क्या Congress, क्या BJP चुनाव से पहले फैसला सड़क पर ही!
पूर्व में मुजफ्फरनगर में भाजपा समर्थकों का पीएम के खिलाफ बात करने वाले को मरना वर्तमान में रायबरेली में कांग्रेसी समर्थकों का भाजपा समर्थक को मारना कह सकते हैं पक्ष और विपक्ष में बोलने से पहले हमें सोच लेना चाहिए कि कहीं पिटाई न हो जाए.
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आम चुनाव नजदीक हैं. 2014 से 2019 के बीच देश में कई चीजें बदल चुकी हैं. जैसे हालात हैं, आज लोगों ने अपने को गुटों में बांट लिया है. लोग अपने-अपने गुटों में हैं और खुश हैं. ये अपने आप में हैरतंगेज है कि विचारधारा की लड़ाई आज हम पर इस तरह हावी हो गई है कि एक गुट दूसरे गुट को बिल्कुल भी पसंद नहीं कर रहा है. मामला कितना संगीन है इसे एक खबर से समझ लीजिये. मामला उत्तर प्रदेश के रायबरेली का है. रायबरेली में कांग्रेसी समर्थकों से एक भाजपा समर्थक की पिटाई कर दी है.
दरअसल हुआ ये था कि रायबरेली में कांग्रेसी समर्थक चौकीदार बने पीएम मोदी पर भद्दी टिप्पणियां कर रहे थे और उनके खिलाफ नारे लगाते हुए कह रहे थे कि 'चौकीदार चोर है.' बात देश के प्रधानमंत्री की अस्मिता से जुड़ी थी तो विरोध के स्वर बुलंद होने स्वाभाविक थे. रायबरेली में भी एक भाजपा समर्थक ने कांग्रेसियों के इस नारे का विरोध किया और पूछा कि 'चौकीदार क्यों चोर है?' सवाल कांग्रेसी नेताओं और समर्थकों को बुरा लग गया. फिर क्या था उन्होंने हाथों से, लातों से, जूतों से उस भाजपा समर्थक की पिटाई कर दी.
क्या कांग्रेस क्या भाजपा विरोध के मामले में कोई किसी से कम नहीं है
मीडिया से हुई बातचीत में घायल भाजपा समर्थक ने बताया कि वो हार्ट का मरीज है और उसने सिर्फ पीएम को चोर कहने वालों से सवाल किया था बदले में उसे बुरी तरह मारा गया.
शर्मनाक : गांधी परिवार के गढ़ रायबरेली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी की तस्वीरें देखिए - लगा रहे थे #ChowkidarChorHai का नारा, PM @narendramodi के समर्थक ने जताया ऐतराज़, पूछा #ChowkidarKyonChorHai ? तो कर दी पिटाई ????♂️ pic.twitter.com/1DnNKPRF8f
— Samir Abbas (@TheSamirAbbas) March 18, 2019
रायबरेली में हुई ये घटना और इस घटना में कांग्रेसी समर्थकों का एक भाजपा समर्थक को बेरहमी से मारना भारतीय राजनीति के इस मौजूदा वक़्त का चाल, चरित्र और चेहरा हमारे सामने लाकर खड़ा कर देता है. इस मामले में भाजपा समार्थक ने मार खाई है, जबकि कांग्रेसियों पर हिंसा का आरोप है. इस मामले को देखकर हम बिल्कुल भी इस बात के पक्षधर नहीं हैं कि भाजपा दूध की पार्टी है और दोषी कांग्रेस है. कह सकते हैं कि जिसको जहां मौका मिल रहा है वो अपने स्तर पर फैसला ले रहा है और अपने को महान साबित कर रहा है.
इस बात को हम इसी साल 8 मार्च को घटित हुई एक घटना से भी समझ सकते हैं. उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक युवक ने बेरोजगारी को लेकर सवाल किया था. भाजपा नेताओं को युवक का ये सवाल बुरा लगा और उन्होंने मौके का फायदा उठाते हुए युवक की बेरहमी से पिटाई कर दी.
BJP workers brutally beating up a young guy in Muzzafarnagar..
Why? Because this guy questioned govt's lies on jobs and education during a media debate. #ModiHaiToMumkinHaipic.twitter.com/T36YHamB3Q
— Dhruv Rathee (@dhruv_rathee) March 7, 2019
सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस घटना के वीडियो का यदि अवलोकन किया जाए तो मिलता है घटना एक टीवी चैनल के शूट के दौरान की है. टीवी शो के शूट के दौरान युवक ने बीजेपी सरकार के खिलाफ आवाज उठाई थी और कहा था कि सरकार युवाओं को रोजगार मुहैया कराने में असमर्थ है. युवक के इस सवाल से भाजपा कार्यकर्ताओं का पारा सातवें आसमान पर चला गया और उन्होंने कानून अपने हाथ में लेते हुए युवक को बुरी तरह मारा.
इस मामले में मुज़फ्फरनगर के भाजपा कार्यकर्ता उतने ही निरंकुश और अराजक थे जितने रायबरेली में कांग्रेसी कार्यकर्ता. यानी कहीं भी कोई किसी से कम नहीं है. जिसको जहां मौका मिल रहा है वो वहां शक्ति प्रदर्शन कर दूसरे की बुलंद आवाज को सदा के लिए दबा दे रहा है. जैसा देश का माहौल है साफ है कि, 2014 से 2019 के बीच फर्क बस इतना आया है कि पहले बुलंद आवाजों पर जुबानी वार होते थे अब बाकायदा हाथापाई होती है. आज के परिदृश्य में हाथापाई का अंदाज कुछ ऐसा है कि हमें पता ही नहीं चलता कि हम हमारी विचारधारा हमारे विवेक पर हावी हो गई और उसने हमें इंसान से एक बर्बर पशु में तब्दील कर दिया.
चाहे हमारा आस पड़ोस हो या फिर सोशल मीडिया. आज जिस तरह का माहौल तैयार हुआ है ये भी साफ हो गया है कि अब मतदान , वोट, लोकतंत्र जैसी चीजों से हमें कोई मतलब नहीं है. अब मौके पर चौका मारने का दौर है. आज विजेता वही माना जाएगा जिसे मौके पर फैसला लेना और विरोधी स्वरों को दबाना आता है.
हम बस ये कहते हुए अपनी बात को विराम देंगे कि, अब वो वक़्त आ गया है जब हमें इस बात का फैसला करना होगा कि क्या अब देश ऐसे ही चलेगा और भैंस उसी के पास रहेगी जिसकी लाठी दूसरे की अपेक्षा ज्यादा मजबूत होगी. साथ ही हमें अपने आप से ये भी सवाल करना होगा कि कहीं हमारी विचारधारा के चलते हमारा लोकतंत्र तो शर्मिंदा नहीं हो रहा.
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