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Updated: 07 अक्टूबर, 2019 01:19 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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Single use plastic ban करने की बात तो खूब हो रही है, लेकिन इसका विरोध करने वालों की भी कमी नहीं है. जहां एक ओर मोदी सरकार प्लास्टिक से होने वाले नुकसान का हवाला देकर इस पर बैन लगाने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर विरोध करने वाले ये पूछ रहे हैं कि बैन लगाने के बाद उन लोगों का क्या होगा, जिन्हें सिंगल यूज प्लास्टिक के चलते रोजगार मिला है. सवाल तो जायज है, लेकिन अभी सरकार की मंशा पर सवाल उठाना सही नहीं होगा. वैसे भी, अभी तो सिर्फ पीएम मोदी ने अपील की है. वास्तव में बैन लगाए जाने की घोषणा होना तो अभी बाकी है. वैसे भी सिंगल यूज प्लास्टिक का दायरा बहुत बड़ा है. डिस्पोजल कप-प्लेट-चम्मच से लेकर पानी की प्लास्टिक की बोतलें सिंगल यूज प्लास्टिक हैं. इसके अलावा वो सब सिंगल यूज प्लास्टिक है, जिसका इस्तेमाल पैकेजिंग के लिए होता है, खासकर एफएमसीजी सेक्टर में. यहां तक कि दूध की आधा लीटर, एक लीटर की थैलियां भी सिंगल यूज प्लास्टिक हैं.

ऐसे में ये सवाल तो उठता है कि अगर इन्हें बंद किया जाएगा तो विकल्प क्या होगा? लेकिन हो सकता है कि मोदी सरकार सभी सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाए ही नहीं. वैसे भी, सिंगल यूज प्लास्टिक का दायरा इतना बड़ा है कि उस पर चरणों में ही बैन लगाया जा सकता है. हो सकता है कि शुरुआती चरण में सिर्फ प्लास्टिक के कैरी बैग, कप-प्लेट-चम्मच आदि पर बैन लगे, जिसकी संभावनाएं अधिक हैं. वैसे भी, अगर दुनिया भर में सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगाने के पैटर्न को देखें तो ये साफ होता है कि हर देश ने इसे विभिन्न चरणों में पूरा किया, ना कि एक ही बार में पूरे देश में सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगा दिया. खैर, मोदी सरकार सख्त फैसले लेने के लिए ही जानी जाती है. ऐसे में हो सकता है कि वो फिर कोई सख्त फैसला ले ले. हालांकि, अगर सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह से एक ही बार में बैन लगाने का सख्त फैसला मोदी सरकार लेती है तो इसका नतीजा बुरा ही होने वाला है. एक नजर डालिए दुनिया पर, कैसे उन्होंने सिंगल यूज प्लास्टिक पर वार किया है.

प्लास्टिक, मोदी सरकार, बैनदुनिया ने जैसे प्लास्टिक बैन किया, भारत को भी वैसा ही करना चाहिए.

वो देश जिन्होंने मजबूरी में बैन किया प्लास्टिक:-

बांग्लादेश: बाढ़ से मची तबाही तो आंख खुली

प्लास्टिक बैग पर बैन लगाने के मामले में बांग्लादेश हर देश के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है. हालांकि, ये भी सच है कि बांग्लादेश ने प्लास्टिक बैग पर बैन पर्यावरण को बचाने के लिए नहीं, बल्कि अपने देश को बचाने के लिए लगाया था. दरअसल, 1990 के दशक में बांग्लादेश में कई बार बाढ़ आई. स्थिति तो इतनी गंभीर हो गई थी कि 80 फीसदी तक शहरों में पानी ही पानी भरा दिखने लगा थआ. इसकी सबसे बड़ी वजह थी ड्रेनेज सिस्टम में प्लास्टिक बैग्स का फंस जाना. बाढ़ की भयावह स्थिति से निपटने के लिए बांग्लादेश ने 2002 में ही प्लास्टिक बैग पर बैन लगा दिया था. इसे सख्ती से लागू करने के लिए सजा और जुर्माने का प्रावधान भी किया गया. प्लास्टिक बैग बनाने, आयात करने या मार्केटिंग पर 10 साल की जेल और 10 लाख बांग्लादेशी टका का जुर्माना रखा गया. साथ ही इसे बेचने, रखने और डिस्ट्रिब्यूट करने पर 6 महीने की सजा और 10 हजार टका का जुर्माना तय किया गया. हालांकि, अभी भी बांग्लादेश पूरी तरह से प्लास्टिक बैग से मुक्त नहीं हो पाया है, क्योंकि कानून को पूरी सख्ती के साथ लागू नहीं किया गया.

केन्या: दुनिया का सबसे सख्त प्लास्टिक बैन

नेशनल एनवायरमेंटल मैनेजमेंट एजेंसी (NEMA) ने एक स्टडी की, जिससे ये बात सामने आई कि अरबन इलाकों के नदजीक रहने वाले 50 फीसदी से अधिक कैटल (गाय-भैंस) के पेट में प्लास्टिक बैग पाए गए. ऐसे में जरूरी हो गया कि प्लास्टिक पर बैन लगाया जाए और केन्या ने प्लास्टिक बैग पर बैन लगाने का दुनिया का सबसे सख्त फैसला किया. इसके तहत प्लास्टिक बैग बनाना, बेचना और यहां तक कि उसमें कोई सामान ले जाते हुए पकड़े जाने पर भी 40 हजार डॉलर का जुर्माना और 4 साल तक की जेल का प्रावधान किया गया. सरकार की मानें तो इस सख्ती के बाद अब तक केन्या में प्लास्टिक बैग की वजह से होने वाला प्रदूषण 80 फीसदी तक नियंत्रित किया जा चुका है.

