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Updated: 19 जनवरी, 2018 08:58 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 'फेक न्यूज अवॉर्ड' का इंतजार तो लोगों को बेसब्री से था. तारीखों के दो बार ऐलान के बाद वो आया भी, लेकिन फिर से लेट-लतीफ. ट्रंप ने अवॉर्ड की जानकारी ट्विटर पर दी लेकिन हैवी ट्रैफिक के कारण वो साइट क्रैश हो गयी जहां ये लिस्ट जारी हुई थी. बहरहाल, थोड़े विलम्ब के बाद विजेताओं के नाम पता जरूर चल गये - सबसे ऊपर नाम था पॉल क्रूगमैन का जिन्हें खुद भी इसकी आशंका तो रही ही होगी. दिलचस्प बात ये रही कि इस लिस्ट में न्यूयॉर्क टाइम्स से लेकर न्यूजवीक जैसे नामचीन मीडिया ग्रुप रहे, लेकिन फॉक्स न्यूज का नाम नदारद था. वैसे भी फॉक्स न्यूज तो ट्रंप का फेवरेट चैनल माना जाता है.

अवॉर्ड लिस्ट के बाद एक और ट्वीट में ट्रंप ने कहा कि भ्रष्ट और बेइमान मीडिया के अलावा भी कई अच्छे रिपोर्टर भी हैं और बहुत सारी अच्छी खबरें भी - जिन पर अमेरिका के लोगों को गर्व है. हो सकता है ट्रंप का आशय फॉक्स न्यूज से रहा हो.

और ये पुरस्कार...

अमेरिकी राष्ट्रपति ने चुन चुन कर लोगों को ये अवॉर्ड बांटा है. अब तक वो खुद जिनके निशाने पर रहे हैं इस अवॉर्ड में ट्रंप ने सबको निशाना बनाया है. न्यूज साइट इंडिपेंडेंट ने 'ऑस्कर' की तर्ज पर इस अवॉर्ड को 'ट्रंपस्कर' जैसा बताया है. इसी साल 2 जनवरी को ट्रंप ने ऐलान किया था कि ‘झूठी और खराब पत्रकारिता’ करने वाले मीडिया समूहों को वो सम्मानित करेंगे. पहले 8 जनवरी को इनकी घोषणा होने वाली थी, लेकिन बाद में इसकी तारीख आगे बढ़ाकर 17 जनवरी कर दी गयी.

donald trump...और ये पुरस्कार!

फेक न्यूज अवॉर्ड की सूची में 11 नाम शुमार हैं और इनमें न्यूयॉर्क टाइम्स में नियमित रूप से कॉलम लिखने वाले पॉल क्रूगमैन पहले नंबर पर हैं.

fake news awardफेक न्यूज अवॉर्ड

बात इसलिए और भी दिलचस्प हो जाती है क्योंकि ट्रंप ने उस शख्सियत को फेक न्यूज अवॉर्ड दिया है जिसे 2008 में अर्थशास्त्र का नोबल पुरस्कार मिल चुका है. क्रूगमैन के बारे में नोबल सोसाइटी की टिप्पणी थी कि उन्हें ये अवॉर्ड 'व्यापार पैटर्न और आर्थिक गतिविधि के विश्लेषण के लिए' दिया गया. नोबल के बाद किसी अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा मिले अवॉर्ड के बारे में पॉल क्रूगमैन ने अपना रिएक्शन ट्वीटर पर ही शेयर किया.

कहां फेक न्यूज की चुनौती और कहां ट्रंप का अवॉर्ड!

