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Updated: 08 दिसम्बर, 2019 08:55 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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रविवार सुबह जब लोगों की आंखों खुलीं तो पहली खबर ये सामने आई कि राजधानी दिल्ली के रानी झांसी रोड (Rani Jhansi Road) पर अनाज मंडी (Anaj Mandi) इलाके में भीषण आग (Delhi Fire) लग गई है. शुरुआत में लोगों को नहीं पता था कि ये घटना दिल दहलाने वाला रूप लेने वाली है. जैसे-जैसे सूरज चढ़ता गया, मरने वालों की संख्या बढ़ती गई. ये आंकड़ा जाकर रुका 43 पर और अभी भी करीब 15 लोगों की हालत बेहद नाजुक बताई जा रही है. फिलहाल बताया जा रहा है कि ये आग शॉर्ट सर्किट (Short Circuit) से लगी. बता दें जिस इमारत में ये आग लगी, वह एक फैक्ट्री है, जहां पर बच्चों के स्कूल बैग बनाए जाते हैं. घटना के वक्त वहां अंदर ही 59 कर्मचारी सो रहे थे. इस आग में 43 लोगों की मौत के बाद अब राजनीति भी शुरू हो गई है और इसी के साथ उठ खड़े हुए हैं कुछ सवाल. वो सवाल, जो अरविंद केजरीवाल सरकार (Arvind Kejriwal Government), MCD और यहां तक कि फैक्ट्री के मालिक तक पर उठ रहे हैं.

Delhi Fire raised 5 questionsदिल्ली की आग पर अब सवाल उठने शुरू हो गए हैं.

1- आखिर इस आग की जिम्मेदारी किसकी?

भाजपा की ओर से केजरीवाल सरकार को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. कहा जा रहा है कि यह उनके एक मंत्री का क्षेत्र है. दिल्ली सरकार को ही ध्यान देना चाहिए था कि नियमों को ताक पर रखकर फैक्ट्री चल रही थी. वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता राघव चड्ढा का कहना है कि इसके लिए भाजपा के कब्जे वाली एमसीडी को जिम्मेदार माना जाना चाहिए, जिसने फैक्ट्री का लाइसेंस दिया है. दोनों एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं, तो फिर जिम्मेदार कौन?

2- बिना NOC के चल रही थी फैक्ट्री, क्या कर रहा था दमकल विभाग?

जहां भी इस तरह के निर्माण या फैक्ट्री आदि चल रही होती हैं, उन्हें दिल्ली के दमकल विभाग यानी दिल्ली फायर सर्विस की ओर से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) दिया जाता है. दमकल विभाग की ये भी जिम्मेदारी होती है कि वह समय-समय पर ऐसे इलाकों में जाकर जांच करे जो आग की संभावनाओं को बढ़ावा देती हैं. अगर कुछ गलत पाया जाए या नियमों के खिलाफ हो तो उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाए, लेकिन दमकल विभाग सोता रहा और 43 लोग जिंदा जल गए. बता दें कि दिल्ली का फायर डिपार्टमेंट दिल्ली सरकार के गृह विभाग के अंदर काम करता है. यही वजह है कि इस मामले को लेकर अरविंद केजरीवाल पर सीधी उंगलियां उठ रही हैं.

3- वहां काम करने वाले 'मजदूर' थे या 'कैदी'?

हमारे सहयोगी आज तक में छपी खबर के अनुसार अनाज मंडी की जिस फैक्ट्री की बात हो रही है उसमें जब आग लगी उस वक्त बाहर से ताला लगा हुआ था. एक ओर आग पूरी बिल्डिंग को अपनी चपेट में लिए जा रही थी, दूसरी ओर अंदर से सिर्फ बचाओ-बचाओ चिल्लाने की आवाजें आ रही थीं. कोई करता भी क्या, जब बाहर से ही ताला लगा तो अंदर घुट-घुट कर मरने के अलावा और क्या रास्ता बचता है. सवाल ये है कि आखिर बाहर से ताला किसने और क्यों लगाया? अगर ये ताला मालिक ने लगाया था तो उसे किस बात का डर था? क्या मजदूर उसका सामान चुराकर भाग जाते? या वो मजदूरों को कैदियों की तरह रखता था, जैसा कि पुराने वक्त में तानाशाह राजा-महाराजा किया करते थे. खैर, इनमें से कुछ सवालों के जवाब तो मिल ही जाएंगे, क्योंकि फैक्ट्री के मालिकों में से एक रेहान को पुलिस ने पकड़ लिया है और पूछताछ जारी है. बता दें कि इस फैक्ट्री के तीन मालिक हैं, जो हिस्सेदार हैं और ये तीनों भाई हैं.

4- आग आखिर लगी कैसे? या किसी ने लगाई?

जिस तरह हर आग के बाद पहला कयास सामने आता है वैसे ही इस बार भी यही कहा जा रहा है कि ये आग शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी. खैर, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं और जल्द ही ये पता चल जाएगा कि आग किस वजह से लगी और इसके लिए कौन जिम्मेदार है. जैसा कि ये बात सामने आई है कि फैक्ट्री में बाहर से ताला लगा था. सवाल ये उठता है कि क्या किसी ने जानबूझ कर बाहर से ताला लगाया था? अब इन सवालों के जवाब आने वाले 7 दिनों बाद ही पता चलेंगे, जब पूरी रिपोर्ट सामने आएगी.

5- जांच का आदेश तो हो गया, लेकिन दोषी पकड़े भी गए तो क्या बदलेगा?

दिल्ली सरकार ने आग की घटना में जांच के आदेश देते हुए सात दिन के भीतर रिपोर्ट मांगी है. चलिए मान लेते हैं कि 7 दिन में दोषी पकड़ जाएगा, फिर क्या? सजा होगी? चलिए सजा भी हो गई, उसके बाद क्या? कुछ महीनों या सालों बाद फिर से ऐसी ही आग लगेगी. दिल्ली में आग कोई नई बात नहीं है. हर बात लगभग एक जैसी ही लापरवाही सामने आती है. सरकारी अधिकारी अपना काम ढंग से नहीं करते और नियमों को ताक पर रखकर चल रही फैक्ट्रियों, इमारतों, होटलों, रेस्टोरेंट, सिनेमाघर आदि को मंजूरी दे देते हैं. नतीजा होता है बहुत से लोगों का जिंदा जल जाना. इतने सालों में ये व्यवस्था दुरुस्त नहीं की जा सकी है. तो एक बार फिर वही सवाल... अगर दोषी पकड़े भी गए तो क्या बदलेगा?

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