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Updated: 15 मार्च, 2020 08:42 PM
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राज्य सभा का चुनाव कांग्रेस (Congress Crisis) के लिए कोरोना की तरह कहर बरपाये हुए है. मध्य प्रदेश की डूबती नाव बचाने की पैंतरेबाजी अभी चल ही रही है कि गुजरात में भी बागी विधायकों ने कांग्रेस बवंडर मचा दिया है.

कांग्रेस नेतृत्व मध्य प्रदेश में 22 विधायकों के इस्तीफे का तोड़ खोज भी नहीं पाया था कि गुजरात में भी पांच विधायकों ने अपने इस्तीफे (Gujarat MLA Resignation) पकड़ा दिये - सुना है ये संख्या 10 से 12 तक भी हो सकती है.

ऐसा भी नहीं कि कांग्रेस को ऐसी कोई आशंका नहीं थी. कांग्रेस तो पहले ही गुजरात के कुछ विधायकों को जयपुर शिफ्ट कर चुकी थी. मध्य प्रदेश वाले विधायक तो अब लौटकर भोपाल भी पहुंच चुके हैं - और मुख्यमंत्री कमलनाथ उनका कोरोना टेस्ट (Kamal Nath Corona Card) कराने की बात कर रहे हैं. ये भी बागी विधायकों के खिलाफ एक नया दांव ही समझा जा रहा है.

प्रकोप मध्य प्रदेश में, असर गुजरात में

कांग्रेस के लिए राज्य सभा चुनाव ऐसा तूफान लेकर आया है कश्ती संभाले नहीं संभल रही है. मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ अभी इमोशनल के बाद कोरोना कार्ड के भरोसे सरकार बचाने में लगे हुए हैं कि गुजरात में कांग्रेस के 5 विधायकों ने एक झटके में पाला बदल लिया है.

हुआ ये था कि मध्य प्रदेश के साथ साथ कांग्रेस ने गुजरात के भी 14 विधायकों को जयपुर भेज दिया था. राज्य सभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के डर से कांग्रेस ने ये एहतियाती कदम उठाया था. कांग्रेस अभी मध्य प्रदेश की सियासी मुश्किलों से जूझ ही रही थी कि गुजरात में 5 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया.

गुजरात के विधायकों की दूसरी खेप भी जयपुर भेजी जाने वाली है. ये 14 विधायकों से अलग होगी और इसमें 20-22 विधायक राजस्थान के होटल को सुरक्षित मान कर भेजे जाने वाले हैं. गुजरात कांग्रेस से इस्तीफा देने वालों में प्रवीण मारू ने अपने फैसले को लेकर कंफर्म किया है. प्रवीण मारू का दावा है कि वो तो दो दिन पहले ही इस्तीफा दे चुके थे.

congress mlaइस्तीफा देने वाले 5 विधायकों में से एक हैं - प्रवीण मारू. विधायकों को जयपुर भेज कर भी नहीं बचा सकी कांग्रेस

कांग्रेस के इस्तीफा देने वाले बाकी विधायकों के बारे में अभी ठीक ठीक पता नहीं चल सका है. वैसे दो विधायक गायब हैं और कांग्रेस नेताओं को उन्हीं पर शक है. एक जेवी काकड़िया और दूसरे सोमाभाई पटेल को लेकर इस्तीफा देने के कयास लगाये जा रहे हैं. बाकी दो विधायक कौन हैं जिन्होंने इस्तीफे दिये अभी किसी को भी समझ में नहीं आ रहा है.

कांग्रेस नेतृत्व ने विधायकों के एक जत्थे की जिम्मेदारी शक्ति सिंह गोहिल और दूसरे टीम की देख रेख का जिम्मा भरत सिंह सोलंकी को दे रखा है. ये दोनों ही राज्य सभा चुनाव में गुजरात से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. ठीक भी है अगर वोट लेकर जीत हासिल करनी है तो विधायकों को संभालने का जिम्मा भी तो उन्हीं का बनता है. अब हर बात के लिए राहुल गांधी थोड़े ही जिम्मेदार होंगे या बगावत पर उतरे कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से सवाल पूछेंगे.

मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार पर बन आयी है, लेकिन गुजरात की मुसीबत भी कम बड़ी नहीं है. गुजरात की तीन सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होने हैं. कांग्रेस के पास अपने दो उम्मीदवारों को लेकर चिंता की बात नहीं थी, लेकिन बीजेपी ने तीसरा उम्मीदवार मैदान में उतार कर कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है.

गुजरात की 182 सदस्यों वाली विधानसभा में बीजेपी के 103 विधायक हैं - लेकिन तीन सीटें जीतने के लिए पार्टी को कम से कम 111 वोटों की जरूरत पड़ेगी. जाहिर है जब बीजेपी के पास वो संख्या है ही नहीं तो भरोसा क्रॉस वोटिंग का ही होगा. बीजेपी की यही चाल कांग्रेस पर भारी पड़ रही है. वैसे कांग्रेस के सपोर्ट से विधायक बने जिग्नेश मेवाणी अब भी साथ खड़े हैं - लेकिन कांग्रेस के दूसरे उम्मीदवार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.

कमलनाथ की कोरोना पॉलिटिक्स

मध्य प्रदेश में राज्यपाल लालजी टंडन ने कमलनाथ सरकार को विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने को कहा है. राजभवन से आयी चिट्ठी के मुताबिक राज्यपाल के अभिभाषण के बाद फ्लोर टेस्ट कराने को कहा गया है.

पूरी दुनिया कोरोना के कहर से जूझ रही है और मुख्यमंत्री कमलनाथ ने महामारी के मुंह में हाथ डाल कर राजनीतिक तरकीब खोज निकाली है. बागी कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के खिलाफ पहले ही इमोशनल कार्ड खेल चुके कमलनाथ अब कोरोना को ही विश्वास मत टालने का हथियार बना रहे हैं - और दलील भी ऐसी है कि भला कौन जोखिम उठाना चाहेगा. कोरोना की आड़ में अभी तक इस बात का फैसला नहीं हो सका है कि मध्य प्रदेश में विधानसभा का सत्र बुलाया जाएगा भी या नहीं.

कमलनाथ कह रहे हैं कि ये सेफ्टी का मामला है और लापरवाही कतई नहीं बरती जाएगी. कमलनाथ कैबिनेट की बैठक में कोरोना को लेकर भी चर्चा हुई. कमलनाथ सरकार ने साफ कर दिया है कि लौटने वाले सभी विधायकों का विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने से पहले कोरोना टेस्ट होगा. कमलनाथ को ये चाल चलने का मौका भी जयपुर से लौटे कांग्रेस विधायकों ने ही दे दिया है - फिर तो बेंगलुरू से लौटने वाले विधायकों के टेस्ट पर भी कोई उंगली नहीं उठा सकेगा.

मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री तरुण भनोट ने संकेत दिया है कि विधानसभा सत्र को टाला जा सकता है. एक अन्य मंत्री पीसी शर्मा का कहना है, 'कैबिनेट की बैठक में चर्चा की गई कि जयपुर से जो विधायक भोपाल रविवार को पहुंचे हैं, उनका कोरोना वायरस के लिए टेस्ट किया जाएगा. साथ ही, हरियाणा और बेंगलुरू से जिन विधायकों को आना है उनका टेस्ट भी किया जाएगा.'

मध्य प्रदेश सरकार पर मंडराता खतरा कमलनाथ और उनकी टीम भले ही कोरोना के नाम पर कुछ समय के लिए टाल दे, लेकिन गुजरात में तो बीजेपी सेंध लगा ही चुकी है. कांग्रेस के लिए राज्य सभा की एक एक सीट के लिए उम्मीदवार तय करना पहाड़ जैसा काम हो गया था. राहुल गांधी के साथियों को नाराज कर टिकट बांटना पड़ा है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला, मिलिंद देवड़ा और जितिन प्रसाद जैसे राहुल गांधी की टीम के सदस्यों को भी राज्य सभा के टिकट की पूरी उम्मीद रही, लेकिन कहीं भूपिंदर सिंह हुड्डा तो कहीं किसी और क्षेत्रीय नेता ने पानी फेर दिया. जिस तरह राजस्थान में भी सचिन पायलट की मर्जी के खिलाफ राज्य सभा का टिकट फाइनल हुआ है - कांग्रेस की आने वाली मुश्किलों का अंदाजा लगाना भी मुश्किल हो रहा है.

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