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Updated: 23 जुलाई, 2019 10:36 PM
अंकित यादव
अंकित यादव
  @ankit.aajtak
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दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और दिल्ली कांग्रेस की मौजूदा अध्यक्ष शीला दीक्षित के निधन के बाद दिल्ली कांग्रेस का नया मुखिया कौन होगा इस बात की चर्चाएं शुरू हो गई हैं. सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में अध्यक्ष की कमान किसी अनुभवी चेहरे को ही सौंपी जाएगी दिल्ली में तीन फार्मूले के तहत नया अपॉइंटमेंट होगा.

पहला फॉर्मूला-

तीनों कार्यकारी अध्यक्षों को हटाकर केवल एक प्रेसिडेंट बनाया जाए. अगर ऐसा होता है तो किसी अनुभवी को ही मौका दिया जाएगा. इस फॉर्मूले की संभावना इस वजह से ज्यादा है क्योंकि तीन कार्यकारी अध्यक्ष बनाने वाला फॉर्मूला दिल्ली में कुछ खास सफल नहीं हुआ, उल्टा दिल्ली कांग्रेस में गुटबाजी बढ़ गई. दिल्ली में शायद ही कोई ऐसा मौका होता था जब तीनों कार्यकारी अध्यक्ष एक साथ नजर आते थे. ज्यादातर बैठकों या फिर विरोध प्रदर्शन के कार्यक्रमों में भी तीनों अध्यक्ष अपना-अपना गुट लेकर नजर आते थे.

sheila dixitशीला दीक्षत की मौत के बाद दिल्ली की कमान किसी अनुभवी को ही सौंपी जाएगी

दूसरा फार्मूला-

तीनों वर्किंग प्रेसिडेंट को बनाए रखते हुए बगैर किसी प्रेसिडेंट के केवल दिल्ली प्रभारी पीसी चाको के नेतृत्व में चुनाव तक काम चलाया जाए. इस बात की भी संभावना अच्छी खासी है क्योंकि दिल्ली में कुछ ही महीने बाद विधानसभा के चुनाव हैं. ऐसे में बड़ा फेरबदल नुकसानदेय साबित हो सकता है. दिल्ली में शीला दीक्षित और पीसी चाको के बीच का टकराव किसी से छिपा नहीं है. ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व पीसी चाको पर पूरी तरह से भरोसा जताते हुए उनको एक मौका दे सकता है. हालांकि चाको दिल्ली प्रभारी हैं ऐसे में वह अध्यक्ष की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे लेकिन वो मॉनिटरिंग का काम बखूबी निभा सकते हैं.

तीसरा फार्मूला-

इस फार्मूला के तहत शीला दीक्षित की तरह ही किसी नए बेहद वरिष्ठ नेता को दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष की कमान सौंपी जा सकती है जिनके सहयोगी के तौर पर तीनों कार्यकारी अध्यक्ष काम करेंगे. लेकिन इस फॉर्मूले में बनने वाले नए अध्यक्ष को भयंकर गुटबाजी से जूझना पड़ सकता है. दरअसल दिल्ली कांग्रेस अब तीनों ही कार्यकारी अध्यक्षों के खेमे में पूरी तरह से बंट चुकी है. ऐसे में नए अध्यक्ष को तीनों ही गुटों को सहेज कर संगठन चलाना होगा जो आसान काम कतई नहीं है.

हालांकि इन सब में से पहले फॉर्मूले की संभावनाएं सबसे ज्यादा हैं क्योंकि शीला दीक्षित की ज्यादा उम्र को देखते हुए ही तीन कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए थे और अब जब एक नई नियुक्ति करनी पड़ेगी तो दिल्ली कांग्रेस के पास किसी एक को प्रेसिडेंट चुनने का ऑप्शन होगा. सबसे ज्यादा संभावना इस बात की भी बन रही है कि किसी ऐसे नेता को ही अध्यक्ष बनाया जाएगा जो पहले भी अध्यक्ष के पद पर काम कर चुका हो. इनमें रेस में जो नाम चल रहे हैं उनमें जयप्रकाश अग्रवाल, सुभाष चोपड़ा, अरविंदर सिंह लवली और अजय माकन जैसे नाम हैं.

दिल्ली कांग्रेस जल्द ही शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि देने के लिए एक बड़ा कार्यक्रम रखने वाली है जिसमें कांग्रेस के शीर्ष नेता शामिल होंगे. माना जा रहा है कि उसके बाद ही दिल्ली कांग्रेस के नए अध्यक्ष का नाम तय किया जाएगा.

बीते दिनों दिल्ली कांग्रेस में जिस तरह से गुटबाजी सामने आई थी उसको देखते हुए ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के लिए नए अध्यक्ष को चुनना आसान नहीं होगा. क्योंकि दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए अब केवल 6 महीने बचे हैं, ऐसे में ज्यादा बड़ी फेरबदल दिल्ली कांग्रेस के लिए नुकसानदायक भी साबित हो सकती है.

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लेखक

अंकित यादव अंकित यादव @ankit.aajtak

लेखक आजतक में संवाददाता हैं

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