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Updated: 08 जनवरी, 2020 01:15 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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तारीखों का ऐलान (Delhi Assembly Elections Date) हो चुका है. जिस तरह के तेवर हैं माना यही जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल, भाजपा और कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनावों में करारी शिकस्त देंगे (Arvind kejriwal to be CM og Delhi) और एक बार फिर सरकार बनाएंगे. बात केजरीवाल की करें तो जैसा उनका आत्मविश्वास है कहीं न कहीं संकेत मिल जाते हैं कि वो आसान जीत दर्ज करेंगे. दिल्ली विधानसभा चुनावों (Delhi Assembly Elections 2020) के मद्देनजर यूं तो हमारे पास भी कहने बताने को बहुत कुछ है. मगर जब वजह तलाशें तो ऐसे कई फैक्टर निकल कर हमारे सामने आते हैं जो ये बताते हैं कि एक बार फिर दिल्ली में आम आदमी की सरकार बनेगी और अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे. बात सीधी और साफ़ है. इतिहास गवाह है. कम ही मौके आए हैं जब एक वोटर, सरकार से उम्मीद रखता है. वरना जैसा राजनीतिक ताना बाना इस देश में है, होता यही है कि वोट देने के बाद, अगले पांच सालों तक, वोटर को पूरी तरह से नजरंदाज कर दिया जाता है. वोटर जानता है कि नेता या दलों को उसकी याद तक आएगी जब अगले 5 साल बाद चुनाव दोबारा आएंगे. इस स्थिति में जब हम केजरीवाल की राजनीति का अवलोकन करें तो मामला थोड़ा अलग है. केजरीवाल ने एक नई शुरुआत की है और अपने वोटरों के बीच एक नए भोरोसे की अलग जलाई है.

अरविंद केजरीवाल, दिल्ली विधानसभा चुनाव, आप, भाजपा, Arvind Kejriwalकेजरीवाल ऐसा बहुत कुछ कर चुके हैं जिसके बाद उनकी जीत को आसान जीत माना जा सकता है

तो आइये जानें उन कारणों को जो हमें बताएंगे कि कैसे एक आसान जीत दर्ज कर दोबारा दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ सकते हैं अरविंद केजरीवाल.

बिजली, पानी और स्कूल

सवाल हो कि एक वोटर अपनी चुनी हुई सरकार से क्या चाहता है ? इस सवाल पर यूं तो हजारों शब्द लिखे जा सकते हैं. मगर बात जमीनी स्तर की जब भी आएगी, तो बिजली पानी और शिक्षा जैसे मुद्दे उठाए जाएंगे. अब जब हम इन मुद्दों को केजरीवाल के सन्दर्भ में देखें तो मिलता है कि इन मामलों को लेकर केजरीवाल ने दूसरे दलों और दूसरे नेताओं से इतर काम किया है.

ध्यान रहे कि दिल्ली में 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त है. साफ़ और पीने योग्य पानी भी लोगों को फ्री में मुहैया कराया जा रहा है. वहीं बात अगर शिक्षा की हो तो दिल्ली के सरकारी स्कूलों और उन स्कूलों में क्वालिटी एजुकेशन का हाल भी किसी से छुपा नहीं है. आज आलम कुछ यूं है कि दिल्ली के सरकार स्कूल में अपने बच्चे को प्रवेश दिलाने के लिए लोग कतार में खड़े हैं या फिर सिफारिशों का सहारा ले रहे हैं.

बिजली, पानी और स्कूल बहुत बेसिक मुद्दे हैं और कहा यही जाता है कि अगर किसी ने इनपर काम कर लिया तो वो किसी का भी दिल बड़ी ही आसानी के साथ जीत सकता है. अब क्योंकि केजरीवाल ने इस दिशा में काम किया है तो माना यही जा रहा है कि इसका फायदा उन्हें होगा और वो आसन जीत दर्ज करेंगे.

