BJP के लुटिएंस से बाहर दफ्तर शिफ्ट करने से दूसरे राजनीतिक दलों पर असर होगा क्या
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के करीब एक दशक बाद भी किसी भी राजनीतिक दल ने लुटिएन बंगला जोन से दफ्तर शिफ्ट करने जैसा कदम नहीं उठाया है. सबसे बड़ी पार्टी होने के दावे के साथ बीजेपी ने इस मामले में भी लीड ले ली है.
-
Total Shares
बीजेपी का नया दफ्तर बहुत ही हाईटेक बना है. फिर भी उद्घाटन के वक्त पर्दा हटाने के लिए डोर लगायी गयी थी, कोई रिमोट कंट्रोल सिस्टम नहीं. एक वाकया ऐसा हुआ कि कुछ देर के लिए अजीब सी स्थिति हो गयी. दरअसल, डोर खींचने पर भी पर्दा टस से मस नहीं हो रहा था.
हुआ ये कि कार्यकर्ताओं को संबोधित करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन स्थल की ओर बढ़े तो राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज और मुरली मनोहर जोशी भी साथ हो लिये. सबसे बुजुर्ग नेता लालकृष्ण आडवाणी का इंतजार हो रहा था और वो भी पहुंच गये. फिर सब लोग मिल कर डोर खींचने लगे तो डोर फंस गयी - जब कोई उपाय नहीं दिखी तो राजनाथ सिंह आगे बढ़े और हाथ से ही पर्दा हटा दिया. राजनीति में ऐसे तमाम वाकये होते हैं और ट्रबलशूटर सब ठीक कर देता है. राजनाथ सिंह यूं ही चहेते नहीं हैं.
बीजेपी दफ्तर का नया पता है - 6, दीनदयाल मार्ग, नई दिल्ली. अब तक ये 11, अशोक रोड पर रहा जो दिल्ली के खास लुटिएन जोन में आता है. दफ्तर शिफ्ट कर बीजेपी ने विपक्ष पर एक तरीके से दबाव बढ़ा दिया है.
'लोकतंत्र, देशभक्ति और राष्ट्रवाद की रक्षक सिर्फ बीजेपी...'
बीजेपी के विरोधी एक बात को लेकर लगातार हमलावर रहे हैं - 'आजादी के आंदोलन में संघ या बीजेपी के नेताओें का कोई योगदान नहीं रहा है. जब भी स्वतंत्रता आंदोलन का जिक्र आता है कांग्रेस तो खास तौर पर इस बात को बहस के बीच घसीट ही लाती है.
बीजेपी के नये दफ्तर के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी को राष्ट्रभक्ति के रंग से रंगी हुई पार्टी बताया. मोदी ने कहा, "आजादी के दौरान जितने भी आंदोलन हुए, आजादी के बाद उन सभी आंदोलनों की अगुवाई भारतीय जनसंघ के लोगों ने की है."
'बस बीजेपी कोई और नहीं!'
मोदी के भाषण में देशभक्ति पर दावेदारी करने के सारे तत्व छाये रहे, बोले, "हमारी पार्टी देशभक्ति के रंग से रंगी है. अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी ने एनडीए का प्रयोग किया और सफल रही. भारत की सीमाएं ही हमारे कार्यालय की सीमाएं हैं."
राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की प्रक्रिया को लेकर भी मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह सवाल उठाते रहे हैं. हालांकि, देखा गया कि राहुल गांधी ने अपनी चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी बनाये रखने की पूरी कोशिश की और सभी औपचारिकताएं पूरी की गयीं. मोदी ने इस मौके पर कांग्रेस का दूसरे दलों का जिक्र तो नहीं किया, लेकिन साफ है उनके निशाने पर वो सभी पार्टियां रहीं जिन पर वंशवाद का आरोप लगता है.
बीजेपी के बारे में मोदी ने कहा, "बीजेपी सौ फीसदी लोकतांत्रिक पार्टी है. हमारे यहां निर्णय लेने से लेकर उसे लागू करने में लोकतंत्र है."
सिर्फ इतना ही नहीं, मोदी ने विस्तार से समझाया, "सोचने से लेकर कार्य को लागू करने में लोकतंत्र, ये लोकतांत्रिक संस्कार बहुत काम का जो हमें सिखाया जाता है."
लुटिएंस से बाहर शिफ्ट होने वाली बीजेपी पहली पार्टी
देश में लोकतंत्र को लेकर मोदी का कहना रहा, "भारत में राजनीतिक दल बनाना मुश्किल काम नहीं, बहुदलीय व्यवस्था हमारे लोकतंत्र की खूबसूरती है. आज भी देश में कई राजनीतिक दल हैं, जिनकी विचारधाराएं अलग हैं. सभी राजनीतिक दलों के तरीके अपने-अपने हैं."
लेकिन मोदी ने मौजूदा स्थिति को नाकाफी बताया, "अभी भी हमारे देश मे लोकतांत्रिक दलों की रचना कार्यशैली पर बहुत कुछ होना जरूरी है."
बीजेपी के सीनियर साथियों और मार्गदर्शक मंडल के साथ पहुंचे मोदी के भाषण में एक डिस्क्लेमर भी सुनने को मिला - 'ये किसी व्यक्ति विशेष के सपने को पूरा करने के लिए कार्यालय नहीं ये देश के समस्त लोगों के सपने को पूरा करने वाला है. पार्टी कार्यकर्ता इसे सिर्फ बीजेपी का नहीं अपना कार्यालय मान कर चलें.'
विपक्षी दलों पर दबाव बनाने की कवायद
एमसीडी चुनावों से पहले मोदी सरकार ने वीआईपी कल्चर खत्म करने का बड़ा फैसला किया. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आम आदमी का अकेला नुमाइंदा होने की दावेदारी पर ये बड़ा राजनीतिक प्रहार था. बीजेपी को इसका फायदा भी मिला. चुनाव नतीजे इस बात के सबूत बने.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के करीब एक दशक बाद भी किसी भी राजनीतिक दल ने दफ्तर शिफ्ट करने जैसा कदम नहीं उठाया. दिसंबर 2010 के बाद से किसी भी राजनीतिक दल को नया बंगला अलॉट नहीं किया गया है. बावजूद इसके कांग्रेस ही नहीं, जेडीयू, आरजेडी, एआईएडीएमके, शिवसेना, शिरोमणि अकाली दल, आरएलडी, जेडीएस और आप का कब्जा बरकरार है.
अब बीजेपी ने अपना नया दफ्तर दिल्ली के लुटिएन बंगला जोन से बाहर ले जाकर अपने विरोधी राजनीतिक दलों पर दबाव बढ़ा दिया है. हालांकि, सवाल यही होगा कि दूसरे राजनीतिक दलों पर इसका कितना असर पड़ेगा? कांग्रेस तो अभी एक्सटेंशन ही चाह रही है और अभी तक ऐसा कुछ सामने नहीं आया है कि दफ्तर को लेकर उसका इरादा क्या है? आम आदमी पार्टी की सतत चलने वाली लड़ाइयों में दफ्तर भी तो एक आइटम है ही.
इन्हें भी पढ़ें :
नीतीश कुमार के लुटिएंस बंगले के पीछे असली राज ये है
कैसे मान लें कि चुनाव 2019 से पहले नहीं होंगे - मोदी के भाषणों से तो नहीं लगता!
कहीं BJP-RSS से मिला हुआ तो नहीं है मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड?
आपकी राय