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Updated: 25 अगस्त, 2022 05:51 PM
बिभांशु सिंह
बिभांशु सिंह
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दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया पर सीबीआई ने शिकंजा कस दिया है. शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने सीबीआई की इस पूरी कार्रवाई को आगामी लोकसभा व गुजरात चुनाव से जोड़ दिया है. जबकि, एक धड़ा मीडिया जगत में अभी से ट्रेंड कराने लगा कि 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कड़ी टक्कर अरविंद केजरीवाल देंगे. आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव को लेकर बतौर तैयारी भी शुरू कर दी है. इस निमित्त अरविंद केजरीवाल ने मेक इंडिया नंबर वन का नारा भी दे दिया है. गुजरात चुनाव को लेकर इस पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. लेकिन, ऐसे में चिंता बिहारी होने के नाते नीतीश जी को लेकर है. बीते 9-10 अगस्त भारी सियासी उलटफेर सेे बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी और महागठबंधन के तौर पर नीतीश कुमार को भावी प्रधानमंत्री का उम्मीदवार भी बताये जाने लगा. तेजस्वी यादव ने बीते दिनों इस बात की पुष्टि भी कर दी. लेकिन, मोदी बनाम केजरीवाल में नीतीश कुमार कहां हैं?

Nitish Kumar, Bihar, Chief Minister, Arvind Kejriwal. Manish Sisodia, Gujarat Election, Lok Sabha Electionएक बड़ा वर्ग है जो मानता है कि 2024 में पीएम मोदी को केजरीवाल से बड़ी चुनौती नीतीश कुमार देंगे

नीतीश कुमार बनाम केजरीवाल

नीतीश कुमार 2005 (2014 जीतन मांझी कार्यकाल छोड़कर) लगातार मुख्यमंत्री पद पर काबिज हैं. मुख्यमंत्री के तौर पर उनका प्रशासनिक अनुभव अरविंद केजरीवाल से कहीं अधिक है. जबकि, अरविंद केजरीवाल भी बतौर मुख्यमंत्री तीसरी पारी खेल रहे हैं. मसलन, दिल्ली जैसे प्रदेश की कमान संभालना भी साधारण बात नहीं है. लेकिन, नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू बिहार से बाहर किसी दूसरे राज्य में सत्ता सुख नहीं भोग सकी है. जेडीयू का न तो अन्य राज्यों में जनाधार मजबूत है और न ही कोई सरकार बन पायी है. हालांकि, अरुणाचल प्रदेश जेडीयू के विधायक जरुर निर्वाचित हुए हैं, लेकिन सत्ता में दखल सीधे तौर पर नहीं है.

और तो और अरुणाचल प्रदेश के विधायक अब भाजपा की शरण में हैं. परंतु, अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में लगातार सत्ता में आने के साथ अपना दायरा अन्य राज्यों में भी पार्टी का बढ़ा दिया है. बीते विधानसभा चुनाव के दौरान पंजाब में अरविंद केजरीवाल की पार्टी प्रचंड बहुमत के साथ आयी और सरकार बना ली. अब केजरीवाल का निशाना गुजरात है. यानी केजरीवाल दिल्ली से इतर अन्य राज्यों की सत्ता भी पार्टी के अधीन कर रहे हैं. जबकि, नीतीश के पास ऐसा मजबूत पक्ष नहीं है.

परंत, नीतीश भरोसेमंद जरुर हैं.अगर कांग्रेस, वामदल, राजद सहित अन्य राष्ट्रीय पार्टी एक होना चाहे तो नीतीश कुमार के नाम पर सहमत हो सकती है. चूंकि, वर्तमान में नीतीश कुमार, राजद कांग्रेस, वाम दल सहित सात अलग-अलग पाटिर्यों के समर्थन से मुख्यमंत्री पद पर हैं. लेकिन, केजरीवाल के साथ कांग्रेस या अन्य पार्टियां सामान्य तौर पर सहमत होना थोड़ा कठिन है. दोनों का राजनीतिक कैरियर काफी दिलचस्प है. हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार संगठित विपक्ष का तभी प्रधानमंत्री का चेहरा बन सकते हैं, जब कांग्रेस का हाथ होगा.

