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Updated: 02 मई, 2016 08:17 PM
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फिलहाल अगस्टा-वेस्टलैंड का मामला सुर्खियों में सबसे ऊपर है. बीजेपी और कांग्रेस के नेता इस पर सड़क से लेकर संसद तक नूरा कुश्ती खेल रहे हैं. पनामा पेपर्स का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा है. जिसमें नेताओं से लेकर अमिताभ बच्चन तक का नाम उछला, लेकिन सीबीआई को लेकर आई एक खबर ने झकझोर कर रख दिया है.

सीबीआई डायरेक्टर को लिखे पत्र में एक जांच अधिकारी ने कुछ वरिष्ठ अधिकारी रिश्वत लेकर कोयला घोटाले में केस को कमजोर करने का इल्जाम लगाया है. अब अगर उन जांच अधिकारियों की बात सही है तो ये मामले काफी पीछे छूट जाते हैं.

वो गुमनाम चिट्ठी

कोयला घोटाला - यूपीए सरकार के आखिरी दौर में सामने आया ये स्कैम हार की एक बड़ी वजह बना, जिसकी सीबीआई जांच सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में चल रही है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एक जांच अफसर ने सीबीआई के डायरेक्‍टर अनिल सिन्‍हा को इस बारे में पत्र लिखा है जिसमें दावा किया गया है कि कुछ वरिष्‍ठ अधिकारियों ने घूस के तौर पर बड़ी रकम ली है.

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'Honest IOs, CBI' - शिकायत भेजने वाले ने अपना परिचय बस इतना ही दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक सीबीआई के कुछ सीनियर अफसर कंपनियों को बचाने के लिए जांच अफसरों को केस कमजोर करने के लिए दबाव बना रहे हैं. इसके लिए वे विभागीय हथकंडों में फंसाने की धमकी भी दे रहे हैं. सूत्रों के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने बताया है कि इस पत्र में 24 मामलों का जिक्र है.

सीबीआई जांच बोले तो

इस देश में सच्चाई सामने लाने का एक ही उपाय नजर आता है - सीबीआई जांच.

इस देश में इंसाफ की उम्मीद एक ही चीज से लगती है - सीबीआई जांच.

आम आदमी के साथ कहीं भी कोई घटना घटती है तो उसकी मांग होती है - सीबीआई जांच.

एक व्यवस्था के तहत ज्यादातर घटनाओं में सरकार की ओर से मैजेस्टीरियल एनक्वायरी के आदेश दे दिये जाते हैं. राज्यों में बड़े आपराधिक घटनाओं की जांच वहां की क्राइम ब्रांच या सीआईडी करती है. कई गंभीर मामले ऐसे भी होते हैं जिनमें सरकार की तरफ से न्यायिक जांच के आदेश दिये जाते हैं. लेकिन सीबीआई जांच का कोई सानी नहीं.

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ये तो तोता से भी बुरा है!

अभी तक केंद्र के सत्ता पक्ष पर सीबीआई के दुरुपयोग के आरोप लगते रहे हैं. चाहे वो यूपीए की दोनों सरकारें रही हों या फिर मौजूदा मोदी सरकार सीबीआई के दुरुपयोग वाले आरोप से कोई बच नहीं सका है. मायावती और मुलायम सिंह यादव तो इसका सबसे बड़े विक्टिम बताते रहे हैं. साथ ही, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल भी हैं जो केंद्र सरकारों को ललकारते रहते हैं कि वो उन्हें सीबीआई के नाम पर न डराए. मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब तो यहां तक कहा करते थे कि उनके खिलाफ कोई और नहीं बल्कि चुनाव मैदान में सीबीआई ही उतरी हुई है. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई को तो तोते का तमगा भी मिल चुका है - और अब तक वो इस छवि से निकलने की कोशिश में ही जूझ रही है.

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छिटपुट घटनाओं को छोड़ दें तो सीबीआई अफसरों पर एक साथ ऐसा आरोप नहीं लगा है. अगर ये सच है तो सीबीआई की साख पर ये सबसे बड़ा बट्टा है - और इससे वो तभी उबर सकती है जब बाकी मामलों की तरह इसका भी दूध का दूध और पानी का पानी करे और दागी अफसरों को सजा दिलाकर लोगों का भरोसा हमेशा के लिए कायम रखे.

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