New

होम -> सियासत

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 14 नवम्बर, 2019 04:21 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
  • Total Shares

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के मुख्य न्यायाधीश CJI रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर (Ranjan Gogoi Retirement) होने वाले हैं. उन्होंने रिटायर होने से पहले के आखिरी दिनों में 4 अहम फैसले दिए हैं, जिनका भाजपा की सियासत पर तगड़ा असर पड़ेगा. पहले अयोध्या केस (Ayodhya Case) में फैसला सुनाते हुए राम मंदिर (Ram Mandir Verdict) के निर्माण को हरी झंडी दी और अब सबरीमाला (Sabrimala review petition), राफेल डील (Rafale Deal case) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के खिलाफ अवमानना केस में अपना फैसला सुना दिया है. देखा जाए तो ये सभी फैसले भाजपा के लिए फायदे वाले रहे हैं. यानी बीजेपी इनका राजनीतिक फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी. वहीं दूसरी ओर, देश की दूसरे सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस (Congress) के लिए ये सभी फैसले किसी झटके से कम नहीं हैं. आइए एक-एक कर के सुप्रीम कोर्ट के चारों फैसलों को देखते हैं कि कैसे वह भाजपा की सियासत पर असर डाल सकते हैं.

CJI Ranjan Gogoi 4 big decisions effect on BJP Politicsरंजन गोगोई ने रिटायर होने से पहले आखिरी दिनों में जो फैसले किए हैं, वह भाजपा की सियासत को प्रभावित करते हैं.

Ram Mandir verdict: बीजेपी को हिंदुत्‍व की स्‍थायी ताकत मिली

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या केस में अपना फैसला सुनाते हुए राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ किया था. पूरे देश में हिंदू धर्म और भगवान राम में आस्था रखने वालों के लिए ये फैसला किसी खुशखबरी से कम नहीं था. भले ही फैसला सुप्रीम कोर्ट से आया, लेकिन ये सभी जानते हैं कि राम मंदिर के पक्ष में महौल बनाने का काम भाजपा ने ही किया है. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से राम मंदिर बनाने के हक में फैसला सुनाए जाने के बाद अब यूपी में ही नहीं, बल्कि पूरे हिंदीभाषी राज्यों में भाजपा को हिंदुत्‍व के लिहाज से स्‍थायी ताकत मिल चुकी है. ये सब केरल के लोग भी देख रहे हैं, जहां सबरीमाला मंदिर के मामले में आस्था के मुद्दे पर भाजपा उनके साथ खड़ी रही. जब 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सालों से चली आ रही परंपरा के खिलाफ फैसला सुनाया था, तो अमित शाह खुले तौर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केरल की जनता के साथ रहे. चुनावों में इसका फायदा तो भाजपा को मिलेगा ही, खासकर अब जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले एक के बाद एक भाजपा के हक में जा रहे हैं.

Sabarimala verdict: केरल में बीजेपी की संभावनाओं को जिंदा कर दिया

अगर राजनीति के चश्मे से देखा जाए तो अगले दो सालों में केरल में फिर से चुनाव होने वाले हैं. वहां की कम्युनिस्ट पार्टी की बात करें तो लोग उससे खुश नहीं दिखते, लेकिन विकल्प भी क्या है? अभी तक तो कांग्रेस ही विकल्प था, जिसे जनता ने सिर आंखों पर बिठाया भी, लेकिन आगे का क्या? भाजपा उसी आगे की संभावना को देख रही है. न सिर्फ केरल, बल्कि पूरे दक्षिण भारत में भापजा की पकड़ उतनी ही कमजोर है, जितनी उत्तर भारत में मजबूत है. अब भाजपा चाहती है कि वहां पर भी इसकी बुलंदी के झंडे फहराएं. भाजपा अब केरल को भी भगवा करना चाहती है और सुप्रीम कोर्ट ने केरल के प्रसिद्ध मंदिर सबरीमाला पर जो फैसला दिया है, उससे भाजपा को वो संभावनाएं जिंदा हो गई हैं. अब बस जरूरत है 2 साल तक इस मुद्दे को ज्वलंत रखने की. जैसे ही केरल की जनता को एक तीसरा विकल्प भाजपा के तौर पर दिखेगा, यकीनन जनता उनकी ओर मुड़ ही जाएगी.

Rafael Deal verdict: मोदी पर लगी ईमानदार नेता की मुहर

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने रिटायर होने से पहले राफेल डील पर फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए राफेल डील मामले में प्रशांत भूषण, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा की ओर से दी गई रिव्यू याचिका को खारिज कर दिया है. यानी कोर्ट को इस मामले में ऐसा कुछ नहीं दिखता, जिस पर संदेह हो और जिसके आधार पर इसका रिव्यू करने का आदेश दिया जाए. इसी मामले को लेकर राहुल गांधी पूरे देश में रैलियां करते हुए कहते थे कि चौकीदार चोर है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पीएम मोदी पर ईमानदार नेता की मुहर लगा दी. आने वाले दिनों में दिल्ली का चुनाव है और अगले दो सालों केरल में भी चुनाव होगा. यानी सुप्रीम कोर्ट से मिली हरी झंडी के बाद पीएम मोदी की छवि पाक साफ रहना भाजपा के लिए चुनावी तौर पर फायदेमंद है.

Rahul court contempt case: विपक्ष का राहुल गांधी मॉडल फेल

कांग्रेस की ओर से सिर्फ एक ही बात पर जोर दिया जाता है कि उनके नेता राहुल गांधी हैं. वो बात अलग है कि पिछले कई महीनों से राहुल गांधी का कुछ पता नहीं चल रहा है. महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव में तो वह लगभग गायब ही हैं. इन दिनों महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर घमासान मचा हुआ है, लेकिन राहुल गांधी का कुछ पता ही नहीं, सोनिया गांधी ही कांग्रेस का नेतृत्व कर रही हैं. यूं लग रहा है मानो राजनीति में उनकी कोई दिलचस्पी ही नहीं रही. ये कहना गलत नहीं होगा कि विपक्ष का राहुल गांधी मॉडल फेल होता सा दिख रहा है. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात पर मुहर लगा दी है.

सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का केस भी राहुल गांधी के खिलाफ चल रहा था, जिस पर कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई तो नहीं की, लेकिन चेतावनी जरूर दी है. राहुल गांधी अक्सर कुछ ना कुछ बोल जाते हैं, जो उनके ही खिलाफ चला जाता है. ये सब राहुल गांधी की अपरिपक्वता दिखाता है. आखिर राफेल डील पर जब कोर्ट ने पुर्नविचार याचिका को हरी झंडी दी थी, तो उस पर राहुल का ये कहना कि कोर्ट ने भी मान लिया है कि चौकीदार चोर है, इसे अपरिपक्वता नहीं तो क्या कहें. उन्होंने तो सरेआम ये भी कह दिया था कि पीएम मोदी को ईमानदार छवि वाला कहा जाता है, मैं उनकी इस छवि को तार-तार कर दूंगा. निजी तौर पर इन बातों को जैसे ही लिया जाता हो, लेकिन राजनीतिक रूप से ये सियासी नुकसान कराने वाले बयान होते हैं, जिनका कांग्रेस को नुकसान हुआ भी है.

ये भी पढ़ें-

Karnataka Rebel MLA पर फैसले के बाद तो दल-बदल कानून बेमानी लगने लगा

महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना का हाफ-गठबंधन फिलहाल बाकी है!

Maharashtra politics: महाराष्‍ट्र में सत्‍ता संघर्ष का राउंड-2 शुरू

लेखक

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय