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Updated: 28 मई, 2018 03:11 PM
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देश की 4 लोकसभा और 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान हो रहा हैं. और लंबी कतार में खड़े हुए लोग अपनी बारी आने का इंतज़ार कर रहे हैं. पर तपती गर्मी में खड़े मतदाताओं के लिए आज वोट करना ईवीएम ने मुश्किल कर दिया है. नुरपूर और कैराना के लगभग 175 बूथों पर ईवीएम की गड़बड़ी की बात कही जा रही है. ईवीएम और वीवीपैट में खराबी की शिकायतों के बाद विपक्ष ने इसे बीजेपी की साजिश बताया है. कैराना से आरएलडी उम्मीदवार तबस्सुम हसन ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर शिकायत की है. ये बात समाजवादी पार्टी के नेता ज़ोर-शोर से उठा रहे हैं.

यूपी चुनाव के बाद से ही हर चुनाव में ईवीएम में घोटाले और गड़बड़ी की बातें सामने आने लगी हैं. चौंकाने वाली बात ये है कि उससे पहले ईवीएम को लेकर कभी इस तरह की बात नहीं की गई थी और न ही उत्तर प्रदेश चुनाव में वोटिंग के दौरान इस तरह की बात हुई थी.

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बहरहाल, कैराना बाईपोल के वक्त कई बड़े नाम इस 'ईवीएम हटाओ देश बचाओ' की दौड़ में शामिल हो गए. मुद्दा ये है कि जब ईवीएम में गड़बड़ी हो ही गई और वोट पड़ेंगे ही नहीं तो क्या भाजपा क्या कांग्रेस जीत तो किसी भी पार्टी के हाथ नहीं लगेगी न. ऐसा भी कह सकते हैं कि इस बार ईवीएम की गड़बड़ी तो अमित शाह की भी नाक में दम कर जाएगी.

ये तो थी अखिलेश यादव की बात, लेकिन सिर्फ वही नहीं हैं जो EVM के लिए आवाज़ उठा रहे हैं. राष्ट्रीय लोक दल (RDL) की तबस्सुम हसन ने भी इलेक्शन कमीशन को कैराना, गंगोह, नकुड आदि पोलिंग बूथ पर खराब EVM की बात पर पत्र लिखा है.

साथ ही साथ तबस्सुम जी ने ये बात पत्रकारों से कही भी है.

इस मामले में समाजवादी पार्टी के कई नेता मैदान में उतर आए हैं. पार्टी के राजेंद्र चौधरी ने ईवीएम मामले पर ये कहा कि नूरपुर से कम से कम 140 ईवीएम के खराब होने की आशंका जताई जा रही है और ऐसी ही रिपोर्ट कैराना से भी आ रही है.

समाजवादी पार्टी के ही राजीव राय ने भी ईवीएम के प्रति अपना गुस्सा निकाला. उनके हिसाब से भी खराब ईवीएम मशीनें मतदाताओं के साथ धोखा है और लोकतंत्र का कत्ल है.

समाजवादी पार्टी का आधिकारिक ट्विटर अकाउंट भी ईवीएम के बेवफा होने की दुहाई दे रहा है.

समाजवादी पार्टी से ही जुड़े मोहित यादव ने भी पर्चे पर लिखे नामों के आधार पर ईवीएम को दोषी ठहराने की कोशिश की है.

इसी तरह समाजवादी पार्टी के एक और नेता उदयवीर सिंह ने भी ईवीएम कहानी में अपनी जानकारी प्रस्तुत कर दी.

समाजवादी पार्टी के ही पूर्व प्रवक्ता ने भी ईवीएम के खिलाफ अपनी नाराज़गी दर्ज करवाई..

नेताओं की बात छोड़ दें तो कई आम लोगों ने भी ईवीएम पर इसी तरह के सवाल उठाए हैं. ट्विटर पर कैराना चुनाव एक तरह से ईवीएम विरोधी चुनाव बनता जा रहा है.

कुछ का ये भी कहना है कि कुछ खास इलाकों में ही ईवीएम की गड़बड़ियां सामने आ रही हैं.

