अब जेपी की विरासत पर दावेदारी की होड़
राजनीति के हिसाब से देखें तो कह सकते हैं कि अच्छे दिन आने वाले हैं. कम से कम जेपी के नाम पर सही जातिवाद में उलझी राजनीति ने किसी विचारधारा की ओर रुख तो किया है.
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जीतन राम मांझी और बीजेपी का आपस में हाथ मिलाना. अंबेडकर जयंती पर राजनीतिक दलों के कार्यक्रमों की भरमार. आरजेडी-जेडीयू-कांग्रेस का चुनावी महागठबंधन. बिहार की राजनीति में ये सब जातीय समीकरणों की देन हैं.
कुछ देर के लिए ही सही, बिहार में राजनीतिक बयार बदली नजर आ रही है. राजनीति के हिसाब से देखें तो कह सकते हैं कि अच्छे दिन आने वाले हैं. कम से कम जेपी के नाम पर सही जातिवाद में उलझी राजनीति ने किसी विचारधारा की ओर रुख तो किया है.
जेपी की विरासत पर नजर
इमरजेंसी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि तत्कालीन सरकार ने सत्ता सुख के लिए देश को जेलखाना बना दिया था.
एक कार्यक्रम में मोदी ने कहा, "लोकनायक जयप्रकाश नारायण का योगदान अतुलनीय है. इमरजेंसी के दौरान जेपी से प्रेरित होकर लाखों लोग लोकतंत्र की रक्षा के लिए निस्वार्थ भाव से आगे आए. जेल गए. मुझे खुशी है कि हमारी कैबिनेट ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी की स्मृति में राष्ट्रीय स्मारक बनाने का निर्णय किया है."
संस्कृति मंत्रालय के जिस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिली है उसके मुताबिक बिहार के सिताब दियारा में एक राष्ट्रीय स्मारक बनाया जाएगा. साथ ही एक वर्चुअल म्यूजियम भी स्थापित किया जाएगा जिसमें जेपी के जीवन और भारतीय लोकतंत्र में उनके योगदान को प्रदर्शित किया जाएगा. इसके साथ ही सरकार की योजना यहां खादी को बढ़ावा देने वाले एक केंद्र खोलने की भी है जहां खादी के रचनात्मक प्रयोग को बढ़ावा दिया जाएगा. यह संस्थान खादी के गौरव को बढ़ाने का काम करेगा. खादी से राष्ट्रीय झंडे के निर्माण का काम भी यहां होगा.
खबर है कि झारखंड की बीजेपी सरकार जेपी आंदोलन में हिस्सा लेनेवालों को सम्मानित करने जा रही है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस आशय का आदेश दे दिया है. जल्द ही सरकार इसकी अधिसूचना जारी करनेवाली है.
जेपी की विरासत पर दावेदारी
लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, सुशील कुमार मोदी, रविशंकर प्रसाद जैसे नेता जेपी आंदोलन की ही उपज हैं. एक ऐसा भी दौर रहा जब ये सभी एक साथ, एक मंच से एक जैसी बातें करते रहे. अब इनके मंच बदल गए हैं. वैसे इन सभी से बात की जाए तो घंटों जेपी के संस्मरण सुनाते रहेंगे. ये खुद को जेपी का सबसे करीबी और दूसरों को जेपी की विचार धारा से भटक जाने का आरोप लगाते हैं.
बीजेपी कह रही है कि इमरजेंसी के लिए जिम्मेदार कांग्रेस से लालू और नीतीश ने हाथ मिला लिया है. तो, लालू कह रहे हैं कि जेपी से उनकी करीबी उन नेताओं को नागवार गुजर रही थी जो आज बीजेपी में हैं.
कांग्रेस आरोप लगाती रही है कि बीजेपी उसके प्रतीक पुरुषों को हाइजैक कर रही है. कम से कम जेपी के बारे में कांग्रेस ऐसा तो नहीं ही कह सकती.
जो लालू प्रसाद और नीतीश कुमार इमरजेंसी का विरोध किए थे वे आज कांग्रेस के साथ खड़े हैं. नीतीश की तो सरकार भी उसी कांग्रेस के समर्थन पर चल रही है. यानी, आपातकाल के विरोधी इमरजेंसी थोपने वाले के साथ खड़े हैं. 40 साल बाद सब कुछ बदल गया है.

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