बात यह भी है कि अगर कांग्रेस न भी चाहे तो तीसरा मोर्चा नीतीश कुमार को प्रोजेक्ट कर कसती है. चूंकि में राजद का पूर्ण समर्थन मिलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. ऐसा केजरीवाल के साथ भी हो सकता है, लेकिन, केजरीवाल की सियासी लाइन तीसरे मोर्चे से थोड़ी जुदा-जुदा लग रही है. लेकिन, सियासत संभावनाओं का खेल है. जेपी मूवमेंट के नेता हैं नीतीश कुमार नीतीश कुमार छात्र राजनीति से ही सियासी खेल में सक्रिय हैं. जेपी मूवमेंट भी कूद पड़े थे. विपक्ष का मुखर विरोधी होने का लंबा अनुभव है. राज्य में मुख्यमंत्री के तौर पर और केन्द्र में कृषि, रेल सहित अन्य मंत्रालयों का जिम्मा संभाल चुके हैं.

वर्ष 1985 पहली बार विधायक बने. 1989 पहली दफा नीतीश 9वीं लोकसभा के लिए चुनकर सांसद बने. 1990 केंद्र में कृषि एवं सहकारी राज्य मंत्री भी कुछ महीने के लिए बने. 1991, 1996, 1998, 1999, 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में भी निर्वाचित हुए. 1998-99 तक नीतीश कुमार केंद्रीय रेलवे मंत्री भी रहे. वर्ष 2000 में भाजपा के समर्थन से सात दिन के लिए पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. लेकिन, बहुमत साबित नहीं कर पाये. साल 2005 में नीतीश कुमार बहुमत के साथ मुख्यमंत्री बने और अबतक इसी पद पर काबिज हैं.

हालांकि, साल 2014 में लोकसभा चुनावा के दौरान पार्टी की करारी हार का नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और दलित नेता जीतन राम मांझी को कुछ अवधि के मुख्यमंत्री की कुर्सी दे दी थी. बाद में फिर काफी खींचतान के बाद मांझी जी से कुर्सी वापस ले ली थी. जब से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद पर हैं, तब से वे विधान परिषद के सदस्य हैं. अन्ना आंदोलन से अरविंद केजरीवाला का सितारा हुआ बुलंद अरविंद केजरीवाल आरटीआइ कार्यकर्ता जरुर थे. लेकिन, वर्ष 2010 में हुए अन्ना आंदोलन में बतौर के राइट हेंड अन्ना हजारे के साथ उनका चेहरा भी पूरे हिन्दुस्तान ने देखा.

तब से अरविंद केजरीवाल का सितारा बुलंद है. अन्ना आंदोलन के बाद उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर आम आदमी पार्टी की स्थापना की और उसके संयोजक बने. 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 28 सीट हासिल की थी और कांग्रेस के सहयोग से वह मुख्यमंत्री की शपथ लिया था. लेकिन, 49 दिनों के बाद इन्होनें अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. साल 2015 में अरविंद केजरीवाल की पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आयी और वे दोबारा मुख्यमंत्री बने.

2020 में भी उनकी पार्टी बहुमत के साथ सत्ता में आयी और अरविंद केजरीवाल लगातार तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने. वे विधानसभा के सदस्य हैं. 2014 में बनारसी से नरेंद्र मोदी के खिलाफ सांसद का चुनाव लड़ चुके हैं. दिल्ली में तो हैं ही इसके अलावा पंजाब सहित अन्य राज्य में तेजी से लोकप्रिय चेहरे में शुमार हो रहे हैं.

लेखक

बिभांशु सिंह बिभांशु सिंह @2275062259310470

घुमंतू स्वभाव का हूं। राजनीति, नयी व रोचक बातें खिलने की आदत है। खबर लेखन से जुड़ा हुआ हूं।

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