वो देश, जिन्होंने भविष्य को देखते हुए लगाया प्लास्टिक पर बैन:-

भारत इस लिस्ट में सबसे नया सदस्य है, जिसने अभी तक बैन को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा तो नहीं की है, लेकिन 15 अगस्त को ही पीएम मोदी ने लोगों से सिंगल यूज प्लास्टिक को इस्तेमाल ना करने कम से कम इस्तेमाल करने की अपील की थी. ये माना जा रहा है कि 2 अक्टूबर से प्लास्टिक बैग, डिस्पोजल कप-प्लेट-गिलास और स्ट्रॉ पर बैन लगाया जा सकता है. खैर, ये देखना दिलचस्प रहेगा कि किन-किन सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगता है.

यूके ने 2018 में माइक्रोबीड्स वाले प्रोडक्ट बेचने पर बैन लगाया था. आपको बता दें कि ये प्लास्टिक के बेहद छोटे-छोटे कण होते हैं, जो शॉवर जेल और फेस वॉश आदि में डाले जाते हैं. प्लास्टिक होने की वजह से ये सालों-साल तक नहीं खत्म होते. इंग्लैंड और स्कॉटलैंड में ये बैन लगाया जा चुका है और कम से कम माइक्रोबीड्स को समुद्र में पहुंचने और समुद्री जीवन बर्बाद करने से रोकने की पहल की गई है. अप्रैल 2020 तक प्लास्टिक स्ट्रॉ और कॉटन बड्स पर भी बैन लगाया जाना है.

ताइवान ने 2018 में ये घोषणा की थी कि 2030 तक सिंगल यूज प्लास्टिक को खत्म करना है. इसके तहत पहले चरण में रेस्टोरेंट में इस्तेमाल होने वाले स्ट्रॉ को 2019 में बैन किया गया. 2020 में हर डाइनिंग आउटलेट में स्ट्रॉ को बैन कर दिया जाएगा. इसी के साथ प्लास्टिक बैग और डिस्पोजेबल फूड कंटेनर्स पर भी ताइवान बैन लगा चुका है. इस तरह धीरे-धीरे आने वाले 10 सालों में सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्ति पाई जा सकेगी.

न्यूजीलैंड ने अगस्त 2018 में सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगा दिया था. जो रिटेलर्स ऐसे बैग बेचते हैं या देते हैं, उन पर 10 हजार डॉलर का जुर्माना लगाना का प्रावधान है. न्यूजीलैंड में करीब 75 करोड़ प्लास्टिक शॉपिंग बैग हर साल इस्तेमाल किए जाते थे, जिन्हें देखते हुए ये बैन लगाया गया.

जिम्बाब्वे ने जुलाई 2017 में फूड इंडस्ट्री को आदेश दिए थे कि वह पॉलीस्टीरीन, जो कि एक फोन जैसा मटीरियल होता है, उससे बने फूड कंटेनर्स का इस्तेमाल बंद कर दे, क्योंकि इन्हें गलने में हजारों साल लग जाते हैं. जो भी इसका उल्लंघन करेगा, उस पर 30 डॉलर से 5000 डॉलर तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है.

कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने 10 जून 2019 को प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए सख्त कदम उठाने की बात कही थी. 2021 तक देश में पानी की बोतलें, प्लास्टिक बैग और स्ट्रॉ बैन किए जाने की योजना है. माइक्रोबीड्स वाले प्रोडक्ट्स बनाने और आयात करने पर 1 जुलाई 2018 से ही बैन लगाया जा चुका है.

फ्रांस ने सितंबर 2016 में प्लास्टिक कप, प्लेट और यूटेंसिल्सपर बैन लगा दिया था और ऐसा करने वाला उस समय पहला देश था. जुलाई 2016 में फ्रांस पहले ही प्लास्टिक बैग पर बैन लगा चुका था. एनर्जी ट्रांसजिशन फॉर ग्रीन ग्रोथ एक्ट के तहत अगला नियम 2020 में लागू होगा, जिसके तहत डिग्रेड होने वाले प्रोडक्ट्स बनाने पर जोर दिया जाएगा.

अमेरिका में पूरे देश में तो प्लास्टिक बैग पर बैन नहीं है, लेकिन अलग-अलग राज्यों में बैन है. जैसे न्यूयॉर्क, कैलिफोर्निया और हुवावे ने सिंगल यूज प्लास्टिक बैग पर पूरी तरह से बैन लगाया हुआ है. हालांकि, उन प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल करने की इजाजत है तो 100 फीसदी रिसाइकिल किए जा सकते हैं.

सिक्किम हो सकता है सबसे बड़ा उदाहरण

अगर सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगाने के मामले में हम सिक्किम को देखें तो ये साफ होता है कि ये जंग जीतना मुश्किल तो है, लेकिन नामुमकिन नहीं. 1998 से सिक्किम में सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ जंग शुरू हुई थी. 2016 तक सिक्किम ने ये जंग जीत ली. सिक्किम मॉडल पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत हो सकता है और इसे पूरे देश में लागू भी किया जा सकता है. लेकिन यहां भी एक बात ध्यान देने की ये है कि सिक्किम ने एक ही बार में सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन नहीं किया, बल्कि एक के बाद एक विभिन्न चरणों में इसे लागू किया और सफलता पाई. खैर, सिक्किम के लिए ये थोड़ा आसान इसलिए भी था, क्योंकि वह एक छोटा राज्य है, जबकि अगर पूरे देश की बात करें तो तस्वीर बहुत बड़ी है. हालांकि, बावजूद इसके विभिन्न चरणों में पूरे देश से सिंगल यूज प्लास्टिक को खत्म किया जा सकता है.

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