Batla House Encounter: आतंकी आरिज खान को फांसी कांग्रेस की भी 'सजा'
Batla House Encounter Case Verdict: बाटला हाउस एनकाउंटर के बाद सलमान खुर्शीद ने कहा था, 'जब उन्होंने बाटला हाउस एनकाउंटर की तस्वीरें सोनिया गांधी को दिखाई तब उनकी आंखों में आंसू आ गए'. इस केस में फैसला आने के बाद कांग्रेस नेताओं बयान एक बार फिर सुर्खियों में आ गए हैं.
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बाटला हाउस एनकाउंटर केस में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने सोमवार को इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी आरिज खान को मौत की सजा सुनाई है. इतना ही नहीं कोर्ट ने इसे रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस भी माना है. दिल्ली में साल 2008 में हुए बाटला हाउस एनकाउंटर केस में इंस्पेक्टर मोहनचंद्र शर्मा की हत्या के लिए आरिज को 8 मार्च को दोषी करार दिया गया था. इस फैसले के बाद कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं के वे बयान फिर सुर्खियों में आ गए, जो उस वक्त इस एनकाउंटर को फर्जी बता रहे थे. यहां तक की दिल्ली पुलिस के शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा को भी सवालों के घेरे में ला दिया था.
वेस्ट बंगाल में मचे सियासी घमासान के बीच आए बाटला हाउस एनकाउंटर केस के फैसले ने बीजेपी को भी बोलने को सुनहरा मौका दे दिया है. बिना देर किए बीजेपी ने कांग्रेस सहित विपक्ष की उन सभी पार्टियों के बयान याद दिला दिए, जिन्होंने बकायदा घटनास्थल पर जाकर फेक बताया था. इस एनकाउंटर के खिलाफ जांच की मांग की थी. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि सोनिया गांधी, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी और दिग्विजय सिंह ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए थे. एक तरह से आतंकवादियों के साथ पक्षपात किया था. इन सभी नेताओं को अब राष्ट्र से माफी मांगनी चाहिए.
इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी आरिज खान को मौत की सजा
19 सितंबर 2008 की सुबह दिल्ली के बाटला हाउस में हुए इस एनकाउंटर के बाद पूरे देश का सियासी तापमान बढ़ गया था. एनकाउंटर को लेकर राजनीतिक दल दो धड़ों में बंट गए थे. एक तरफ बीजेपी थी, जो एकजुट होकर एनकाउंटर का समर्थन कर रही थी, तो दूसरी तरफ कांग्रेस थी, जो अन्य विपक्षी दलों के साथ इसे फेक बता रही थी. कांग्रेस के बड़े नेता सोनिया गांधी, दिग्विजय सिंह, सलमान खुर्शीद, तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी के तत्कालीन नेता अमर सिंह एनकाउंटर को फेक बताते हुए इसकी न्यायिक जांच की मांग कर रहे थे.
आइए जानते हैं, किस राजनेता ने कब-क्या कहा था...
सलमान खुर्शीद: 10 फरवरी 2012 को आजमगढ़ में एक रैली को संबोधित करते हुए तत्कालीन कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा था, 'जब उन्होंने बाटला हाउस एनकाउंटर की तस्वीरें सोनिया गांधी को दिखाई तब उनकी आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने पीएम से बात करने की सलाह दी थी.'
दिग्विजय सिंह: 10 फरवरी 2010 को कांग्रेस वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा था, 'एनकाउंटर में मारे गए बच्चों को गुनहगार या निर्दोष साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं हैं. मेरी मांग है कि इस मामले की जल्द सुनवाई हो. एक बच्चे के सिर पर पांच गोलियां लगी थीं. यदि यह एनकाउंटर था तो सिर पर पांच गोलियां कैसे मारी गई.' दिग्विजय सिंह ने बटला हाउस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस की भूमिका पर लगातार सवाल उठाया था.
ममता बनर्जी: 17 अक्टूबर 2008 को जामिया नगर में जनसभा को संबोधित करते हुए तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा था, 'यह एक फर्जी एनकाउंटर था. यदि मैं गलत साबित हुई तो राजनीति छोड़ दूंगी. मैं इस एनकाउंटर पर न्यायिक जांच की मांग करती हूं.'
अमर सिंह: 17 अक्टूबर 2008 को जामिया नगर में जनसभा को संबोधित करते हुए सपा के तत्कालिक महासचिव अमर सिंह ने कहा था, 'आडवाणी जी मेरी निंदा इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि मैंने आपकी मांग का समर्थन किया है. मुझे माफी मांगने को कह रहे हैं. बीसीसी और सीएनएन जैसी विदेशी मीडिया ने भी इस एनकाउंटर पर सवाल उठाए हैं. मैं आडवाणी जी से मांग करूंगा कि वे न्यायिक जांच की मांग में मदद करें.'
