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Updated: 08 नवम्बर, 2017 04:40 PM
अरविंद मिश्रा
अरविंद मिश्रा
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भाजपा, जिसने 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान 'भ्रष्टाचार के लिए शून्य सहिष्णुता' का दम भरा और जिसके फलस्वरूप पहली बार अपने बलबूते पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र में सरकार बनाई उसे अब दाग अच्छे लगने लगे हैं. अभी हाल फिलहाल दूसरी पार्टियों से भाजपा में शामिल होने का सिलसिला जारी है. चाहे वो पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस के मुकुल रॉय हों, हिमाचल प्रदेश में सुखराम हों, असम से हेमंत विश्व शर्मा हों या फिर महाराष्ट्र से नारायण राणे हों. पूर्व में इन सभी चेहरों पर भ्रष्टाचार के कुछ न कुछ आरोप लगे हैं. और सबसे मजेदार बात ये कि तब भाजपा ने खुद ही इन लोगों के खिलाफ बुकलेट जारी की थी और संसद को चलने नहीं दिया था.

भाजपा, भ्रष्टाचार, पार्टी, नरेंद्र मोदी    वर्तमान भाजपा को देखकर यही कहा जा सकता है कि वो दागियों को अपने में शामिल कर रही है

लेकिन अब सवाल ये उठने लगा है कि जो पार्टी खुद को अपने 'चाल, चरित्र और चेहरे' के आधार पर सभी पार्टियों से अलग यानि 'पार्टी विद डिफ्रेंस' का नारा देती थी वो दूसरी पार्टियों से भ्रष्टाचार में आरोपित दागियों को, पार्टी में क्यों शामिल कर रही है?एक नज़र ऐसे ही नेताओं पर जो हाल - फिलहाल भाजपा में शामिल हुए हैं.

भाजपा, भ्रष्टाचार, पार्टी, नरेंद्र मोदी   जिस मुकुल रॉय को भाजपा अपने खेमे में आई है उनपर भी तमाम आरोप हैं

मुकुल रॉय

तीन नवंबर को तृणमूल कांग्रेस के पूर्व नेता और शारदा घोटाले में आरोपी मुकुल रॉय ने भाजपा ज्वाइन की. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के बेहद करीबी रहे मुकुल रॉय से सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल ही में शारदा चिटफंड घोटाले मामले में पूछताछ की थी. लेकिन मुकुल रॉय को भाजपा में शामिल होने के एक दिन बाद ही केंद्र की तरफ से वाई प्लस सुरक्षा दे दी गई.

भाजपा, भ्रष्टाचार, पार्टी, नरेंद्र मोदी    हिमाचल की सियासत में मजबूत पकड़ रखने वाले सुखराम पर भी कई गंभीर आरोप हैं

सुखराम और उनके सुपुत्र

पिछले महीने ही हिमाचल प्रदेश की राजनीति में चाणक्य के नाम से प्रसिद्ध सुखराम ने अपने बेटे, अनिल शर्मा के साथ भाजपा का दामन थामा. सुखराम का नाम दूरसंचार घोटाले में सामने आने के बाद उन्हें कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया था. सुखराम के बेटे अनिल शर्मा को भाजपा ने मंडी से उम्मीदवार भी बनाया है. वीरभद्र सिंह की सरकार में पंचायती राज मंत्री रहे अनिल शर्मा ने पिछले एक दशक से मंडी पर अपना कब्जा जमाया हुआ है. पिछले चुनावों में उन्होंने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीता था.

सुखराम पूरे मंडी जिले और प्रदेश के बाकी हिस्सों में भी अपना मजबूत जनाधार रखते हैं. वैसे सुखराम का भाजपा प्रेम पुराना है. जब वर्ष 1998 में सुखराम ने कांग्रेस से अलग होकर हिमाचल विकास कांग्रेस के नाम से अपनी पार्टी बनाई थी तो उस दौरान पूरे प्रदेश में चुनाव लड़ा और भाजपा के साथ गठबंधन की सरकार भी बनाई थी.

