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Updated: 24 फरवरी, 2020 02:15 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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विश्व के सबसे ताकतवर देशों में शुमार अमेरिका (America) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump), भारत पहुंच गए हैं. अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में आयोजित 'नमस्ते ट्रंप' (Namaste Trump) कार्यक्रम में शामिल होकर ट्रंप क्या कहेंगे? दोनों देशों के बीच किन अहम मुद्दों पर बात होगी? दोनों ही देश आतंकवाद के नियंत्रण के लिए आगे आने वाले समय में कौन से बड़े कदम उठाएंगे? इन सवालों पर पूरी दुनिया की नजरें बनी हुई हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा (Donald Trump India Visit) में कश्मीर मसला (Kashmir Issue) डिस्कशन की टॉप लिस्ट में है. खुद पाकिस्तान (Pakistan) और पाकिस्तान का मीडिया (Pakistan Reaction On Trump) भी ट्रंप और पीएम मोदी की इस मुलकात को लेकर बहुत फिक्रमंद है और जानना चाहता है कि इस मुलकात के बाद कश्मीर मसले को लेकर क्या हल निकलता है. ट्रंप के भारत आने से पहले खबरें ये भी थी कि डोनाल्ड ट्रंप, भारत और पाकिस्तान दोनों ही मुल्कों से कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर शांति बनाए रखने और ऐसी बयानबाजियों से बचने की अपील करेंगे जिससे दोनों ही मुल्कों में तनाव बढ़ता है.

Donald Trump, Donald Trump India Visit, Pakistani Media, Kashmir  पाकिस्तानी मीडिया नजरें गड़ाए बैठा है कि ट्रंप कश्मीर को लेकर पीएम मोदी से क्या बात करते हैं

पाकिस्तान से निकालने वाले अख़बार डॉन की एक रिपोर्ट में एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से इस बात का जिक्र किया गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति एक बार फिर कश्मीर मसले पर मध्यस्थता करने की पेशकश करेंगे. अमेरिकी अधिकारी ने कहा है कि राष्ट्रपति भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने पर जोर देते हैं और दोनों देशों को द्विपक्षीय वार्ता के जरिए आपसी मतभेदों को सुलझाने को प्रोत्साहित करते हैं.

अधिकारी ने इस बात पर भी बल दिया है कि, हमारा मानना है कि दोनों देशों के बीच वार्ता की सफलता पाकिस्तान द्वारा उनके क्षेत्र में आतंकियों और उग्रवादियों पर लगाम लगाने के प्रयासों पर निर्भर करती है. इसलिए हम उस ओर लगातार नजर बनाए हुए हैं.'

अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रपति के भारत दौरे के दौरान धार्मिक स्वतंत्रता का मसला प्रमुख रहेगा.

डोनाल्ड ट्रंप के भारत आने से पाकिस्तान में बेचैनी बढ़ गई है. पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में ये बेचैनी कितनी ज्यादा है इसका अंदाजा हम पाकिस्तानी मीडिया के बर्ताव से लगा सकते हैं. बीते कई दिनों से पाकिस्तानी का पूरा का पूरा मीडिया इसी बात को लेकर फिक्रमंद है कि क्या कश्मीर को लेकर ट्रंप भारत के बजाए पाकिस्तान का साथ देंगे? और कोई ऐसा बीच का ररास्ता निकालेंगे जो पूरी दुनिया की आंख की किरकिरी बन चुके पाकिस्तान को कुछ राहत देता है और उसके लिए फायदेमंद होता है?

बता दें कि पाकिस्तान के मीडिया में ट्रंप के हिंदुस्तान आने को लेकर सवाल इसलिए भी बने हुए हैं क्योंकि भले ही पाकिस्तान ने कई मोर्चों पर ये क्लेम किया हो कि अमेरिका के पाकिस्तान से भी अच्छे संबंध हैं. मगरट्रंप भारत के बाद पाकिस्तान नहीं जा रहे हैं. खुद पाकिस्तान भी इसकी एक बड़ी वजह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रसूख को मानता है. ट्रंप जानते हैं कि यदि वो भारत के बाद पाकिस्तान जाते हैं इससे कई चीजें प्रभावित हो सकती हैं जिससे दोनों देशों के रिश्तों में खटास पड़ सकती है. यदि ऐसा होता तो ट्रंप का भारत के बाद पाकिस्तान जाना विश्व पटल पर अमेरिका की नीयत को सवालों के घेरे में रखता.

