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Updated: 05 अप्रिल, 2020 05:16 PM
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Diya Jalao campaign: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने वीडियो संदेश में कहा है कि 5 अप्रैल को लोग रात 9 बजे से 9 मिनट (9 PM 9 Minute) तक घरों की बत्तियां बुझा दें और दीया, मोमबत्ती, टॉर्च या मोबाइल का फ्लैश लाइट जलायें. ये एक तरीके से लोगों की हौसलाअफजाई के लिए लॉकडाउन का बूस्टर डोज ही है.

बस बत्ती नहीं बुझाएंगे!

9 बजे 9 मिनट तक देश को रौशन किये जाने को लेकर ट्विटर पर एक ट्रेंड चल रहा है - #Hum_Light_Nahi_Bujhaenge. बढ़िया है. हो सकता है ये समझाने की कोशिश हो रही हो कि ये ब्लैकआउट से बचाने की कवायद है - लेकिन ध्वनि तो CAA के विरोध वाले स्लोगन की ही आ रही है - हम कागज नहीं दिखाएंगे जिसे कॉमेडियन वरुण ग्रोवर ने कम्पोज किया था.

जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये वीडियो मैसेज आया पक्ष और विपक्ष में रिएक्शन धड़ाधड़ आने लगे. महाराष्ट्र के मंत्री नितिन राउत ने तो ऐसा करने पर ब्लैकआउट तक का खतरा जता दिया था - लेकिन बाद में वो भी सफाई देने लगे.

दीया जलाये जाने को लेकर प्रधानमंत्री की अपील से सबसे ज्यादा परेशान नजर आये हैं महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नितिन राउत. - उनका कहना है कि दीया के बाद लोगों के एक साथ बिजली के स्वीच ऑन करने पर ब्लैकआउट का खतरा पैदा हो सकता है.

नितिन राउत का कहना है कि अगर देश में सभी बत्तियों को एक बंद कर दिया गया तो इससे ग्रिड फेल हो सकता है. न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में नितिन राउत ने कहा ऐसी स्थिति में सभी आपात सेवाएं बंद हो जाएंगी. सबसे बड़ी बात, नितिन राउत को आशंका है - सब कुछ ठीक करने में हफ्ते भर का समय भी लग सकता है.

राजनीतिक दृष्टि से सोचें तो नितिन राउत कांग्रेस कोटे से महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार में शिवसेना नेता और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के कैबिनेट साथी हैं - और बिजली विभाग उनके ही पास है. एक और बात नितिन राउत को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है और यही वजह रही कि अशोक चव्हाण से पहले नितिन राउत मंत्री बनाये गये थे.

ब्लैकआउट का खतरा कैसे?

एक मीडिया रिपोर्ट में बिजली विभाग के एक अधिकारी से ये स्थिति समझने की कोशिश की गयी है. अधिकारी ने ये बात कुछ ऐसे समझायी है - 'ये किसी चलती हुई कार में अचानक ब्रेक लगाने और फिर तेज एक्सीलरेटर दबाने जैसा है. अंदाजा लगाना मुश्किल है कि कार का व्यवहार क्या होगा?'

ऐसी कई रिपोर्ट में बिजली विभाग के लोगों ने 10वां मिनट काफी चुनौतीपूर्ण माना है, सभी लोग एक साथ घर की बिजली चालू करेंगे. अगर वाकई ऐसा होता है तो अचानक बिजली की मांग पूरी करना निश्चित तौर पर चुनौतीपूर्ण होगा.

फिर तो ये भी आशंका बनती है कि ग्रिड फेल होने का सीधा असर अस्पतालों पर पड़ेगा, क्वारंटीन सेंटर पर पड़ेगा - और ऐसी दूसरी सेवाएं जिनके लिए हर वक्त बिजली चाहिये उन पर भी पड़ेगा. इसी बीच, 2012 के ब्लैकआउट की याद दिलायी जा रही है जब अचानक मांग बढ़ने से ट्रिपिंग हुई और 60 करोड़ भारतीय घरों में बिजली चली गयी थी. अब सवाल ये है कि क्या वास्तव में ऐसा होना निश्चित ही है?

narendra modiघबरायें नहीं - आओ मिलकर दीजे जलायें!

