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बड़ा आर्टिकल  |  
Updated: 19 फरवरी, 2022 03:03 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
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क्या पंजाब की लड़ाई को कांग्रेस बनाम बीजेपी बनाने की कोशिश हो रही है, जबकि जमीनी हकीकत तो ऐसी नहीं लगती है - कम से कम अभी तक की जो भी स्थितियां नजर आ रही हैं उनके मुताबिक.

क्या इस लड़ाई में पंजाब चुनाव के लिए यूपी के लोगों का भावनात्मक इस्तेमाल हो रहा है?

या फिर यूपी विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) के लिए पंजाब का भावनात्मक इस्तेमाल शुरू हो गया है?

जो कुछ भी हो रहा है उसकी एक साफ झलक तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के पहले ही पंजाब दौरे में दिखी थी. जब प्रधानमंत्री ने सुरक्षा में चूक को लेकर मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को संदेश भिजवाया था - अपनी जान पर खतरे को लेकर. फिर तो यूपी चुनाव में बीजेपी नेता सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक को मुद्दा बनाने लगे थे.

नये जंग की शुरुआत तो कांग्रेस की तरफ से की गयी है. आधा पंजाब की जमीन से और आधा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से - और ये रणनीति काफी पहले ही तैयार कर ली गयी थी.

रविदास जयंती पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा (Rahul & Priyanka Gandhi) के साथ साथ चरणजीत सिंह चन्नी भी सुबह ही सुबह बनारस पहुंच गये थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो दिल्ली में ही रहे.

कांग्रेस नेताओं के बनारस दौरे का कार्यक्रम तो पहले ही बन चुका होगा, हां - फाइनल हुआ होगा चुनाव आयोग की तरफ से वोटिंग की नयी तारीख की घोषणा होने के बाद. ऐसा हो सके, इसके लिए पंजाब के मुख्यमंत्री की तरफ से चुनाव आयोग को बाकायदा एक चिट्ठी लिखी गयी थी.

शुरुआती घोषणा के मुताबिक पंजाब में भी मतदान उसी दिन होना था जब यूपी में दूसरे चरण के लिए और उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में वोट डाले गये. रविदास जयंती का हवाला देकर चन्नी ने चुनाव आयोग से गुजारिश की थी कि मतदान की तारीख टाल दी जाये - क्योंकि रविदास जयंती पर पंजाब से काफी संख्या में लोग वाराणसी पहुंचते हैं. वे लोग पहले ही निकल जाते हैं और आने में भी वक्त लगता है, लिहाजा वोटिंग के दिन काफी लोग अपने मताधिकार के प्रयोग से वंचित रह जाएंगे.

चुनाव आयोग ने चन्नी की रिक्वेस्ट मंजूर करते हुए मतदान की नयी तारीख 20 फरवरी तय कर दी - बनारस रवाना होने से पहले ही चन्नी ने यूपी-बिहार और दिल्ली के भइयों के नाम पैगाम देकर बवाल शुरू करा दिया - और प्रियंका गांधी वाड्रा ने ताली बजा कर आग में जी भरके घी डाल दिया. पहली ईंट पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने रखी - और फिर ताली बजाकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने तेजी से आगे बढ़ा दिया, लेकिन जब प्रधानमंत्री मोदी फिर से मोर्चे पर आ डटे तो मुख्यमंत्री चन्नी बैकफुट पर चले गये.

अब तक के सर्वे तो यही बताते हैं कि पंजाब में सत्ताधारी कांग्रेस को आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल चैलेंज कर रहे हैं, लेकिन अभी तो ऐसा लगने लगा है जैसे मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच होने लगा है. अगर ये जान बूझ कर किया जा रहा है तो ज्यादा दिलचस्पी किसकी है - बीजेपी की या कांग्रेस की?

मोदी के मुकाबले मनमोहन मोर्चे पर

यूपी-बिहार और दिल्ली के लोगों को एक साथ टारगेट करने के चक्कर में कांग्रेस बुरी तरह घिर गयी है - और पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को यूपी-बिहार के भइये वाली टिप्पणी पर सफाई देनी पड़ी है.

priyanka gandhi, rahul gandhiप्रियंका गांधी भी राहुल गांधी की तरह कांग्रेस को फंसाने तो नहीं लगी हैं?

