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Updated: 01 अप्रिल, 2020 10:10 PM
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कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते देश में लॉकडाउन लागू हुए हफ्ता भर हो चुका है - और जनता कर्फ्यू के 10 दिन. लॉकडाउन (Lockdown) में अभी दो हफ्ते बाकी है - कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की तरफ से साफ किया गया है कि अभी लॉकडाउन को आगे भी जारी रखने जैसा कोई विचार नहीं है. फिलहाल भारत सहित 27 देशों में पूरी तरह या आंशिक तौर पर लॉकडाउन लागू है. कोविड 19 के नये केस आने का सिलसिला देखा जाये तो पहले के मुकाबले तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन देश की आबादी के हिसाब देखा जाये तो ये रफ्तार भी काफी सुस्त है. तस्वीर का दूसरा पहलू ज्यादा डरावना है क्योंकि रफ्तार इसलिए कम है क्योंकि टेस्ट ही काफी कम हो पाये हैं - और यही सबसे ज्यादा चिंता की बात है.

पहले जनता कर्फ्यू और उसके बाद संपूर्ण लॉकडाउन (Lockdown First Week) की घोषणा करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi)खुद आगे बढ़ कर पूरे मामले को देख रहे हैं - वो दुनिया भर के नेताओं और देश के एक्सपर्ट से तो बात कर ही रहे हैं, डॉक्टरों और नर्सों तक को फोन कर उनकी हौसला अफजाई कर रहे हैं - अब बारी देश भर के मुख्यमंत्री से वीडियो कांफ्रेंसिंग की है जो 2 मार्च को होनी है.

1. चीन से चौंकाने वाली रिपोर्ट आई है

कोरोना वायरस संक्रमण की शुरुआत तो चीन से ही हुई थी और फिर दुनिया भर में ये फैलता गया, लेकिन एक नयी रिपोर्ट और भी बड़े खतरे की तरफ इशारा कर रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में ऐसे 1541 मामलों का पता चला है जिनमें वायरस संक्रमण के लक्षण दिखायी ही नहीं दिये थे.

मतलब अब तक जो केस पता चले हैं उनसे कहीं ज्यादा लोग वायरस के शिकार हुए हो सकते हैं. अभी तो जांच ही बहुत कम लोगों की हुई है. जांच भी उन्हीं की हो रही है जो बाहर से आये हैं या जिन पर किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने का शक है. मगर, इससे खतरनाक बात क्या होगी कि जिनमें वायरस संक्रमण के कोई लक्षण नहीं पाये जा रहे वे भी संक्रमित हो सकते हैं. भारत जैसे देश में जहां कदम कदम पर संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है - अगर ऐसा हुआ तो स्थिति कितनी भयावह होगी कल्पना ही की जा सकती है.

2. तब्लीगी जमात ने तो सारी हदें पार कर डाली

सबसे ज्यादा कहर तो तब्लीगी जमात ने मचाया है. जब देश सोशल डिस्टैंसिंग बनाये रखने में जुटा हुआ था तो दिल्ली के निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात के दो हजार से ज्यादा लोग एक ही इमारत में जमा होकर कांफ्रेंस कर रहे थे - अब पता चला है कि मरकज से निकाले गये लोगों में से 93 कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं. हैरानी की बात तो ये है कि ये लोग देश के तमाम राज्यों में पहुंच चुके हैं और दूसरों के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं. पता चला है कि मरकज से निकाले गये 2,361 लोगों में से 617 को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और बाकियों को क्वारंटीन में रखा गया है.

3. मजदूरों का पलायन और बाकियों के लिए खतरा

28 और 29 मार्च को सड़कों पर जो भीड़ दिखी है वो तो लॉकडाउन के साथ सबसे बड़ा मजाक हुआ है. ये सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि देश भर के कई राज्यों की सीमाओं पर ऐसा नजारा देखने को मिला है. दिल्ली में तो आनंद विहार और गाजियाबाद बस अड्डों पर पूर्वांचल के लोगों की ऐसी भीड़ जुटी थी कि अगर उनमें से कुछ लोग भी कोरोना संक्रमण के शिकार रहे होंगे तो वे कितने लोगों को बीमार कर सकते हैं अंदाजा भी लगाना संभव नहीं लगता.