फेक न्यूज मौजूदा दौर में मीडिया के लिए बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया है. वैसे फेक न्यूज के इस उभार के लिए सोशल मीडिया ज्यादा जिम्मेदार है. फेक न्यूज से जिस किसी को भी जितना भी नुकसान हुआ हो, बड़ा नुकसान उठाने वालों में फेसबुक के फाउंडर मार्क जकरबर्ग भी हैं. फेक न्यूज का फेसबुक के ऐड रेवेन्यू पर तो सबसे बुरा असर हुआ है. दुनिया की सबसे बड़ी विज्ञापन कंपनी हावास ने फेसबुक को दिये जाने विज्ञापनों में कटौती कर दी है. इतना ही नहीं, ओ-2, ईडीएफ और रॉयल मेल जैसी ब्रिटेन की बड़ी कंपनियों ने भी फेसबुक के हिस्से का करीब 1500 करोड़ का विज्ञापन बंद कर दिया है.

paul krugmanपहले नोबल पुरस्कार, अब फेक न्यूज अवॉर्ड

नतीजा ये हुआ कि फेसबुक को फेक न्यूज से निजात पाने के लिए टूल तैयार करने के साथ ही अपनी पॉलिसी में भी बदलाव करने पड़े. फेसबुक को तो लोगों को सचेत करने के लिए अखबारों में विज्ञापन भी देने पड़े थे.

facebook adफेक न्यूज से बचाओ...

फेक न्यूज ने सिर्फ फेसबुक को ही अपनी चपेट में नहीं लिया है बल्कि ट्विटर और गूगल पर भी शामत आयी हुई है - जिससे वे अपने अपने तरीके से काउंटर करने में लगे हुए हैं.

जहां तक ट्रंप की नजर में फेक न्यूज का सवाल है तो वो बिलकुल वैसे ही है जैसे केंद्रीय मंत्री वीके सिंह उसे देखते हैं. याद कीजिए पाकिस्तानी दूतावास के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेकर लौटते समय वीके सिंह ने कुछ ट्वीट किये थे. जब उन ट्वीट पर विवाद होने लगा तो वीके सिंह ने मीडिया पर ठीकरा फोड़ने की कोशिश की और पत्रकारों के लिए एक खास टर्म का इस्तेमाल किया - प्रेस्टिट्यूट. ये शब्द प्रॉस्टिट्यूट में से 'प्रॉ' हटाकर उसमें प्रेस का 'प्रे' जोड़ कर बनाया गया है. अपने खिलाफ आई खबरों से खफा होकर वीके सिंह ने पूरे मीडिया को प्रेस्टिट्यूट बता डाला था - और फिर उनके समर्थक सोशल मीडिया पर मेनस्ट्रीम मीडिया के खिलाफ टूट पड़े.

अमेरिकी राष्ट्रपति के इस कदम की पोलैंड के राष्ट्रपति एंड्रेज डूडा ने खुले और खुशहाल दिल से स्वागत किया है. साथ ही, डूडा ने ट्रंप को फेक न्यूज से लड़ने के लिए धन्यवाद भी बोला है.

ट्रंप की अवॉर्ड लिस्ट में पत्रकारों के साथ उनके मीडिया समहों के नाम और उन खबरों का भी जिक्र है जिनके लिए उन्हें इस सूची में जगह मिली है. अवॉर्ड सूची के साथ ये भी बताया गया है कि मीडिया ने अपना 90 फीसदी वक्त या तो फेक न्यूज या फिर नकारात्मक खबरों पर दिया, फिर भी अमेरिकी राष्ट्रपति को नतीजे हासिल होकर रहे.

पॉल क्रूगमैन से ट्रंप के खफा होने की वजह न्यूयॉर्क टाइम्स में छपा उनका कॉलम है. राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों के बाद प्रकाशित इस कॉलम में क्रूगमैन ने लिखा था कि ट्रंप के शासनकाल में मार्केट कभी भी सुधर नहीं सकता. यही वो बात रही जो ट्रंप को सबसे ज्यादा चुभ गयी - और अब तक सालती रही है.

क्रूगमैन की भविष्यवाणी के संदर्भ में ट्रंप की ओर से अवॉर्ड लिस्ट के साथ ये भी बताया गया है कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिका में 20 लाख नौकरियां पैदा हुई हैं और अर्थव्यवस्था में 8 लाख करोड़ डॉलर का इजाफा हुआ.

ट्रंप के इस अवॉर्ड पर कटाक्ष करते हुए एक शो में लाइव फेक अवॉर्ड लेते दिखाया गया - खास बात ये रही कि इसमें सब कुछ फेक था - ट्रॉफी भी और सैटेलाइट से जुड़े CNN एंकर वूल्फ ब्लिजर भी.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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