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Updated: 18 मार्च, 2022 09:51 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
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भाजपा की प्रचंड जीत और योगी आदित्यनाथ के दोबारा मुख्यमंत्री बनने के कयासों के साथ उत्तर प्रदेश के चुनाव ख़त्म हो चुके हैं. 2022 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव अपनी तरह का अलग और अप्रत्याशित चुनाव था. इस चुनाव ने जहां कई पुराने मिथक तोड़े तो वहीं इसमें ऐसा भी बहुत कुछ हुआ जो इतिहास में दर्ज हो गया जैसे रामपुर से आज़म खान और स्वार से अब्दुल्ला आज़म खा जीतना. रामपुर में आज़म को 59.71 प्रतिशत से कुल 131225 वोट मिले. रामपुर में आज़म के मुकाबले में भाजपा के आकाश सक्सेना (हनी) थे जो 76084 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. ऐसे ही अगर बात स्वार की हो तो स्वार में मुख्य मुकाबला आज़म के पुत्र अब्दुल्ला आज़म और हैदर अली खान के बीच था. स्वार में अब्दुल्ला को कुल 126162 वोट मिले और उन्होंने जीत हासिल की. कह सकते हैं कि पूरा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव एक तरफ और आज़म और अब्दुल्ला का चुनाव दूसरी तरफ था. आज़म के लिए लड़ाई जहां रामपुर में अपना वर्चस्व बचाने की थी तो वहीं योगी आदित्यनाथ को बड़ा संदेश देना भी इस चुनाव का एक अहम मकसद था.

कहने सुनने को तमाम बातें हैं लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या प्रचंड जीत आज़म और अब्दुल्ला को राहत देगी? जवाब है नहीं. अब जबकि योगी आदित्यनाथ दोबारा उत्तर प्रदेश के सीएम की शपथ लेने वाले हैं. आजम खान एंड कंपनी की फाइल नए सिरे से खुलेंगी जो किसी भी सूरत में उनकी सेहत के लिए अच्छा नहीं है.

Uttar Pradesh Assembly Elections, Samajwadi party, Azam Khan, Abdullah Azam Khan, Rampur, Jail, Yogi Adityanathभले ही आजम खान और उनके पुत्र ने अपने अपने चुनाव जीत लिए हों लेकिन अभी उनकी परेशानी ख़त्म नहीं हुई है

ध्यान रहे कि पूर्व में भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने आजम के पुत्र अब्दुल्ला के दो पासपोर्ट, दो पैन कार्ड और दो बर्थ सर्टिफिकेट को न केवल बड़ा मुद्दा बनाया बाल्की मुकदमा भी दर्ज कराया. उसी मुक़दमे के सिलसिले में स्टेट बैंक की मुख्य शाखा के चीफ मैनेजर अजय कुमार ने कोर्ट में गवाही दी है जहां कोर्ट ने उनके बयान दर्ज कर लिए हैं. क्योंकि मामले में अभी गवाही पूरी नहीं हो सकी है इसलिए अगली सुनवाई अब सात अप्रैल 2022 को निर्धारित की गयी है.

ध्यान रहे बर्थ सर्टिफिकेट मामले में आजम खान, उनकी पत्नी डा तजीन फात्मा और बेटा अब्दुल्ला नामजद हैं. जबकि पैन कार्ड मामले में आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आरोपित हैं. वहीं बात अगर पासपोर्ट मामले की हो तो वहां सिर्फ अकेले अब्दुल्ला को नामजद किया गया है.

तीनों मुकदमों में गवाही की प्रक्रिया चल रही है.क्योंकि आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम का स्टेट बैंक में एकाउंट है. इसके चलते अभियोजन ने बैंक शाखा के चीफ मैनेजर को गवाह बनाया है.

बीते कुछ वक़्त से सीतापुर जेल में बंद आजम खान उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं. साथ ही भाजपा पर बदले की राजनीति का भी आरोप लग रहा है इसलिए मांग हो रही थी कि आजम की जमानत मंजूर हो. इस सिलसिले में रिहाई के परवानों को सीतापुर जेल भले ही भेज दिया गया हो. लेकिन क्योंकि आजम खान पर मुकदमों की संख्या कोई एक दो नहीं बल्कि 87 है. इसलिए माना यही जा रहा है कि आजम के बाहर आने में अभी वक़्त है.

गौरतलब है कि अलग अलग मामलों के चलते गुजरे दो वर्षों से आजम खान जेल में बंद है. और क्यों कि आजम खान के ऊपर आरोप किसानों की जमीने कब्जाने के हैं राजनीति के गलियारों में चर्चा तेज है कि यूपी के मुख्यमंत्री हाल फ़िलहाल में उनकी तरफ रहम की निगाह से शायद ही देखें.

बात आगे बढ़ने से पहले ये बता देना भी बहुत जरूरी है कि सिर्फ जमीन जायदाद ही नहीं आजम पार आचार संहिता के उल्लंघन के मुक़दमे भी थे इसलिए आजम के अच्छे दिनों पर अब भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं.

बहरहाल, समाजवादी शासनकाल में आजम खान का शुमार सपा के कद्दावर नेताओं में होता था लेकिन जिस तरह यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें अपनी अंगुली पर नचाया है कहना गलत नहीं है कि जो खेल शुरू हुआ था वो इतनी जल्दी ख़त्म नहीं होगा. फाइलें नए सिरे से खोली जाएंगी और हिसाब किताब भी बिलकुल नयी तरह का होगा. योगी के पास आगे के 5 साल हैं. खेल ख़त्म तब होगा जब आजम और उनका कुनबा चित हो जाएगा.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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