वैसे तो दिल्ली से अपने अपने राज्यों में गये लोगों को घरों से दूर ही रखा गया है और उनकी जांच भी हुई है - लेकिन जब दिल्ली में रहने वाले लोगों के क्वारंटीन के उल्लंघन का शक हो रहा है तो उनके बारे में क्या कहा जाये जो बगैर किसी बात की परवाह के सीधे सड़क पर उतर आये. उस भीड़ में बड़ी संख्या में बच्चे और महिलाओं को भी देखा गया था.

4. दिल्ली सरकार की मोबाइल निगरानी

देश के सात राज्यों में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या सैकड़े को पार कर चुकी है. दिल्ली में मोहल्ला क्लिनिक के दो डॉक्टर भी कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं. जो भी कोरोना टेस्ट में पॉजिटिव पाया गया है कि उसका तो इलाज चल ही रहा है जिनको लेकर संक्रमण की संभावना है उन लोगों को क्वारंटीन में रहने को कहा गया है - लेकिन जिस तरह की गतिविधियां दिल्ली में देखी गयी हैं सरकार को शक है कि सभी लोग प्रोटोकॉल को ठीक से मान रहे होंगे.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि ऐसे लोगों के फोन को ट्रैक किया जा रहा है ताकि पता किया जा सके कि वे लोग घर में रहे या घूमते रहे. अपनी प्रेस कांफ्रेंस में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'मैंने और LG साहब ने मिलकर ये निर्णय लिया है कि ऐसे सभी लोग जिनको घर में रहने के आदेश दिए गए हैं उनके कुछ दिनों के फोन ट्रेस किए जाएंगे.'

अरविंद केजरीवाल के मुताबिक, अब तक पुलिस को ऐसे करीब ढाई हजार लोगों के नंबर दिये जा चुके हैं. अगर ये लोग क्वारंटीन का उल्लंघन करते पाये गये तो इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी क्योंकि ऐसा न करने से दूसरों के लिए खतरा पैदा हो सकता है.

5. खतरा हर किसी पर बराबर लगता है

देश में कोरोना संक्रमित सबसे ज्यादा लोगों की संख्या अब महाराष्ट्र में हो गयी है. महाराष्ट्र से पहले केरल इस मामले में आगे चल रहा था - और अब यूपी से भी एक नौजवान के कोरोना वायरस संक्रमण से मौत की खबर आ चुकी है.

narendra modiकोरोना के खिलाफ मोर्चे पर सबसे आगे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं

यूपी से आई खबर कई मामलों में चिंताजनक है. एक तो पता चला है कि युवक ने न तो क्वारंटीन की परवाह की न उसके परिवारवाले उसकी मौत के बाद कर रहे थे. उससे मिलने वाले लोगों का पता लगाया जा रहा है ताकि उन्हें आइसोलेशन में रखा जा सके.

कोरोना से यूपी में जिसकी मौत हुई है उसकी उम्र महज 25 साल बतायी जा रही है - ये घटना उन सारे दावों की हवा निकाल रही है जिसमें ये धारणा रही है कि कोरोना का खतरा बच्चों और 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को ही है.

महाराष्ट्र में हुए एक अध्ययन में पता चला है कि सर्वे होने के समय तक कोरोना पॉजिटिव पाये गये करीब आधे मरीजों की उम्र 31 से लेकर 50 साल के बीच थी. यूपी के केस से ये उम्र सीमा खिसक कर 25 पर पहुंच गयी है. संक्रमण के माले तो एक साल से कम के अब तक दो बच्चों में भी पाये जा चुके हैं - एक कर्नाटक में और एक पश्चिम बंगाल में.

6. मोर्चे पर आये अजीत डोभाल

दिल्ली में जब पुलिस दंगे रोक पाने में नाकाम लगने लगी थी तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सेना बुलाने की सलाह दी थी, लेकिन गृह मंत्रालय ने उसे खारिज कर दिया. आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे पहले ही कह चुके हैं कि सेना अपनी तरफ से तैयारी पूरी कर रखी है और सेना में अलग अलग स्तरों पर ट्रेनिंग भी दी जा रही है. रोजाना इसकी समीक्षा भी होती है. सेना प्रमुख के अनुसार मजह 6 घंटे के नोटिस पर फौज सारे इंतजाम तक सकती है.

