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Updated: 06 सितम्बर, 2020 10:29 PM
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कांग्रेस के 23 नेताओं वाले पत्र में उठाये गये मुद्दों पर कोई फैसला भी नहीं हुआ कि एक नयी चिट्ठी ने धमाका कर दिया है - ये चिट्ठी भी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को ही संबोधित है. गौर करने वाली बात ये है कि चिट्ठी के जरिये सोनिया गांधी से गुजारिश की गयी है कि 'परिवार के मोह से ऊपर उठें' और कांग्रेस पार्टी में लोकतांत्रिक मूल्यों के बारे में सोचें. चिट्ठी में प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) की टीम पर सवाल खड़े करते हुए उनको भी निशाना बनाया गया है.

पहली चिट्ठी वाले नेताओं को अब तक अपने सवालों के जवाब का इंतजार है. अब तो वे साफ-साफ सुनना भी चाहते हैं - राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का अध्यक्ष पद को लेकर अगर कुछ सोच रहे हैं तो वास्तव में क्या सोच रहे हैं?

राहुल गांधी आखिर चाहते क्या हैं?

सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने वाले नेताओं का इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. 24 अगस्त को CWC की मीटिंग में जो कुछ हुआ तो हुआ ही, बात उससे आगे बढ़ क्यों नहीं रही है? चिट्ठी वाले नेता बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं कि कुछ तो बताया जाये. नेताओं को लगता है कि ऐसा ही रहा तो छह महीने बीत भी जाएंगे और पूर्ण कालिक अध्यक्ष चुनने का मामला जहां का तहां बना रहेगा.

कांग्रेस से जुड़े मामलों पर बारीक नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई ने इंडिया टुडे में लिखा है कि कांग्रेस के असंतुष्ट नेता राहुल गांधी को लेकर स्थिति स्पष्ट तौर पर जानना चाहते हैं. सूत्रों से बातचीत के आधार पर रशीद किदवई लिखते हैं, कांग्रेस नेता चाहते हैं कि राहुल गांधी साफ तौर पर बतायें कि क्या वो कांग्रेस के अध्यक्ष पद के दावेदार होंगे?

sonia gandhi, rahul gandhiकांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं ने गांधी परिवार की उलझन बढ़ा दी है

ये सवाल चिट्ठी में भी शुमार है और कुछ दिनों से कई मीडिया रिपोर्ट में कांग्रेस नेताओं के हवाले से ये बात कही जा रही है. अब तक ऐसा कभी भी सुनने को नहीं मिला है कि कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं को गांधी परिवार से कोई दिक्कत है - न सोनिया गांधी से, न राहुल गांधी से और न ही प्रियंका गांधी वाड्रा से ही.

अब ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस नेता चाहते हैं कि कुछ बातें सभी को साफ साफ बता दी जानी चाहिये ताकि कोई कन्फ्यूजन न बचे.

1. राहुल गांधी फिर से अध्यक्ष बनना चाहते हैं या नहीं? ये बात राहुल गांधी की तरफ से या सोनिया गांधी की तरफ से कांग्रेस नेताओं को स्पष्ट तौर पर बताया जाये.

2. अगर राहुल गांधी की अब भी अध्यक्ष बनने में कोई रुचि नहीं है तो वो खुद आगे बढ़ कर ऐसे नेताओं को रोकें जो अक्सर बैठकों में जरूरी मुद्दों पर बहस के बीच ये डिमांड रख देते हैं.

3. राहुल खुद बतायें या फिर सोनिया गांधी की तरफ से ही ये बात साफ किया जाये कि गांधी परिवार से बाहर का अध्यक्ष पद का कोई दावेदार सामने आता है तो गांधी परिवार को कोई ऐतराज तो नहीं होगा.

दरअसल, ये नेता स्पष्ट तौर पर समझना चाहते हैं कि अगर राहुल गांधी अध्यक्ष पद को लेकर कोई मन बना भी रहे हैं तो क्या वो 24x7 काम करते हुए नजर आने के लिए भी तैयार हैं? ये बात सोनिया गांधी को 23 नेताओं की तरफ से लिखी गयी चिट्ठी में भी जोर देकर कही गयी है. हाल ही में सीनियर कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की अगुवाई में कपिल सिब्बल सहित कुल 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को एक चिट्ठी लिखी थी जिसके बाद से कांग्रेस में खूब बवाल मचा हुआ है.

सोनिया ने तय की लक्मण रेखा

रशीद किदवई लिखते हैं कि कांग्रेस के असंतुष्टों के खिलाफ सोनिया गांधी का गुस्सा कम होने लगा है - और वो उनके साथ बात करने को तैयार भी हो गयी हैं, लेकिन बातचीत के लिए कुछ शर्तें रखी गयी हैं.

