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Updated: 07 अक्टूबर, 2017 03:36 PM
अशोक उपाध्याय
अशोक उपाध्याय
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बिगड़ते आर्थिक हालात को लेकर इन दिनों नरेंद्र मोदी सरकार हर तरफ से हमले झेल रहीं है. विपक्ष तो सरकार पर धारदार हमला कर ही रहा है साथ ही साथ अटल बिहारी वाजपेयी के दो वरिष्ट मंत्रियों, यशवंत सिन्हा एवं अरुण शौरी ने भी हाल के दिनों में केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों पर जबरदस्त हमला किया है. सरकार हर तरफ से चक्रव्यूह में घिरी नजर आ रही है. इस चक्रव्यूह से निकलने के लिए प्रधानमंत्री ने अभिमन्यु की तरह कंपनी सेक्रेटरीज़ को संबोधित करते हुए चक्रव्यूह को भेदने और अपने आलोचकों को मुंहतोड़ जवाब देने का प्रयास किया. उनके जवाब का तल्ख एवं धारदार जवाब भी मिला. इस अर्थशास्त्र के वाद-विवाद में दोनों पक्षों ने महाभारत के कई किरदारों का भी उल्लेख किया एवं एक दूसरे को नीचा दिखाने का भरपूर प्रयास किया. एक नजर डालते हैं इन किरदारों पर.

मोदी, महाभारत, राजनीति, अर्थव्यवस्था   वर्तमान परिपेक्ष में अरुण शौरी प्रधानमंत्री को हतोत्साहित करते नजर आ रहे हैंशल्य

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा की कुछ लोगों को महाभारत के शल्य की तरह नकारात्मकता-गंदगी फैलाने में आनंद आता है. शल्य नकुल और सहदेव के मामा थे. महभारत के युद्ध में वो पांडवों की तरफ से लड़ना चाहते थे पर दुर्योधन ने छल से उन्हें अपनी तरफ कर लिया था. शल्य को कर्ण का सारथी बनाया गया था. वो भगवान कृष्ण के स्तर के सारथी थे. लड़ाई में उनका शरीर भले ही कौरव के साथ था पर दिल पाण्डव के पक्ष में था. युद्ध के दौरान शल्य ने कौरव पक्ष और कर्ण को हतोत्साहित करने का ही काम किया. जिससे कर्ण जैसा महान धनुर्धारी भी हतोत्साहित हो गया. प्रधान मंत्री मोदी शल्य के बहाने शायद अपनी ही पार्टी के नेता यशवंत सिन्हा और भाजपा के पूर्व मंत्री अरुण शौरी पर निशाना साध रहे थे.

मोदी, महाभारत, राजनीति, अर्थव्यवस्था महाभारत में जो स्थिति भीष्म की थी वही स्थिति भाजपा में सिन्हा की हैभीष्म पितामह

यशवंत सिन्हा ने नरेंद्र मोदी के शल्य वाले बयान पर तुरंत पलटवार किया. उन्होंने कहा कि,'महाभारत में हर प्रकार के चरित्र हैं, शल्य भी उनमें से एक हैं. शल्य कौरवों की ओर कैसे शामिल हुए इसकी कहानी सबको पता है. दुर्योधन ने उन्हें ठग लिया था. शल्य नकुल और सहदेव के मामा थे. वो पांडवों के साथ लड़ना चाहते थे लेकिन ठगी का शिकार हो गए. महाभारत में ही एक अन्य चरित्र हैं भीष्म पितामाह. भीषण पितामाह पर आरोप है कि जब द्रौपदी का चीर हरण हो रहा था तब वो खामोश रह गए. अब अगर अर्थव्यवस्था का चीर हरण होगा तो मैं बोलूंगा.' यानी वो अपने आप को महाभारत काल का नहीं बल्कि आज के भीष्म मानते हैं. वो मोदी सरकार को चुनौती देते हैं एवं कहते हैं की वो अर्थव्यवस्था का चीर हरण नहीं करने देंगे.