प्रियंका गांधी वाड्रा ने बचने के लिए अलग रास्ता अख्तियार किया है. वो एक साथ प्रधानमंत्री मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आक्रामक हो गयी हैं और बचाव के लिए चन्नी को फिर से अकेला छोड़ दिया है - लेकिन ये सब तब हुआ है जब यूपी और बिहार के लोगों को टारगेट किये जाने को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर सीधा हमला बोल दिया है.

मोदी ने बनाया 'भइया' को बड़ा मुद्दा: पंजाब में सत्ता में वापसी की हड़बड़ी में कांग्रेस से गलती तो हो ही गयी है - और मौका देखते ही प्रधानमंत्री मोदी कांग्रेस पर झपट्टा मारते हुए टूट पड़े हैं.

पंजाब की एक चुनावी रैली में मोदी कहते हैं, 'कांग्रेस हमेशा एक क्षेत्र के लोगों को दूसरे से लड़ाती आई है... कांग्रेस के मुख्यमंत्री ने जो बयान दिया... जिस पर दिल्ली का परिवार उनके साथ खड़े होकर तालियां बजा रहा था... वो पूरे देश ने देखा.'

फिर पूछते हैं, 'ये लोग किसका अपमान कर रहे हैं... कोई ऐसा गांव नहीं होगा जहा हमारे उत्तर प्रदेश या बिहार के भाई बहन मेहनत न करते हों... जो लोग दिल्ली में आपको घुसने नहीं देना चाहते, वे लोग आपसे वोट मांग रहे हैं - ऐसे लोगों को पंजाब में कुछ भी करने का हक है क्या?’

और फिर सबसे बड़ा सवाल, 'क्या आप गुरु गोविंद जी को पंजाब से निकाल देंगे?'

प्रधानमंत्री मोदी एक साथ पूछते हैं, ‘हमने संत रविदास जी की जयंती मनाई है. वो कहा पैदा हुए? उत्तर प्रदेश में... बनारस में. क्या आप संत रविदास जी को भी पंजाब से निकाल देंगे? गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म कहां हुआ था? पटना साहिब... बिहार में - क्या आप गुरु गोविंद जी को भी पंजाब से निकाल देंगे?’

अब मुख्यमंत्री चन्नी कह रहे हैं कि उनके बयान के तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है - तो ऐसा किसने किया? जो कुछ भी बोला है वो कैमरे के सामने है. कहीं से फिल्टर होकर उनकी बातें सामने आयी होतीं तो बात और होती - कहीं चन्नी को ऐसा तो नहीं लगता कि प्रियंका गांधी के ताली बजाने से बवाल मच गया है?

कांग्रेस ने मनमोहन सिंह को तैनात किया: अब तक तो विदेश नीति से जुड़े मामलों या आर्थिक मुद्दों को लेकर ही कांग्रेस के बचाव में पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह को आगे किया जाता रहा, लेकिन पंजाब का मामला होने के कारण वो भी कूद पड़े हैं.

मनमोहन सिंह के बयान का मकसद इसी बात से समझ में आ जाता है कि उनका वीडियो भाषण पंजाबी में आया है. अपनी सरकार के बातें कम काम ज्यादा वाले शासन के तौर पर पेश करते हुए मनमोहन सिंह ने पंजाब के वोटर से अपील की है कि वे किसी भी बहकावे में आने से बचने की कोशिश करें.

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है, 'चुनावी माहौल में पंजाब की जनता के सामने बड़ी चुनौतियां हैं. इनका मुकाबला ठीक से करना जरूरी है. कांग्रेस ही पंजाब में खुशहाली ला सकती है और बेरोजगारी भी दूर कर सकती है. पंजाब के वोटर को ये बात ध्यान में जरूर रखनी चाहिये.'

मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार को पूरी तरह फेल बताते हुए राहुल गांधी के फेवरेट शगल चीन के मुद्दे पर सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाया है. पूर्व प्रधानमंत्री के बयान पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागजी ने सरकार की तरफ से जवाब भी दे दिया है, 'मेरी समझ से, ये शुद्ध रूप से या साफ तौर पर राजनीतिक बयान है. ये पॉलिसी से जुड़ा बयान नहीं है.'

अगर चन्नी के साथ राहुल गांधी खड़े होते!

यूपी-बिहार के भइया को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी बयान देकर जो गलती की थी, लगता है उससे भी बड़ी गलती सफाई पेश करने के चक्कर में कर दिये. आखिर यूपी-बिहार के लोगों को चन्नी पंजाबी वोट हासिल करने के लिए तो ही किया था, लेकिन पलटी मार जाने के बाद क्या वे लोग और नाराज नहीं हो जाएंगे?

मुख्यमंत्री चन्नी के यू-टर्न के बाद प्रियंका गांधी अपने तरीके से बचाव की कोशिश कर रही हैं, 'चन्नी जी कह रहे थे कि पंजाब की सरकार पंजाबियों से चलनी चाहिये... जिस तरह से बोला उसे बस घुमाया गया है... मुझे नहीं लगता कि यूपी से यहा कोई आकर राज करना चाहता है - और यूपी में भी लोग नहीं चाहते कि कोई पंजाब से जाकर वहां राज करे.'

खुद भी बचाव की मुद्रा में न आना पड़े, लिहाजा प्रियंका गांधी पहले ही धावा बोल देती हैं. एक साथ. प्रधानमंत्री मोदी पर भी और अरविंद केजरीवाल पर भी. कहती हैं, 'बड़े मियां तो बड़े मियां, छोटे मियां सुभान अल्लाह.'

प्रियंका गांधी वाड्रा की नजर में बड़े मियां हुए प्रधानमंत्री मोदी और छोटे मियां दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल.

अब आगे सुनिये, 'मैं बताती हूं कि कैसे... दोनों का जन्म कहा से हुआ? आरएसएस से... एक आरएसएस से निकले और एक ने हमारी सरकार के खिलाफ आंदोलन किया... पूरा समर्थन आरएसएस ने किया. एक ने आपको गुजरात मॉडल दिया, दूसरे कह रहे हैं कि आपको दिल्ली मॉडल दिखाएंगे.'

पंजाब में प्रियंका गांधी और राहुल गांधी दोनों ही कांग्रेस के लिए वोट मांग रहे हैं, लेकिन लगता है जैसे इलाका बांट लिये हों. राहुल गांधी पूरे टाइम आज कल कैप्टन अमरिंदर सिंह पर भी फोकस रहते हैं. बार बार यही समझाने की कोशिश करते हैं कि कांग्रेस ने कैप्टन को क्यों हटाया - कहीं, कोई डर तो नहीं कि कैप्टन को हटाये जाने का खामियाजा न भुगतना पड़े?

राहुल गांधी की इस तत्परता का कोई अश्विनी कुमार के कांग्रेस छोड़ने से वास्ता तो नहीं है? या फिर मनीष तिवारी के ये कहने से कि वो कांग्रेस में किरायेदार नहीं बल्कि हिस्सेदार हैं.

ऐन उसी वक्त प्रियंका गांधी का फोकस पंजाब और पंजाबियत पर होता है. खुद को पंजाबी परिवार की बहू के रूप में पेश करते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा भी कवि कुमार विश्वास की तरह लगता है समझाने की कोशिश कर रही हों - 'पंजाब महज एक सूबा नहीं, पंजाब एक इमोशन है.'

"भइया" - ये वो शब्द है जिसे कार्टूनिस्ट की तरह मिमिक्री आर्टिस्ट राहुल गांधी के किरदार को महफिल में पेश करने के लिए जोर देकर इस्तेमाल करते हैं - और इसीलिए अब ये समझना मुश्किल हो रहा है कि क्या चन्नी तब भी भइया कमेंट किये होते जब बगल में प्रियंका गांधी की जगह राहुल गांधी खड़े होते?

और अगर भैया राहुल गांधी मौके पर मौजूद होते तो क्या वो भी बहन प्रियंका गांधी की ही तरह रिएक्ट करते?

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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