सबसे बड़ी शर्त यही है कि कांग्रेस पार्टी के अनुशासन की लक्ष्मण रेखा को पार करने की कोई हिमाकत न करे. कांग्रेस कार्यकारिणी की मीटिंग में तो यही देखने को मिला था कि अंबिका सोनी और कुमारी शैलजा जैसे नेता चिट्ठी लिखने को अनुशासनहीनता मानते हुए एक्शन की मांग कर रहे थे. चिट्ठी लिखने वाले नेताओं पर अहमद पटेल भी बरसे थे और मनमोहन सिंह ने भी ऐसे नेताओं के खिलाफ ही अपना रूख जाहिर किया था. सबसे ज्यादा गुस्सा तो चिट्ठी की टाइमिंग को लेते हुए राहुल गांधी ने ही दिखाया था और प्रियंका गांधी ने सपोर्ट किया था.

अब पता चला है कि सोनिया चाहती हैं कि चिट्ठी लिखने वाले 23 नेताओं अपनी तरफ से बात करने के लिए किन्हीं दो को अपना प्रतिनिधि चुनें और वे उनसे बात करने के लिए आयें. साथ ही ये दोनों ही चिट्ठी में उठाये गये दो मुद्दों पर ही बात करें.

ये तो ऐसा लगता है जैसे सोनिया गांधी चिट्ठी में उठाये गये मुद्दों की वजह से नहीं बल्कि सीनियर नेताओं की बात रखने के लिए बातचीत को राजी हुई हों. सोनिया गांधी ने ये शर्त रख कर ये समझाने की कोशिश कर रही हैं कि उनको जो भी सबसे महत्वपूर्ण दो मुद्दे लगते हैं उन पर वो आयें और बात करें. रशीद किदवई के मुताबिक, सोनिया गांधी संगठन के चुनाव को लेकर भी गंभीर हैं और ये भी चाहती हैं कि वे सभी चुनाव लड़ें जिनको कांग्रेस की वाकई फिक्र है.

फिर चिट्ठी आयी है

ये मामला पिछले साल के एक वाकये से जुड़ा है. नेहरू जयंती के मौके पर पूर्व मंत्री रामकृष्ण द्विवेदी की अध्यक्षता में यूपी में कांग्रेस की स्थिति पर चर्चा के लिए एक मीटिंग बुलायी गयी थी. मीटिंग को अनुशासनहीनता बताते हुए 10 नेताओं को कांग्रेस से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. पूर्व सांसद संतोष सिंह ने ऐसे नेताओं के साथ मिल कर ये चिट्ठी सोनिया गांधी को लिखी है. आरोप ये भी है कि अपने खिलाफ एक्शन के लिए इन नेताओं ने अपील भी की थी लेकिन न तो उस पर कोई सुनवाई हुई और न ही सोनिया गांधी से मुलाकात का वक्त ही मिला.

नयी चिट्ठी में यूपी कांग्रेस की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी को टारगेट करते हुए लिखा गया है कि लोकतांत्रिक परंपराओं की धज्जियां उड़ाते हुए सीनियर नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है - फिर अपमानित करने के साथ ही पार्टी से निकाल दिया जा रहा है. चार पन्नों की इस चिट्ठी में आरोप लगाया गया है कि कुछ लोग उन नेताओं के प्रदर्शन की पैमाइश कर रहे हैं जो 1977-80 के संकट के दौरान कांग्रेस के साथ चट्टान की तरह खड़े थे. जिन लोगों की तरफ ये इशारा है उनको ये नेता वेतनभोगी कर्मचारियों जैसा मानते हैं जिनको कांग्रेस के बारे में कुछ भी नहीं मालूम है. दरअसल, ये नेता प्रियंका गांधी की टीम पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं.

ये चिट्ठी ऐसे दौर में आयी है जब प्रियंका गांधी यूपी में कांग्रेस की जड़ें मजबूत करने की कोशिश कर रही हैं और योगी सरकार के खिलाफ हर मौके का फायदा उठाने की कोशिश कर रही हैं. हाल ही में जेल से छूटे डॉक्टर कफील खान को हाथों हाथ लेते हुए प्रियंका गांधी ने पूरे परिवार सहित राजस्थान शिफ्ट करा दिया है - लेकिन समझने वाली बात ये है कि ऐसे उपायों का फायदा तो तभी मिलेगा जब कांग्रेस नेता अपनी समस्याओं से उबर कर पार्टी के लिए काम करने की स्थिति में होंगे. ऐसे ही जितिन प्रसाद के खिलाफ लखीमपुर खीरी से पास किये प्रस्ताव को लेकर भी प्रियंका गांधी की टीम की तरफ ही उंगली उठी थी. जितिन प्रसाद भी सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी पर दस्तखत करने वाले 23 नेताओं में से एक हैं. पिछले कुछ समय से जितिन प्रसाद यूपी में चल रही ब्राह्मण राजनीति में कांग्रेसी की भागीदारी तय करने को लेकर भी प्रयासरत देखे गये हैं.

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