मोदी, महाभारत, राजनीति, अर्थव्यवस्था   अमित शाह के बारे में जहा जाता है कि उनकी कूटनीति कमाल की हैदुर्योधन एवं दुःशासन

यशवंत सिन्हा कांग्रेस के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी की किताब के विमोचन कार्यक्रम में पहुंचे एवं एकबार फिर से प्रधान मंत्री मोदी पर हमला किया.  उन्होंने कहा की कुल लोग शल्य के बारे में बात कर रहे हैं.  मुझे नहीं पता कि वे शल्य के बारे में कितना जानते हैं पर 'महाभारत के दो प्रसिद्ध पात्र हैं दुर्योधन और दुःशासन. कौरव 100 भाई थे. इनमें से केवल दो प्रसिद्ध हुए, दुर्योधन और दुःशासन. ये दोनों भाई महाभारत के प्रमुख खलनायक थे. ठीक नरेंद्र मोदी के अंदाज में यशवंत सिन्हा ने भी उनका और अमित शाह का नाम लिए बिना ही उनपर निशाना साधा एवं उनको दुर्योधन एवं दुःशासन बता दिया.

मोदी, महाभारत, राजनीति, अर्थव्यवस्था   आजके इस राजनीतिक रण में जयंत सिन्हा ही अर्जुन हैं अर्जुन

महाभारत के आरंभ में ही पितामाह, गुरू, ज्ञातिजन तथा संबंधियों को अपने विपक्षी दल में देखकर अर्जुन के अंग शिथिल हो गए और उसने युद्ध करने से इन्कार कर दिया. उन्होंने कहा की मैं इनपर कैसे हमला करूँगा? श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाया एवं युद्ध के लिए प्रेरित किया. यशवंत सिन्हा के पुत्र जयंत सिन्हा की स्थिति ठीक वैसी ही हो गई है. वो मोदी सरकार में मंत्री हैं. उनको न केवल सरकार का बचाव करना पड़ रहा है बल्कि अपने पिता के विचारों के ठीक विपरीत एक लेख लिखना पड़ा. यानी की वो आज के अर्जुन बन गए हैं.

मोदी, महाभारत, राजनीति, अर्थव्यवस्था आज फैसलों के बाद मोदी केवल एक आदमी पर आश्रित हैं जोकि बिल्कुल भी नहीं होना चाहिएधृतराष्ट्र

महाभारत में धृतराष्ट्र हस्तिनापुर के राजा थे. वो जन्मजात अंधे थे. महाभारत के युद्ध का एक बहुत बड़ा कारण उनके पुत्र मोह को भी माना जाता है. चूँकि वे अंधे थे, इसलिये ताजा घटनाओं को जानने-समझने के लिये संजय पर निर्भर रहते थे. पुरे महाभारत के युद्ध का ताजा वृतांत भी उन्हें संजय से ही ज्ञात होता था. अज्ञात कारणों से उन्हें संजय पर अगाध विश्वास था. धृतराष्ट्र पुत्र मोह में अपना राज सही तरीके से नहीं चला पाए और आखिर उसे गंवा बैठे. वर्तमान सरकार के मुखिया नरेंद्र मोदी को धृतराष्ट्र से सबक लेना चाहिए. जैसे उनको पुत्र मोह था वैसे ही प्रधान मंत्री को सत्ता का मोह नहीं होना चाहिए. अगर मोदी भी धृतराष्ट्र की तरह वास्तविक परिस्थियों से आंखें मोड़ लेंगे एवं सारी जानकारियों के लिए केवल एक संजय पर निर्भर रहेंगे तो शायद उनका भी राज बहुत दिनों तक नहीं चलेगा.

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लेखक

अशोक उपाध्याय अशोक उपाध्याय @ashok.upadhyay.12

लेखक इंडिया टुडे चैनल में एडिटर हैं.

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