हमेशा की तरह ट्विटर पर दोनों ही तरह के लोग हैं. वो भी जो मोदी विरोधी हैं और वो भी जिन्हें ईवीएम का ये पूरा मामला सिर्फ नौटंकी ही लग रहा है और अभी भी यही कहा जा रहा है कि ईवीएम सेफ हैं.

सिर्फ कैराना ही नहीं. ईवीएम के खिलाफ मुहिम की आवाज पालघर और भंडारा-गोंदिया उपचुनाव के मतदान से भी आईं. प्रफुल्‍ल पटेल ने भंडारा-गो‍ंदिया में किसी खास जगह का तो हवाला नहीं दिया, लेकिन आरोप लगा दिया कि ईवीएम में गड़बड़ी है. इसके बाद वे दुनिया का उदाहरण देने लगे कि ईवीएम को कई देशों ने अस्‍वीकार कर दिया है. उन्‍होंने फिर अखिलेश यादव के साथ बातचीत का हवाला दे डाला कि वे कैराना में 300 जगह ईवीएम में खराबी की बात कह रहे हैं. प्रफुल्‍ल पटेल की ये वाकई सामान्‍य शिकायत है या रणनीति का हिस्‍सा ?

हर चुनाव के बाद ईवीएम का रोना तो आम बात हो गई है और अब हर चुनाव में कहां तक इसपर ध्यान दिया जाए या किस हद तक इस मामले को इग्नोर किया जाए इसमें भी कन्फ्यूजन है पर यकीनन ईवीएम की खराबी का इस बार का मामला कुछ अनोखा है. गुजरात चुनाव में कांग्रेस के बड़े नेता अर्जुन मोढवाडिया ने कुछ वैसी ही बात की थी, जैसी कर्नाटक में ब्रजेश कलप्‍पा ने कर्नाटक में किया था. जब पूरे गुजरात में VVPAT मशीनों का उपयोग हो रहा था, तभी मोढवाडिया ने कहा कि ईवीएम मशीनों को वाई-फाई और ब्‍लूटूथ से कंट्रोल किया जा रहा है और भाजपा के पक्ष में मतदान कराया जा रहा है. चुनाव आयोग ने तुरंत इसकी जांच की और इस दावे को झूठा करार दिया. जैसा कि अंदेशा था, मोढवाडिया अपनी जीत को लेकर आशंकित थे और वो ईवीएम में अपना मुंह छुपा रहे थे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं और वो पोरबंदर से चुनाव हार गए.

ये ट्वीट कलप्पा ने कर्नाटक चुनाव पोलिंग के दौरान की थी. कर्नाटक में ब्रजेश कलप्पा ने जहां-जहां आरोप लगाए वहां भाजपा नहीं बल्कि कांग्रेस और जेडीएस के उम्मीदवार जीते. अब ये सोचना कि ईवीएम की गड़बड़ी आखिर कितनी भाजपा के पक्ष में है और कितनी विपक्ष में ये चिंता की बात है. 

ये मामला तो इलेक्शन कमीशन के विवेक पर निर्भर करता है, लेकिन एक बात तो पक्की है कि कई पोलिंग बूथ पर ईवीएम के काम न करने से आम लोगों को परेशानी हुई हैं. हालांकि, ईवीएम में खराबी की शिकायतें यदि 5 फीसदी से कम आती हैं, तो चुनाव आयोग इसे चिंताजनक नहीं मानता है. कर्नाटक चुनाव में VVPAT मशीनों का इस्‍तेमाल हुआ था. लेकिन उनमें खराबी की शिकायत 5 फीसदी से ज्‍यादा नहीं हो पाई. जबकि विपक्षी दलों ने यूपी चुनाव के बाद से ये रिवाज ही बना लिया है कि सुबह-सुबह बड़े नेता ईवीएम में खराबी को लेकर एक माहौल बनाएंगे. उनकी इस रस्‍मी आपत्तियों ने कुछ वाजिब शिकायतों को भी छोटा बना दिया है.

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