लेकिन लगता है सुखराम के भाजपा में शामिल होते ही उन पर लगे सारे आरोप खत्म हो गए. यह वही भाजपा है जिसने दूरसंचार घोटाले में शामिल सुखराम मामले पर दो सप्ताह तक संसद नहीं चलने दी थी. बकौल भाजपा  प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी-  'सुखराम के खिलाफ मामले बहुत पुराने हैं. जो बीत गई, वह बात गई. कानून अपना काम करेगा'.

भाजपा, भ्रष्टाचार, पार्टी, नरेंद्र मोदी   असम में भाजपा ज्वाइन करने के बाद हेमंत विश्व शर्मा को क्या मिला ये किसी से छुपा नहीं

हेमंत विश्व शर्मा

अब बात असम की. असम के 2016 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हेमंत विश्वा शर्मा ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन की थी. अभी वो असम सरकार में मंत्री हैं. उन्होंने अगस्त 2015 में भाजपा का दामन थामा था. सबसे मजेदार बात ये कि शर्मा के भाजपा ज्वाइन करने से ठीक एक महीना पहले ही 21 जुलाई 2015 को नयी दिल्ली में भाजपा आलाकमान ने एक बुकलेट जारी की थी जिसमे कहा गया था कि 'वॉटर सप्लाई स्कैम' का प्रमुख संदिग्ध गुवाहाटी डेवलपमेंट डिपार्टमेंट है, जिसके प्रभारी मंत्री हेमंत विश्व शर्मा  हैं. इस प्रोजेक्ट में अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी लुईस बर्जर की सेवाओं पर सवालिया निशान लगाया गया था. यूएस जस्टिस डिपार्टमेंट की जांच में खुलासा हुआ था कि इस कंपनी ने असम के कुछ बड़े अफसरों और नेताओं को घूस खिलाकर ठेका हासिल किया था.

लेकिन हेमंत विश्व शर्मा के भाजपा में शामिल होते ही उनका पाप धूल गया. असम में पहली बार भाजपा सरकार बनी तो श्रेय हेमंत विश्व शर्मा को भी दिया गया और पुरस्कार स्वरूप उन्हें स्वास्थ्य मंत्री के पद से नवाजा भी गया.

भाजपा, भ्रष्टाचार, पार्टी, नरेंद्र मोदी    वो राणे भी भाजपा में आ सकते हैं जिनको खुद भाजपा ने दोषी माना था

नारायण राणे

अब जिक्र महाराष्ट्र से. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के पूर्व नेता नारायण राणे का भी राज्य के भाजपा मंत्रिमंडल में शामिल होने की अटकलें हैं. राणे और उनके परिवार पर बीजेपी ने भ्रष्टाचार के खूब आरोप लगाए थे. शिवसेना में रहते हुए राणे 1999 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे. अभी राणे ने अपनी नई पार्टी 'महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष' गठित की है. नारायण राणे पर मनी लॉन्ड्रिंग का भी केस चल रहा है. मराठा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले राणे की कोंकण क्षेत्र में काफी पकड़ है जिसका फायदा शायद भाजपा उठाना चाहती है.

वैसे तो सियासी समीकरण को साधने के लिए दागदार छवि वाले नेताओं को पार्टी में शामिल करना कोई नई बात नहीं है लेकिन भाजपा जो अपने आप को 'पार्टी विद ए डिफरेंस' का नारा देते रही है, लगता है वो अब कुछ भी अलग नहीं कर रही और सत्ता में रहने के लिए कुछ भी करने को तैयार है. हालांकि इन सबसे उसे कितना फायदा होगा या पार्टी की छवि को कितना नुकसान होगा, हो सकता है आने वाले चुनाव नतीजों में इसकी झलक देखने को मिल जाए.  

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लेखक

अरविंद मिश्रा अरविंद मिश्रा @arvind.mishra.505523

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

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