वो तो महज दिल्ली का मामला रहा लेकिन कोरोना वायरस का प्रकोप तो पूरा देश झेल रहा है - अगर सेना के हवाले करना ठीक न लगे तो कम से कम ये राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के ही हवाले तो किया ही जा सकता है. वैसे भी रात के दो बजे निजामुद्दीन के मरकज में वही मोर्चा संभाले और गृह मंत्रालय के आदेश को अंजाम तक पहुंचाया. दिल्ली दंगों में भी अजीत डोभाल जब सड़क पर उतरे तभी हालात पर काबू पाया जा सका था.

7. PM मोदी खुद कर रहे हैं हर बात की निगरानी

कोरोना वायरस के खतरे की आशंका को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद ही मोर्चा संभाले हुए हैं. अब तक वो सार्क देशों, जी 20 के सदस्य मुल्कों के साथ वीडियो कांफ्रेंस सिंह कर चुके हैं. ऐसी ही वर्चुअल मीटिंग वो अब देश भर के मुख्यमंत्रियों के साथ करने जा रहे हैं - 2 अप्रैल को. इसके जरिये वो राज्यों से अपडेट तो लेंगे ही ये भी जानना चाहेंगे कि किस राज्य में किस तरह की मुश्किल आड़े आ रही है.

कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए लॉकडाउन पर हर कोई अमल कर रहा है और लोग एक दूसरे को सजग और जागरूक भी कर रहे हैं. इस दौरान सोशल डिस्टैंसिंग को बनाये रखते हुए लोग सोशल मीडिया के जरिये संवाद भी कर रहे हैं.

लॉकडाउन को लेकर जागरूक करने वालों में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी खासे एक्टिव हैं और वो कहते भी हैं कि इसका सबसे लंबा अनुभव उनको है. हाल ही में उनके चाचा का इंतकाल हो गया तो भी उमर अब्दुल्ला ने शुभचिंतकों और रिश्तेदारों से दूर से ही दुआएं करने की गुजारिश की. उमर अब्दुल्ला की इस पहल की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खासतौर पर जिक्र कर तारीफ की है.

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हैदराबाद के अखिल एनामशेट्टी ने कोरोना पॉजिटिव होने पर जिस तरह से तमाम सावधानियां बरती हैं और एक जिम्मेदार नागरिक होने का परिचय दिया है वो अपनेआप में मिसाल है. ब्रिटेन से लौटने के बाद अखिल न सीधे घर गये और न ही दोस्तों या रिश्तेदारों से मिले. एयरपोर्ट पर हेल्थ डेस्क की प्रक्रिया के बाद खुद ही चेकअप के लिए अस्पताल गये जबकि कोरोना के कोई लक्षण नहीं दिखे थे. यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबरा से ह्यूमन राइट्स में पोस्टग्रेजुएशन कर रहे अखिल 12 दिन से हैदराबाद के गांधी हॉस्पिटल के आइसोलेशन वार्ड में हैं जहां उनका इलाज चल रहा है.

कोरोना को लेकर सबसे पहले सुर्खियों में रहीं कनिका कपूर पांचवीं बार कोरोना टेस्ट में पॉजिटिव पायी जा चुकी हैं - लंदन से आने के बाद वो जिस तरह से घूमती रहीं सबको पता है ही. उसी तरह एक आईएएस अफसर का भी मामला सामने आया था जो केरल में क्वारंटीन में रहने के प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए कानपुर पहुंच गये और फिर उनके खिलाफ कानूनी एक्शन लिया गया है.

लॉकडाउन के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फेक न्यूज को रोकने के उपाय करने के लिए भी कहा है. सुप्रीम कोर्ट सरकार को सही जानकारी देने के लिए एक वेबसाइट बनाने के साथ ही मीडिया से भी सरकार की तरफ से दी जा रही जानकारियों को ही रिपोर्ट का आधार बनाये जाने को कहा है.

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