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Updated: 11 फरवरी, 2020 02:13 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों (Delhi Assembly Election Result 2020) की गिनती जारी है. वैसे तो एग्जिट पोल (Delhi Exit Poll) पहले ही साफ कर चुका था कि दिल्ली की सत्ता आप (AAP) के हाथ जाएगी और चुनावी नतीजों के रुझान भी यही दिखा रहे हैं, लेकिन कुछ सीटों के नतीजे काफी चौंकाने वाले आ रहे हैं. इनमें से ही एक सीट है पटपड़गंज (Patparganj) सीट, जहां से दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) चुनावी मैदान में हैं. उनके खिलाफ यहां पर भाजपा की ओर से रविंदर सिंह नेगी (Ravinder Singh Negi) खड़े हैं. आम आदमी पार्टी तो दिल्ली का चुनाव भारी बहुमत से जीतती दिख रही है, लेकिन ऐसा लग रहा है कि मनीष सिसोदिया ये चुनाव हार जाएंगे. कम से कम नौवें राउंड की वोटिंग तक को यही नजारा दिख रहा है. बता दें कि कुल 26 राउंड की गिनती होनी है और हो सकता है कि बाकी के राउंड में सिसोदिया आगे निकल जाएं, लेकिन उनकी जीत पर भी सवालिया निशान लगेंगे ही. ऐसा इसलिए कि अरविंद केजरीवाल भले ही दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं, लेकिन कोई भी नई व्यवस्था लागू करने की स्थिति में मनीष सिसोदिया ही लोगों के बीच दिखते हैं. देखा जाए तो अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के बाद वही मुख्य शख्स हैं. अब सवाल ये उठता है कि आखिर वो कौन सी वजहें हैं, जिनकी वजह से मनीष सिसोदिया को कांटे की टक्कर मिल रही है और वह हार की तरफ बढ़ते दिख रहे हैं. जबकि उन्‍हें तो एकतरफा जीत दर्ज करनी चाहिए थी.

Manish Sisodia may lose from Patparganjनौवें राउंड की मतगणना तक मनीष सिसोदिया पटपड़गंज सीट पर पीछे हैं.

1 -वोटरों से कनेक्‍ट नहीं रहा

मनीष सिसोदिया दिल्ली के उप मुख्यमंत्री हैं. ऐसे में वह वह अपने खुद के चुनावी क्षेत्र पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाए. वह हर फैसले को पूरी दिल्ली के हिसाब से देखते रहे, जिस वह से उनका अपने चुनावी क्षेत्र पटपड़गंड के लोगों से कनेक्ट नहीं रहा और उनके वोटर छिटक गए. अरविंद केजरीवाल के सामने भी ऐसी ही चुनौती थी, लेकिन उनकी जगह उनके चुनावी क्षेत्र में उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल और बेटी हर्षिता केजरीवाल ने बागडोर संभाली थी.

2 -पहाड़ी वोटरों ने नेगी का साथ दिया

दिल्ली में अगर प्रवासी भारतीयों की बात करें तो पहले नंबर पर पूर्वांचली हैं, जो करीब 27 सीटों पर हार-जीत तय करते हैं. दूसरे नंबर पर हैं पहाड़ी. पटपड़गंज में भाजपा ने पहाड़ी उम्मीदवार रविंदर सिंह नेगी को मनीष सिसोदिया के खिलाफ मैदान में उतारा है. वोटरों से सिसोदिया का कनेक्शन पहले ही टूट गया था, ऐसे में पहाड़ी वोटरों ने भी नेगी का साथ दे दिया, जिसकी वजह से मनीष सिसोदियो को काफी नुकसान हुआ.

Manish Sisodia may lose from Patparganjमनीष सिसोदिया के बयानों ने भी उन्हें हार की ओर धकेलने का काम किया है.

3 -'पुलिस वाले बस को आग लगा रहे हैं'

जामिया इलाके में जब पहली बार सीएए को लेकर प्रदर्शन हुआ था, तो कई बसों को आग लगा दी गई थी. उस दौरान पुलिसवाले डिब्बों में पानी लेकर उसे बुझा रहे थे, लेकिन मनीष सिसोदिया ने उस पर ट्वीट किया कि देखो बस में आग कौन लगा रहा है. उनका इशारा था कि दिल्ली पुलिस जो कि मोदी सरकार के अधीन है वही आग लगा रही है. उन्होंने तो बाद में ये भी ट्वीट किया कि दिल्ली चुनाव में हारने के डर से भाजपा खुद ही बसों में आग लगवा रही है. हालांकि, बाद में जब सच सामने आया तो मनीष सिसोदिया की खूब थू-थू हुई. भले ही फिर मनीष सिसोदिया ने अपने हाथ पीछे खींच लिए, लेकिन दिल्ली की जनता ये नहीं भूली कि मनीष सिसोदिया ने सिर्फ राजनीति करने के लिए गलत ट्वीट किया और मोदी सरकार पर गलत आरोप लगाए, जिसका नतीजा भी वह पटपड़गंज में भुगतते नजर आ रहे हैं.

4 -शाहीन बाग का साथ देना पड़ा भारी

इस बार के दिल्ली चुनाव में शाहीन बाग ने राजनीति को खूब प्रभावित किया. मनीष सिसोदिया ने भी कह दिया कि वह शाहीन बाग के साथ हैं. ऐसा उन्होंने सिर्फ इसलिए कह दिया, क्योंकि भाजपा शाहीन बाग प्रदर्शन के खिलाफ रही. शायद उन्हें ये लगा कि इस तरह वह शहीन बाग को वोटर्स को अपनी ओर खींचने में सफल हो जाएंगे, लेकिन ये भी उनके खिलाफ चला गया. दरअसल, शाहीन बाग कुछ लोगों के लिए सही था, तो दिल्ली के ही कुछ लोगों को इससे दिक्कत भी हो रही थी, क्योंकि सड़क बंद है और दुकानें भी बंद हैं. अरविंद केजरीवाल ने इस बात को बखूबी समझा और डिप्लोमेटिक तरीके से कह दिया कि मोदी सरकार की वजह से शाहीन बाग की स्थिति बनी है और दिल्ली के बहुत से लोगों को परेशानी हो रही है. इस एक बयान से उन्होंने शाहीन बाग का भी समर्थन कर दिया और दिल्लीवालों की परेशानी में उनके साथ भी खड़े हो गए.

5 -OSD रिश्‍वत लेते पकड़ा गया

दिल्ली चुनाव के आखिरी वक्त में मनीष सिसोदिया के ओएसडी को सीबीआई ने रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया. इसकी वजह से मनीष सिसोदिया की छवि भी धूमिल हुई. लोगों में ये मैसेज गया कि मनीष सिसोदिया भी दूध के धुले नहीं हैं और इसने भी लोगों का मन बदलने में अहम भूमिका निभाई. जो लोग थोड़ा कंफ्यूजन की स्थिति में थे कि किसे वोट करें, उन्होंने तय कर लिया कि मनीष सिसोदिया को वोट नहीं देना है. इसी वजह से चुनावी नतीजे उनके खिलाफ जाते दिख रहे हैं.

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