'क्या माफी मांगेंगे सोनिया और दिग्विजय?'
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'एक ऐसी घटना पर फैसला आया है, जिसने देश की राजनीति को पिछले 22 सालों से प्रभावित किया है. देश की सुरक्षा और आतंकवाद के मामले में भी कांग्रेस और दूसरी पार्टियां आतंकियों के समर्थन में खड़ी होती आई हैं. बाटला हाउस मामले में कोर्ट ने पाया है कि ये भारत की एकता पर हमला था. यह आतंकी घटना थी. कई पार्टियों का मकसद था कि पुलिस को कमजोर करो और वोटबैंक की राजनीति करो. क्या अब दिग्विजय सिंह, सोनिया गांधी, ममता बनर्जी या सलमान खुर्शीद जैसे नेता अपने बयानों के लिए लोगों से माफी मांगेंगे?'
खाकी की खुद्दारी पर खादी ने उठाए सवाल
बाटला हाउस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा शहीद हो गए थे. इन एनकाउंटर पर कई सियासी सवाल खड़े किए गए. पुलिस की भूमिका को भी संदिग्ध बताया गया. आरोप लगा कि जानबूझकर एक खास समुदाय के लोगों को टारगेट किया गया. दिल्ली में हुए सीरियल बम ब्लास्ट का ठीकरा उन पर फोड़ गया. सवाल किया गया कि शहीद इंस्पेक्टर ने बुलेटप्रूफ जैकेट क्यों नहीं पहनी थी? एक आतंकी के सिर में पांच गोली लगी दिखी, तो पूछा गया कि एनकाउंटर में इतने करीब एक ही जगह पांच गोली कैसे मारी गई? इस तरह खादी ने खाकी को शक के घेरे लाने की कोशिश की थी.
दिल्ली पुलिस को NHRC ने दी क्लीन चिट
इस एनकाउंटर की न्यायिक जांच की लगातार मांग होती रही. साल 2009 में दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को दो महीने में इसकी जांच करने को कहा था. अपनी जांच के बाद एनएचआरसी ने दिल्ली पुलिस को क्लीन चिट दे दिया था. इसके बाद एक बार फिर हाईकोर्ट में इसकी न्यायिक जांच की मांग की गई, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी गई, लेकिन वहां भी निराशा हाथ लगी, सुप्रीम कोर्ट ने भी न्यायिक जांच की मांग को खारिज कर दिया. एनएचआरसी से मिले क्लीन चिट के बाद पुलिस संदेह के घेरे से बाहर हो गई.
बाटला हाउस एनकाउंटर में क्या हुआ था?
13 सितंबर 2008 को दिल्ली में 5 जगहों पर सीरियल ब्लास्ट हुए थे. इन पांच धमाकों में करीब 39 लोग मारे गए थे. दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम को इस ब्लास्ट के जांच की जिम्मेदारी दी गई. जांच के दौरान मिले सुराग के आधार पर 19 सितंबर 2008 को तड़के दिल्ली पुलिस की एक टीम बाटला हाउस इलाके में पहुंची. वहां एल-18 नंबर की इमारत को चारों तरफ से घेर लिया गया. तीसरी मंजिल पर पुलिस जैसे ही पहुंची, इंडियन मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकियों से मुठभेड़ हो गया. इसमें आजमगढ़ के रहने वाले दो संदिग्ध मारे गए, दो गिरफ्तार हुए और एक फरार हो गया.
इस एनकाउंटर में टीम का नेतृत्व कर रहे दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा को तीन गोलियां लगीं. उसी दिन होली फैमिली अस्पताल में उनका निधन हो गया. इधर गिरफ्तार संदिग्धों से पता चला कि फरार संदिग्ध का नाम आरिज खान है और उसी ने इंस्पेक्टर शर्मा पर गोली चलाई थी. इसके बाद पुलिस उसकी तलाश में लग गई. आरिज एक महीने तक कई जगहों छिपता रहा. इसके बाद वह नेपाल भाग गया. वहां अपनी पहचान छिपाकर रहने लगा. फर्जी दस्तावेजों के जरिए नेपाल की नागरिकता प्राप्त कर ली. वहां एक युवक के सहयोग से किराए पर घर मिल गया.
इसके कुछ महीने बाद उसने वोटर आईडी और पासपोर्ट भी बनवा लिए. नेपाल की ही एक युवती से शादी कर ली. उसने अपनी पत्नी को बताया कि एक विवाद में फंसने के कारण वह उसे घर नहीं ले जा सकता है. इसलिए कुछ महीनों बाद वो उसे अपने साथ ले चलेगा. इधर इस केस की जांच कर रही एजेंसियों को आरिफ के बारे में खुफिया सूचना मिल गई. साल 2018 में एक टीम ने उसे नेपाल से गिरफ्तार कर लिया. उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 307 और आर्म्स एक्ट के तहत केस चला. इस मामले में दोषी करार देते हुए कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है.

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