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Updated: 25 दिसम्बर, 2015 12:17 PM
विवेक शुक्ला
विवेक शुक्ला
  @vivek.shukla.1610
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एक दौर में हजारों-लाखों लोगों की भीड़ को अपने ओजस्वी भाषण से बांधने वाले अटल बिहारी वाजपेयी अब शांत हैं. उनकी दुनिया उनका घर ही है. कभी मन करता है उनसे कहने का कि, ‘प्लीज अटल जी बोलो.’ एक दौर में अटल बिहारी वाजपेयी के राजेन्द्र प्रसाद रोड स्थित आवास पर लगातार मित्रों की महफिल जमती थी. अब वह सब गुजरे दौर की बातें हो गई हैं. अब पुराने सुनहरे दिनों की तरह कोई उनके पास न पार्टी से संबंधित शिकायतें लेकर आता है और न ही उनकी कविताएं सुनने. हां, अटल जी के 60 साल पुराने दोस्त एनएम घटाटे, लाल कृष्ण आडवाणी और बीसी खंडूरी ही नियमित रूप से उनसे मिलने या उनका हालचाल पूछने चले आते हैं. घटाटे जी ग्वालियर से उनके मित्र हैं. वे साउथ दिल्ली में रहते हैं. लगभग हर हफ्ते या कभी हफ्ते में दो बार भी उनसे मिलने आते हैं. वे बताते हैं कि मनमोहन सिंह भी नियमित रूप से अटल जी के स्वास्थ्य के बारे में पूछते हैं और उनके जन्मदिन पर उन्हें खुद कॉल कर विश करना कभी भी नहीं भूलते.'

अटल बिहारी वाजपेयी दशकों दिल्ली प्रेस क्लब से सटे 6 राजेन्द्र प्रसाद रोड के बंगले में रहे. वहां पर आने वालों को खाने को मिठाई जरूर मिलती थी. जो मिष्ठान का भोग नहीं लगाता उसे अटल जी से कह भी देते थे कि वे मिष्ठान प्रेमी रहे हैं. गर्मागर्म जलेबी से लेकर बालूशाही उनकी सबसे पसंदीदा मिठाइयां रही हैं. उनके लंबे समय तक आवास रहे 6 राजेन्द्र प्रसाद रोड में जाते रहे लेखकों, कवियों, पत्रकारों वगैरह को याद है कि वे मेहमानों को दिल्ली की मशहूर मिठाई की दूकानों जैसे घंटेवाला और गोल मार्केट के बंगला स्वीट हाउस की मिठाइयां अवश्य खिलाते थे. घंटेवाला अब बंद हो गई है.

जनता पार्टी सरकार में विदेश मंत्री रहते हुए भी वे राजेन्द्र प्रसाद रोड में रहने के लिए आए थे. इधर उनके देशभर के मित्र और बंधु लगातार आया करते थे उनसे मिलने-जुलने और सत्संग करने. घर में ही कविता पाठ से लेकर लजीज मिठाइयों की भी विस्तार से चर्चा हो जाती थी. इधर ही वरिष्ठ और नवोदित लेखकों और कवियों की ताजा पुस्तकों का विमोचन भी होता था. अटल जी खुद देखते थे कि कोई मेहमान लजीज मिठाई खाए बिना न जाए. मेहमानों के साथ वे खुद भी मिठाई खाना पसंद करते थे.

अटल जी उनके 6 राजेन्द्र प्रसाद रोड़ वाले आवास में आने वाले मित्रों और दूसरे तमाम लोगों से बेहद सहज भाव से मिलते-जुलते थे. वे लोगों से बातचीत के दौरान ही अपने सेवकों को मिठाई लाने का निर्देश दिया करते थे. फिर बालूशाही, इमरती, चाकलेट बर्की पेश की जाती थी. अगर कोई मिठाई लेने से किसी कारण से बचता तो अटल जी उसे प्रेम से फटकार भी लगा देते थे. कह देते, बंधु, मेजबान का तो सम्मान कर लो.

अटल जी राजेन्द्र प्रसाद रोड के बाद प्रधानमंत्री बनने पर 7 रेस कोर्स गए और 2004 में एनडीए के लोकसभा चुनाव में हार के बाद अपने मौजूदा आवास में यानी 6-ए कृष्ण मेनन मार्ग पर शिफ्ट किए. तब से अगर कुछ नहीं बदला है तो कुछ पुराने मित्रों का आने का क्रम जारी है. कहते हैं, अटल जी साल 2004 में एनडीए की लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित हार से सन्न थे. तब उन्होंने शहरी विकास मंत्रालय से आग्रह किया था कि वो उन्हें आवंटित होने वाले बंगले का पता 8, कृष्ण मेनन मार्ग के स्थान पर 6-ए कर दें. इस बाबत 19 मई, 2004 को पीएमओ में अतिरिक्त सचिव अशोक सैकिया ने शहरी विकास विभाग के अतिरिक्त सचिव अनुपम दासगुप्ता को पत्र लिखा. कहा जाता है कि वाजपेयी जी अपने नए आशियाने का पता 7-ए रखना चाहते थे. लेकिन जब उन्हें ये बताया गया कि चूंकि लुटियंस जोन के बंगलों के नंबर सड़क के एक तरफ विषम हैं और दूसरी ओर सम हैं, तो उऩ्होंने 8- कृष्ण मेनन मार्ग वाले बंगले के लिए 6-ए कृष्ण मेनन मार्ग वाला पता स्वीकार कर लिया.

आज भी उनसे उनके बहुत से मित्र और चाहने वाले मिलने के लिए आएंगे. उनमें घटाटे जी तो अवश्य होंगे. और आज अटल जी अगर एक बार फिर से अपने पुराने अंदाज में बोले तो देश खुश हो जाएगा.

लेखक

विवेक शुक्ला विवेक शुक्ला @vivek.shukla.1610

लेखक एक पत्रकार हैं.

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