नेतृत्व संकट के कारण बिखरती कांग्रेस
पार्टी का एक धड़ा प्रियंका गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बनाने का मांग करता है तो दूसरा सचिन पायलट या ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे युवा नेता को अध्यक्ष बनाना चाहता है. वहीं दूसरा धड़ा मुकुल वासनिक, सुशील कुमार शिंदे या मल्लिकार्जुन खड़गे को चाहता है.
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कांग्रेस पार्टी में नए पार्टी अध्यक्ष चुनने की कवायद जारी है. और ये कवायद पिछले ढाई महीने से जारी है जब लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. सबसे मजेदार बात ये है कि राहुल गांधी का इस्तीफा मंजूर भी किया गया है या नहीं इसपर असमंजस बना हुआ है. राहुल गांधी बोलते हैं कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है. पार्टी की तरफ से किसी पदाधिकारी की नियुक्ति होती है तो साफ लिखा होता है 'अध्यक्ष' के आदेशानुसार. यानी असमंजस यहां भी.
नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए कांग्रेस की वर्किंग कमेटी की मीटिंग भी हो रही है लेकिन कोई एक मत उभरकर नहीं आ रहा है. पार्टी का एक धड़ा प्रियंका गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बनाने का मांग करता है तो दूसरा सचिन पायलट या ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे युवा नेता को अध्यक्ष बनाना चाहता है. वहीं दूसरा धड़ा मुकुल वासनिक, सुशील कुमार शिंदे या मल्लिकार्जुन खड़गे को चाहता है. दुविधा और बढ़ जाती है जब सोनिया या राहुल गांधी खुलकर किसी का समर्थन नहीं कर रहे हैं. अध्यक्ष पद के चुनाव में देरी पर कुछ पार्टी के वरिष्ठ नेता भी अपनी नाराजगी ज़ाहिर कर चुके हैं जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी, शशी थरूर इत्यादि शामिल हैं.
अध्यक्ष पद पर नियुक्ति में देरी से पार्टी को नुकसान पहुंच रहा है
हाल ही में जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के मामले पर संसद में कांग्रेस की किरकिरी हुई जब इस मुद्दे पर पार्टी दो खेमों में बंट गई. कांग्रेस जहां मोदी सरकार के इस कदम खिलाफ थी वहीं इसके वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी, अभिषेक मनु सिंघवी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, मिलिंद देवड़ा, यहां तक कि कर्ण सिंह जैसे नेता कहीं न कहीं जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले के साथ नजर आ रहे थे.
अभी कुछ ही महीनों के अंदर कम से कम चार राज्यों- महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखण्ड और दिल्ली में विधानसभा का चुनाव होने वाला है लेकिन कांग्रेस की अभी तक कोई तैयारी भी शुरू नहीं हुआ है. एक तरफ भाजपा इन राज्यों में चुनाव प्रभारियों का ऐलान कर चुकी है वहीं कांग्रेस की तैयारी के नाम पर कोई भी समाचार नहीं आ रहा है.
दिल्ली में तो यहां के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने चुनावी सौगातों की जैसे बाढ़ सी ला दी है. चाहे वो मेट्रो या डीटीसी में महिलाओं का मुफ्त सफर हो, मुफ्त बिजली हो या फिर मुफ्त वाईफाई की सुविधा का ऐलान हो. वैसे तो कांग्रेस को दिल्ली में ज़्यादा मेहनत करने की जरूरत है क्योंकि यहां लोकसभा और विधानसभा दोनों में खाता तक नहीं खुल पाया था.
अब खबर हरियाणा से आ रही है जहां भाजपा की सरकार है और यहां भी विधानसभा का चुनाव होना है. खबर ये है कि 18 अगस्त को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक की रैली में कांग्रेस को अलविदा कह सकते हैं. ऐसे में इस राज्य में भी कांग्रेस को बड़ा झटका लगना तय है.
इसी तरह झारखण्ड में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. यहां लोकसभा चुनाव के बाद से ही कांग्रेस दो खेमों में बंट गई थी. कुछ दिन पहले ही यहां कांग्रेस के दोनों पक्षों में धक्का-मुक्की भी हुई थी.
महाराष्ट्र में भी विधानसभा चुनाव होना है. यहां भी कांग्रेस की स्थिति ठीक नहीं है. कांग्रेस के कई विधायक भाजपा में शामिल हो चुके हैं. इतना ही नहीं इसकी सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का भी यही हाल है. इसके भी कुछ विधायक चुनाव से पहले भाजपा और शिव सेना का दामन थाम रहे हैं.
इसके पहले कर्नाटक और गोवा में कांग्रेस के विधायक कैसे भाजपा में शामिल हुए वो नेतृत्वहीन कांग्रेस के करण ही सम्भव हो सका था. कर्नाटक में तो कांग्रेस-जनतादल सेक्युलर की सरकार भी भाजपा ने छीन ली थी.
कांग्रेस देश की सबसे पुरानी और वर्तमान में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है लेकिन अध्यक्ष पद पर नियुक्ति में देरी से पार्टी को नुकसान पहुंच रहा है और पार्टी जितना जल्दी इस असमंजस को खत्म करेगी पार्टी के हित में ही होगा.
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