इंटरनेट पर पाकिस्तान के एक टॉक शो की क्लिप बड़ी ही तेजी के साथ वायरल की जा रही है. इस क्लिप में भी एंकर अपने मेहमानों से सवाल करती नजर आ रही है कि क्या कश्मीर मसले को लेकर अमेरिका भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्था की पेशकश करेगा? क्या ट्रंप इस मुलकात में कश्मिर मुद्दे को उठाएंगे? क्या ट्रंप इस विषय पर पीएम मोदी से बात करेंगे? पाकिस्तानी मीडिया इन सवालों को लेकर इसलिए भी फिक्रमंद हैं और इनको लेकर बात इसलिए भी कर रहा है क्योंकि कश्मीर से धारा 370 औरे 35 ए हटाए हुए करीब 6 महीने हो चुके हैं और तब इस पूरे मामले पर अमेरिका चुप था.

एंकर के इन सवालों पर कश्मीर पर गहरी पकड़ रखने वाले पाकिस्तान के पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स भी खिसियाया हुआ सा मुंह लेकर अब कश्मीर को फिलिस्तीन से जोड़ रहे हैं. उनका कहना है कि सबसे पहले तो पाकिस्तान को खुद ये तय करना होगा कि क्या वाकई मीडिएशन के लिए उसे अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप की जरूरत है?

ऐसा इसलिए क्योंकि जिस तरह की मध्यस्था अमेरिका फिलिस्तीन में कर रहा है उसमें फिलिस्तीन के लोगों का तो कोई भला नहीं हो रहा है और क्योंकि अमेरिका ने इजराइल को फ्री हैंड छोड़ दिया है इसलिए फिलिस्तीन पर इजराइल की ज्यादतियां बढ़ गई हैं. पाकिस्तान के पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स यही मान रहे हैं कि इससे शांति की पहल करने वाले अमेरिका की नीयत पर संदेह पैदा हो रहा है.

खुद पाकिस्तान के राजनीतिक विशेष्य इस बात को मानते हैं कि यदि भारत द्वारा कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान अपने दोस्तों को एकजुट करने में नाकाम हुआ है तो ये साफ़ तौर पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की विफलता दर्शाता है और दिखाता है कि वो एक कमजोर प्रधामंत्री हैं जो अपने देश को आगे ले जाने में नाकाम हैं. वहीं साथ ही पाकिस्तानी मीडिया अपनी बातों में इस चीज को भी बल दे रहा है कि कश्मीर मसले पर पाकिस्तान एक बड़ा स्टैंड तभी ले सकता है जब खुद पाकिस्तान का विपक्ष अपने प्रधानमंत्री पर भरोसा जताए और इस मामले पर उसके साथ खड़ा हो.

ध्यान रहे कि पाकिस्तान में सत्ता पक्ष को लेकर यही कहता नजर आ रहा है कि कश्मीर, इमरान खान और उनकी पार्टी का व्यक्तिगत मसला नहीं है ये पीड़ित मुसलमानों का मसला है और उन मुसलमानों के लिए किसी और को एकजुट करने से पहले खुद पाकिस्तान, वहां के लोगों, वहां के हुक्मरानों को एकजुट होना पड़ेगा.

पाकिस्तानी मीडिया में ट्रंप की भारत यात्रा को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है. इमरान खान और उनकी पार्टी से लेकर आम जनता तक, सभी इस बात को लेकर फिक्रमंद हैं कि ट्रंप के भारत आने के बाद क्या कश्मीरियों को उनके अधिकार दिलाने में पाकिस्तान कामयाब हो पाएगा? तमाम तरह के सवालों के जवाब वक़्त की गर्त में छुपे हैं लेकिन जो वर्तमान है उसे देखकर इस बात का अंदाजा खुद लग जाता है कि फ़िलहाल जैसी स्थिति है पाकिस्तान. वहां की मीडिया और प्रधानमंत्री इमरान खान तीनों के ही अच्छे दिन आने मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन हैं.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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