दिल्ली में भाजपा मतलब पूर्वांचल

दिल्ली एक मिक्स आबादी का शहर है. यहां कई प्रान्तों और राज्यों के लोग रह रहे हैं मगर जैसा भाजपा का रुख है आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर वो अपनी सारी ऊर्जा पूर्वांचल के लोगों को खुश करने में लगाती नजर आ रही है. इस वजह से लोग भाजपा से खासे नाराज हैं. लोगों का तर्क है कि भाजपा सिवाए पूर्वांचल के कुछ देख नहीं रही है.

कह सकते हैं कि अगर ये नाराजगी लोगों में बनी रहती है तो निश्चित रूप से इसका खामियाजा उसे आगामी विधानसभा चुनावों में भुगतना पड़ेगा और इसका सीधा फायदा आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल को मिलेगा.

कारोबारियों का केजरीवाल को समर्थन

प्रायः ये देखा गया है कि हिंदुस्तान में राजनीति का आधार जाति होता है और केजरीवाल जाति के लिहाज से बनिया हैं. साथ ही अगर उनके पिछले 5 सालों के कार्यकाल का अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि उन्होंने कुछ भी ऐसा नहीं किया है जिससे दिल्ली के बनिया वर्ग या ये कहें कि कारोबारियों को नुकसान हो.

इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि दिल्ली में जो वैध-अवैध फैक्ट्रियां हैं वो आज भी बिना किसी रोक टोक के बदस्तूर चल रही है औ उन पर कोई एक्शन नहीं लिया गया है.

यानी केजरीवाल इस वर्ग के लिए भगवान के अवतार से कम नहीं हैं अब जब बात ऐसी हो तो बनिया और कारोबारियों का केजरीवाल की तरफ झुकना और आने वाले चुनावों में उन्हें ही वोट करना लाजमी है.

पंजाबी और सिख समुदाय

कारोबारियों के अलावा बात अगर पंजाबी और सिख समुदाय की हो तो उनका भी केजरीवाल के प्रति झुकाव किसी से छुपा नहीं है. चाहे दिल्ली में रह रहे विस्थापित पाकिस्तानी पंजाबी हो या फिर खुद पंजाब में रह रहे पंजाबी इस समुदाय के बीच हमेशा ही केजरीवाल की लोकप्रियता रही है और केजरीवाल पसंद किये जाते हैं. बात 2015 की ही तो बताना जरूरी है कि उस समय केजरीवाल का वोट परसेंटेज 54.34 था जिसमें पंजाबी वोटरों की एक अच्छी संख्या थी.

मोदी के लोकसभा और केजरीवाल के विधानसभा चुनाव में कोई टकराव नहीं

केजरीवाल इस विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करेंगे इसके लिए ये एक अहम पॉइंट है. दिल्ली की जनता इस बात को स्वीकार कर चुकी है कि बड़े मुद्दों पर मोदी की लीडर शिप चलेगी तो वहीं छोटे या ये कहें कि स्थानीय मुद्दों पर केजरीवाल का हक रहेगा. इसलिए इस मामले को लेकर भी हमें कोई बहुत बड़ा टकराव नजर नहीं आता है.

इसलिए कह सकते हैं कि कल को जब दिल्ली में चुनाव होगा किसी भी तरह की कोई अड़चन केजरीवाल के सामने नहीं आएगी और वो बड़ी ही आसानी के साथ अपनी विजय पताका फहरा देंगे.

मुस्लिम वोट्स

इस बात में कोई शक नहीं है कि दिल्ली के मुसलमान केजरीवाल को पसंद करते हैं. बात मौजूदा वक़्त की हो तो भले ही जामिया और सीलमपुर में हुई हिंसा के बाद केजरीवाल की चुप्पी या फिर पुलिस की बर्बरता को लेकर दिल्ली के मुसलमान अरविंद केजरीवाल से नाराज हों मगर वो इस बात को समझते हैं कि जब भी बात पीएम मोदी या भाजपा से लोहा लेने की आएगी तो ये केजरीवाल ही हैं जो उन्हें हरा सकते हैं. भले ही हालिया हिंसा पर केजरीवाल चुप हों मगर इसमें कोई शक नहीं है कि मुस्लिम वोट उन्हीं के पाले में आएंगे जो उन्हें फायदा पहुंचाएंगे.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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