New

होम -> सियासत

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 02 अगस्त, 2019 11:22 AM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
  • Total Shares

दिल्ली में विधानसभा चुनाव का समय जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक पार्टियों की तरफ से लोगों को लुभाने की कोशिशें भी शुरू हो गई हैं. और इस रेस में सबसे आगे दिल्ली के मौजूदा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दौड़ते नजर आ रहे हैं. उन्होंने घोषणा कर दी है कि अब दिल्लीवासियों को 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त में मिलेगी. केजरीवाल ने पिछली बार चुनाव से पहले मुफ्त पानी का तोहफा दिल्ली के लोगों को दिया था और लोगों ने रिटर्न गिफ्ट में दिल्ली की सत्ता उन्हें सौंप दी. एक बार फिर से अरविंद केजरीवाल ने अपना पुराना दाव खेला है.

वैसे इसमें कोई दोराय नहीं है कि जनता सरकार से यही सब चाहती भी है. मुफ्त बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं मिलती रहें, तो फिर और क्या चाहिए. पिछली बार पानी मुफ्त किया, इस बार बिजली और हो सकता है आने वाले सालों में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं भी मुफ्त हो जाएं. वैसे अगर ट्विटर को देखें तो अधिकतर लोग अरविंद केजरीवाल के इस फैसले की आलोचना करते दिख रहे हैं. अब सवाल ये उठता है कि आखिर जनता सरकार से चाहती क्या है? मुफ्त पानी मिल ही रहा है और अब बिजली भी मुफ्त में मिलेगी. तो फिर लोग खुश क्यों नहीं दिख रहे? दरअसल, इस खुशी के पीछे एक गम छुपा है, जिससे बहुत से लोग चिंतिंत हैं.

अरविंद केजरीवाल, दिल्ली, बिजली, दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020केजरीवाल ने घोषणा कर दी है कि अब दिल्लीवासियों को 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त में मिलेगी.

पहले जानिए केजरीवाल सरकार के तोहफे के बारे में

अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया है कि अब दिल्ली के लोगों को 200 यूनिट तक बिजली खर्च करने पर कोई बिल नहीं देना होगा. हालांकि, अगर बिजली की खपत 200 यूनिट से एक भी यूनिट अधिक हुई तो सारी यूनिट का बिल मौजूदा टैरिफ के हिसाब से देना होगा. केजरीवाल ने कहा कि 2013 से पहले 200 यूनिट के लिए 900 रुपए देने पड़ते थे, अब 200 यूनिट के लिए कोई पैसे नहीं देने होंगे.

अरविंद केजरीवाल, दिल्ली, बिजली, दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020अगर बिजली की खपत 200 यूनिट से एक भी यूनिट अधिक हुई तो सारी यूनिट का बिल देना होगा.

कुछ मुफ्त नहीं होता, सबकी कीमत चुकानी पड़ती है !

अब पते की बात समझिए. मार्केटिंग के स्टूडेंट्स को सिखाया जाता है कि कुछ भी मुफ्त नहीं होता. यहां अरविंद केजरीवाल भी अपनी मार्केटिंग ही कर रहे हैं, ताकि जनता के दिलों में अपनी जगह आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए फिक्स कर लें. जो बिजली वह दिल्ली के लोगों को मुफ्त में दे रहे हैं, उसकी वजह से सरकार पर करीब 2000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार आएगा. ये पैसे भी दिल्ली के ही लोगों से किसी न किसी तरीके से वसूल किए जाएंगे. या फिर केंद्र से मदद मांगी जाएगी. फिर बाद में ये सोचकर हाय-तौबा मत मचाइएगा कि टैक्स बढ़ गया या बढ़ी हुई जीएसटी देनी पड़ रही है.

ये बात भी सही है कि एक तबके को ऐसे फैसलों से सुविधा मिलती है, जो सही भी है, लेकिन इसकी कीमत एक दूसरे तबके को चुकानी पड़ती है. जो आर्थिक रूप से कमजोर है, उसे सरकार की तरफ से काफी रियायतें मिलती हैं, जो देना जरूरी भी है, लेकिन इसका बोझ आर्थिक रूप से समृद्ध लोगों पर पड़ता ही है. यानी जो एक तबके के लिए मुफ्त है, उसकी कीमत एक दूसरा तबका चुकाता ही है.

बिजली कंपनियों के नुकसान को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते

अगर देशभर की बिजली कंपनियों की बात करें तो ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने पिछले ही साल जो आंकड़ा दिया था, उसे देखकर थोड़ी खुशी होती है, लेकिन हैरानी भी होती है. उन्होंने कहा था कि डिस्कॉम (बिजली कंपनियां) का नुकसान 2017-18 में घटकर 17,352 करोड़ रुपए हो गया है, जो 2016 में 51,096 करोड़ रुपए था.

अगर सिर्फ दिल्ली की बात करें तो 2018-19 में बीएसईएस राजधानी ने 123 करोड़ का घाटा दिखाया है, जबकि बीएसईएस यमुना ने 64 करोड़ और टाटा पावर ने 100 करोड़ 25 लाख का घाटा दिखाया है. घाटे की भरपाई के लिए इन कंपनियों ने बिजली की दरों में इजाफा करने की मांग की थी. अभी ये घाटा निपटाया भी नहीं जा सका है कि केजरीवाल ने नए घाटे का इंतजाम कर लिया है.

केजरीवाल ने कहा है कि दिल्ली में बिजली कंपनियों का घाटा 17 फीसदी से घटकर 8 फीसदी हो गया है. भले ही कंपनियों का घाटा कम हो रहा है, लेकिन इन कंपनियों के घाटे की भरपाई कैसे होगी, ये भी सोचना जरूरी है. अरविंद केजरीवाल ने मुफ्त बिजली का तोहफा तो दिया है, लेकिन अभी ये साफ नहीं है कि इसकी वजह से पड़ने वाले 1800-2000 करोड़ रुपए के अतिरिक्त भार और पुराने घाटे से दिल्ली सरकार कैसे निपटेगी.

अगर इस फैसले को बारीकी से देखें तो ये तो सभी समझ रहे हैं कि चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल ने लोगों को लुभाने के लिए ये घोषणा की है. दिल्ली के चुनाव से पहले लोगों के साथ राजनीति की शुरुआत हो चुकी है. बिजली मुफ्त हो गई है. अब बारी है भाजपा की. कांग्रेस से तो उम्मीद ही छोड़ दीजिए. खैर, इस तरह के फैसले हमेशा ही आने वाली सरकारों के लिए मुसीबत का सबब बनते हैं, क्योंकि जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई के लिए अगर कोई सरकार बिजली के दाम बढ़ा दे या फिर मुफ्त बिजली जैसी व्यवस्था को बंद कर दे तो उसकी कुर्सी जाना तो तय ही समझिए. केजरीवाल ने तो अपना दाव चल दिया है, अब ये देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली की जनता इस फैसले को सर-आंखों पर लेती है या फिर केजरीवाल के सिरे से नकार देती है.

ये भी पढ़ें-

जम्मू-कश्मीर में BJP पहले तिरंगा फिर भगवा फहराने की तैयारी में

केसीआर का महासुदर्शन यज्ञ एक विहंगम तुष्टिकरण!

उन्नाव रेप पीड़िता की कहानी एक प्रभावशाली नेता के खिलाफ जंग से काम नहीं है

#अरविंद केजरीवाल, #दिल्ली, #बिजली, Arvind Kejriwal, Free Electricity, 200 Unit Free Electricity

लेखक

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय