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Updated: 17 नवम्बर, 2015 04:03 PM
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विश्‍व हिंदू परिषद के वयोवृद्ध नेता अशोक सिंघल ने अपना पूरा जीवन ही राम मंदिर आंदोलन को दे दिया. यहां तक कि उनके घर को ही आश्रम कहा जाने लगा.

-आगरा के बेहद संपन्‍न परिवार से ताल्‍लुक रखने वाले अशोक सिंघल 16 साल की उम्र से ही राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बन गए थे.

-बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से मटलर्जिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने वाले अशोक सिंघल विश्‍व हिंदू परिषद 20 साल तक अंतर्राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष रहे. खराब सेहत के कारण 2011 में यह पद प्रवीण तोगडि़या को सौंप दिया गया.

-भारतीय शास्‍त्रीय गायन का बाकायदा प्रशिक्षण लेने वाले अशोक सिंघल राम जन्‍मभूमि आंदोलन को लेकर अपने तीखे बयानों और भाषणों के लिए जाने जाते रहे. ये उन्‍हीं के नारे हैं, जैसे- 'जो हिंदू हित की बात करेगा, वही देश पर राज करेगा'. 'अयोध्‍या तो बस झांकी है, काशी मथुरा बाकी है'.

-उन्‍हीं ने पहल की और साधु-संतों को एक मंच पर आए. ताकि राम मंदिर आंदोलन में पूरा हिंदू समाज एकसाथ दिखाई दे. उन्‍होंने संतों का आह्वान करते हुए कहा कि संतों को राजनीति में दखल देना चाहिए. हिंदुओं को उनके ही राम मंदिर में पूजा नहीं करने दिया जाता है. इसके लिए संत समाज को एकजुट होकर सरकार पर दबाव डालना चाहिए.

-अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनने पर उन्‍होंने अयोध्या में राम मंदिर की मांग को लेकर आमरण अनशन किया. लेकिन अटल जी के आदेश पर उनका अनशन जबर्दस्‍ती खाना खिलवाकर तुड़वा दिया गया. तब से उन्‍होंने अटल जी से कभी बात नहीं की.

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