापित मुस्लिमों के लिए बनाए गए राहत शिविरों पर बोलते हुए कहा था कि "क्या हमें वहां जाकर राहत शिविर चलाने चाहिए? क्या हमें बच्चा उत्पादन केंद्र खोलने चाहिएं? हम पांच, हमारे पांच. [हंसते हुए]."
मोदी की इस टिप्पणी के 12 साल बाद भाजपा सांसद साक्षी महाराज को प्रेरणा मिली: "चार पत्नियों और 40 बच्चों की अवधारणा भारत में काम नहीं करेगी. अब वक्त आ गया है कि एक हिंदू महिला को हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए कम से कम चार बच्चों को जन्म देना होगा."
5) स्थान: अहमदाबाद एअरपोर्ट
वहाँ कैसे जाएं: सभी मुख्य शहरों से सीधे वायुसेवा उपलब्ध
महत्व: अप्रैल 2002 में मोदी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ इस जगह पर एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया था. यहीं वाजपेयी ने मोदी को "राजधर्म" का पालन करने और धर्म, जाति या समुदाय के आधार पर भेदभाव नहीं करने की सलाह दी थी.
यहां तक कि गुजरात पर्यटन निगम को भी पता होगा कि एक महान नेता के निर्माण में बचपन से आगे भी बहुत कुछ है.
कुछ दिन तो गुजारो गुजरात में....

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