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Updated: 24 फरवरी, 2020 11:46 AM
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दिल्ली के बाद विधानसभा चुनाव की सबसे नजदीकी तो बिहार (Bihar Election 2020) की है और उसके बाद पश्चिम बंगाल और असम जैसे राज्यों की, लेकिन आम आदमी पार्टी की नजर यूपी (AAP Mission UP) पर अभी से जा टिकी है. बताया जा रहा है कि आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश से आने वाले दिल्ली के विधायकों का उनके जन्म स्थान वाले जिले में स्वागत किया जाएगा - लेकिन ऐसी कोई बात बिहार को लेकर क्यों नहीं बतायी गयी है, हैरानी होती है. आखिर बिहार से जुड़े आधा दर्जन नेता भी तो दिल्ली में विधायक बने ही हैं.

आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत कर आये ऐसे 15 विधायक है जिनका यूपी कनेक्शन है - और विधायकों के सम्मान कार्यक्रम की शुरुआत होने जा रही है संत कबीर नगर से. दरअसल, मॉडल टाउन से आप विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी संत कबीर नगर के ही रहने वाले हैं. ये कार्यक्रम 1 मार्च को होगा उसके बाद मनीष सिसोदिया, गोपाल राय, सत्येन्द्र जैन सहित सभी विधायकों को उनके इलाकों में आम आदमी पार्टी सम्मानित करेगी.

ऐसा लगता है कि अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal moves with National Agenda) आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय एजेंडा की नींव यूपी में ही रखने जा रहे हैं. शायद इसलिए भी कि कोई भी नेता दिल्ली की बड़ी कुर्सी के लायक तभी बनता है जब उसे यूपी के लोगों का आशीर्वाद मिलता है और कृपा बरसती है. इसी मकसद के साथ आप सांसद संजय (Sanjay Singh) सिंह लखनऊ पहुंच चुके हैं.

राष्ट्रीय एजेंडे के लिए यूपी में दाखिला

राष्ट्रीय राजनीति को लेकर अरविंद केजरीवाल के इरादे इसलिए भी साफ हो जाते हैं क्योंकि यूपी में तो मुहिम शुरू हो रही है लेकिन पंजाब का नाम तक नहीं लिया जा रहा है. 2017 में पंजाब और उत्तर प्रदेश में एक साथ विधानसभा चुनाव हुए थे और 2022 में भी ऐसी ही संभावना बनती है. जब अरविंद केजरीवाल पंजाब चुनाव में उतरने का ऐलान कर रहे थे तो यूपी को लेकर भी सवाल पूझा गया था. तब यूपी को लेकर अरविंद केजरीवाल का कहना था कि यूपी में AAP के पास बैंडविथ नहीं है. वैसे भी 2014 में आप के लिए यूपी और पंजाब से अलग अलग नतीजे आये थे. यूपी में जहां अरविंद केजरीवाल खुद चुनाव हार गये थे, वहीं पंजाब से आप को चार लोक सभा सीटों पर जीत हासिल हुई थी.

अरविंद केजरीवाल की पार्टी ऐसे दौर में यूपी चुनाव में दाखिल हो रही है जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की तैयारी शुरू हो चुकी है - और नागरिकता कानून का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस एक्शन के खिलाफ पूरे राज्य का दौरा कर रही हैं. घर घर पहुंच कर पीड़ितों के साथ खड़े होने की बात कर रही हैं. आम चुनाव में हुआ सपा-बसपा गठबंधन टूट जाने के बाद अखिलेश यादव भी अब अकेले दम पर विधानसभा चुनाव में उतरने का ऐलान कर चुके हैं.

योगी आदित्यनाथ को यूपी के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाये जाने के वक्त संघ और बीजेपी नेतृत्व का ध्यान अयोध्या में राम मंदिर निर्माण ही रहा. वैसे तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अमित शाह ने झारखंड चुनाव में राम मंदिर निर्माण का श्रेय लेने की कोशिश भी की थी, लेकिन चुनावी प्रयोग असफल रहा. आम चुनाव से पहले ही बीजेपी ने राम मंदिर को चुनावी मुद्दे से बाहर रख दिया था - लेकिन अरविंद केजरीवाल हनुमान जी को पकड़ कर ही राजनीतिक कदम आगे बढ़ाते नजर आ रहे हैं.

अरविंद केजरीवाल अपनी ही गलतियों से काफी चीजें सीख चुके हैं और ऐसा तो नहीं लगता कि वो उन्हें फिर से दोहराये जाने की हिमाकत करेंगे. बहरहाल, 2022 में अभी वक्त तो काफी है - और 2024 तो उससे भी दो कदम दूर है जिस पर अरविंद केजरीवाल की अभी से नजर टिक चुकी है.

केजरीवाल की नजर अब बड़ी कुर्सी पर

दिल्ली में जमा लेने के बाद, अरविंद केजरीवाल अब पांव पसारने की तैयारी शुरू कर रहे हैं - और इसके लिए सीधे उत्तर प्रदेश का रूख किया है. आम आदमी पार्टी के मिशन यूपी की वजह भी वही लगती है जो राष्ट्रीय राजनीति में मान्यता बन चुकी है - प्रधानमंत्री पद का रास्ता यूपी से होकर ही गुजरता है. आखिर बीजेपी प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने भी तो उत्तर प्रदेश का ही रूख किया. वैसे तो अरविंद केजरीवाल वाराणसी की सियासी नदी में 2014 में भी डुबकी लगा ही चुके हैं.

फिर भी नयी तैयारी जोरदार लग रही है. मिशन को अंजाम देने के मकसद से अरविंद केजरीवाल के भरोसेमंद कमांडर लखनऊ पहुंच भी चुके हैं - सूबे के आप नेताओं के साथ रणनीतियों को लेकर ब्रीफ भी कर चुके हैं.

sanjay singh aapAAP के मिशन UP को आगे बढ़ाने लखनऊ पहुंचे संजय सिंह

यूपी से पहले संजय सिंह महाराष्ट्र के दौरे पर थे और मुंबई की प्रेस कांफ्रेंस में ही प्रशांत किशोर के आम आदमी पार्टी ज्वाइन करने की संभावना पर बयान दिया था. मुंबई में ही BMC चुनावों में भागीदारी को लेकर संजय सिंह ने कहा था कि अब उनकी पार्टी हड़बड़ी में कोई भी काम नहीं करने वाली है. खबर ये भी है कि आम आदमी पार्टी यूपी में पहले निकाय चुनावों में खुद को आजमाना चाहती है - ताकि आगे के लिए फीडबैक जुटाया जा सके.

2014 के आम चुनाव का जिक्र करते हुए संजय सिंह ने बताया कि आम आदमी पार्टी ने 430 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और नतीजे आये तो पता चला 409 सीटों पर उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. आप को विस्तार देने के मकसद से सदस्यता अभियान शुरू किया गया है. 23 फरवरी से 23 मार्च तक चलने वाले अभियान के तहत एक करोड़ लोगों को आम आदमी पार्टी से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है.

आप नेता गोपाल राय के अनुसार दिल्ली, उत्तर प्रदेश और गुजरात में एक-एक लाख से ज्यादा लोग आम आदमी पार्टी से जुड़े हैं और इस तरह 12 दिन में 16 लाख से ज्यादा लोग आप के मिस्ड कॉल नंबर पर फोन कर चुके हैं. दिल्ली चुनाव के नतीजे आने के दिन ही आप ने एक नंबर जारी किया था ताकि जो लोग पार्टी से जुड़ना चाहते हैं वो मिस कॉल दे सकें.

मिशन यूपी के तहत पार्टी केजरीवाल सरकार के विकास मॉडल का यूपी के गांव-गांव घूम कर प्रचार करने की तैयारी कर चुकी है. दिल्ली की जीत के बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा भी था कि अब काम की राजनीति शुरू हो चुकी है और बाकी सब नहीं चलेगा. यूपी में भी आम आदमी पार्टी बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य को चुनव

केजरीवाल सरकार के शिक्षा, चिकित्सा, बिजली और पानी के क्षेत्र में कार्य से जुड़े जिस विकास मॉडल के जरिये आम आदमी पार्टी को दिल्ली में ऐतिहासिक जीत मिली है. केजरीवाल सरकार के उस विकास माडल का अब आम आदमी पार्टी यूपी के गांव-गांव में प्रचार करेगी.

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