आशंकाओं को तो पूरी तरह खारिज नहीं ही किया जा सकता, लेकिन डिफॉल्ट मोड में कई काउंटर मेकैनिज्म भी काम करते रहते हैं. ऐसे उपायों को अपने शरीर के इम्युन सिस्टम से जोड़ कर भी समझ सकते हैं. ऐसी आपात स्थिति में वे ही शरीर की रक्षा भी करते हैं. कोरोना वायरस के खिलाफ भी वैसे ही एक वैक्सीन की तलाश है और पूरी दुनिया के वैज्ञानिक उसकी खोज में लगे हुए हैं - कुछ रिपोर्ट बताती हैं कि हम वैक्सीन बनाने के काफी करीब पहुंच चुके हैं.

सबसे बड़ी बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बत्तियां बुझाने को कहा है - ऐसा तो बिलकुल नहीं कहा है कि सब लोग पूरे एमसीबी गिरा दें या पूरे घर की बिजली ही काट दें. थोड़े बहुत दिक्कत की बात अलग है, लेकिन लगता नहीं कि वैसी कोई आफत आने वाली है जैसी आशंका जतायी जा रही है.

1. घर की बत्तियां 9 मिनट के लिए जरूर बुझी हुई होंगी, लेकिन ऐसा तो नहीं होने वाला कि लोग फ्रीज भी ऑफ कर देंगे. उसके लिए तो हमेशा पावर सप्लाई ऑन ही रहती है.

2. जिन घरों में गर्मी महसूस की जा रही है और पंखे चल रहे हैं, प्रधानमंत्री ने ऐसा तो कहा नहीं कि पंखा भी बंद कर देना है - या एसी भी ऑफ कर देना है.

3. प्रधानमंत्री ने ये भी तो नहीं कहा है कि लोग घरों में बत्तियां जलाने से पहले आस पास के सार्वजनिक स्थानों की बत्तियां भी बुझायें. प्रधानमंत्री ने साफ तौर पर कहा है कि किसी भी सूरत में घरों से बाहर नहीं निकलना है - ऐसा जनता कर्फ्यू के दौरान देश के कुछ हिस्सों में लोगों के सड़क पर आ जाने के चलते ही कहा होगा.

4. स्ट्रीट लाइट और सार्वजनिक स्थानों पर जलने वाली बत्तियों को भी बंद करने का कोई आदेश नहीं है - क्योंकि ऐसी किसी भी रिपोर्ट में बिजली विभाग के किसी भी कर्मचारी या अधिकारी ने नहीं कहा है.

5 और सबसे बड़ी बात - ज्यादातर इमरजेंसी सेवाओं में पावर बैकअप का इंतजाम होता है, जहां जरूरत होती है यूपीएस भी लगा होता है - फिर किस बात के लिए ब्लैकआउट हो जाएगा.

जैसे कोरोना वायरस के इतने बड़े खतरे को लेकर एहतियात बरती जा रही है, बत्तियां बुझाने और जलाने में भी थोड़ा ध्यान रखा जा सकता है. जरूरी तो है नहीं कि एक ही साथ पूरे घर की बत्तियां जलायी जायें - पहले एक बत्ती और फिर धीरे धीरे जरूरत के हिसाब से बत्तियां जलायी जा सकती हैं.

हर चैलेंज अपनेआप में एक चैलेंज ही होता है. दूसरा चैलेंज हमेशा पहले के मुकाबले मुश्किल होता है - और वैसे ही तीसरा दूसरे चैलेंज से. फिलहाल दूसरे चैलेंज की बात करते हैं क्योंकि अभी तीसरे के बारे में किसी को कुछ भी नहीं मालूम. इस बीच, प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का वीडियो भी ट्विटर पर पोस्ट किया है - आओ फिर से दीया जलायें. ये भी एक वीडियो मैसेज ही है.

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