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Updated: 27 नवम्बर, 2022 10:44 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) जो भी कहें और चाहे जैसे भी सत्येंद्र जैन (Satyendra Jain) का बचाव करें, लेकिन असल बात तो यही है कि वो बुरी तरह घिरा हुआ महसूस कर रहे हैं. जो समय और ऊर्जा वो गुजरात, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लगा रहे थे, पूरी ताकत तिहाड़ जेल से सत्येंद्र जैन से जुड़े एक एक कर आ रहे वीडियो (Jail Videos) को खारिज करने में लगानी पड़ रही है.

गुजरात में वो भले ही सरकार बनाने का दावा कर रहे हों, लेकिन हकीकत तो उनको भी मालूम है ही. अगर मनीष सिसोदिया के खिलाफ जांच नहीं शुरू हुई होती तो एमसीडी चुनाव के लिए भी तैयारी और अच्छी हो सकती थी - मुश्किल ये है कि बीजेपी गुजरात से लेकर दिल्ली तक उनको मौका मिलते ही घेर ले रही है.

कहने को तो यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी वैसा ही टास्क लेकर गुजरात में चुनाव प्रचार करने पहुंचे थे, लेकिन अनजाने में ही वो अरविंद केजरीवाल को काफी राहत दे बैठे. योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार किया था - गुजरात में भी वो उसी अंदाज में दिखे.

अरविंद केजरीवाल को निशाना बनाते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'ये जो आम आदमी पार्टी का नमूना आया है न दिल्ली से... ये तो आतंकवाद का सच्चा हितैषी है...'

ये तो योगी आदित्यनाथ को भी मालूम होगा ही कि फिलहाल सत्येंद्र जैन के वीडियो ही अरविंद केजरीवाल की सबसे कमजोर नस है, वार तो उसी पर होना चाहिये. ऐसे वार का असर भी गहरा होता, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने अरविंद केजरीवाल को एक बार फिर आतंकवाद से जोड़ कर पेश कर दिया.

क्या योगी आदित्यनाथ को नहीं मालूम कि पहले 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव और फिर 2022 के पंजाब चुनाव में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केजरीवाल और आतंकवाद के मुद्दे पर खूब बहस चलायी थी. बल्कि कुमार विश्वास के बयानों को आधार बनाते हुए राहुल गांधी ने भी वही लाइन ली थी, लेकिन केजरीवाल अपने काम में लगे रहे और चुनाव जीत गये.

लिहाजा, योगी आदित्यनाथ के हमले पर अरविंद केजरीवाल ने बड़ी ही बेपरवाही से रिएक्ट किया है. ट्विटर पर योगी आदित्यनाथ के ट्वीट को ही अपनी टिप्पणी के साथ रीट्वीट करते हुए केजरीवाल ने लिखा है, 'अगर गंदी गाली गलौज चाहिये, गुंडागर्दी चाहिये, भ्रष्टाचार चाहिये, गंदी राजनीति चाहिये तो इनको वोट दे देना... अगर स्कूल, अस्पताल, बिजली, पानी, सड़कें चाहिये तो मुझे वोट दे देना.' आपको याद होगा दिल्ली चुनाव में भी केजरीवाल ने ऐसे ही कूल होकर बीजेपी को आसानी से चित्त कर दिया था.

लेकिन सत्येंद्र जैन के सपोर्ट में अरविंद केजरीवाल को काफी मुश्किल लड़ाई लड़नी पड़ रही है. देखा जाये तो मनीष सिसोदिया से भी ज्यादा मुश्किल. मनीष सिसोदिया के खिलाफ छापेमारी और बाद में हुए जांच पड़ताल में भी अभी तक कुछ भी ऐसा वैसा मिला हो, सामने तो नहीं आया है - और सत्येंद्र जैन का मामला ऐसा है कि उनके खिलाफ ताबड़तोड़ वीडियो लीक होकर सामने आ रहे हैं.

सत्येंद्र जैन का मामला काफी अलग लग रहा है. बल्कि, मनीष सिसोदिया से भी अलग. जांच एजेंसियों के मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार न करने और सत्येंद्र जैन को जेल भेज देने का मामला भी अलग है - और दोनों ही मामलों में एक्शन राजनीतिक मंजूरी का मोहताज होगा.

पात्रा चॉल घोटाले में गिरफ्तार संजय राउत के मामले में ईडी को लेकर जो कोर्ट की टिप्पणी रही, वैसा अब तक सत्येंद्र जैन के मामले में नहीं देखने को मिला है. जाहिर है कानूनी पेंचीदगियां अलग तरीके की हैं. तभी तो सत्येंद्र जैन को अब तक जमानत भी नहीं मिल पायी है.

वैसे जिस तरह संजय राउत के मामले में परदे के पीछे की डील की चर्चाएं रही हैं, अरविंद केजरीवाल ने ये कह कर ट्विस्ट देने की कोशिश की कि बीजेपी की तरफ से मंत्रियों को बचा लेने का एक्सचेंज ऑफर मिला था, लेकिन वो भी वैसा ही लगा जैसा मनीष सिसोदिया बीजेपी के ऑफर की बात कर रहे थे - या फिर अरविंद केजरीवाल विधायकों को दिल्ली में खरीदे जाने का दावा कर रहे थे.

अब तक 7 वीडियो

अब तक सत्येंद्र जैन को तिहाड़ जेल में मिल रही सुख सुविधाओं के सात वीडियो सामने आ चुके हैं. ये वीडियो मसाज की सुविधा मिलने से लेकर सत्येंद्र जैन की सेवा में लगाये गये लोगों की गतिविधियां दिखा रहे हैं - और बीजेपी के लिए केजरीवाल एंड कंपनी के खिलाफ शोर मचाने के लिए काफी है.

arvind kejriwal, satyendra jainकेजरीवाल के दावों पर जैन के वीडियो भारी पड़ रहे हैं और बड़ा मौका हाथ से फिसल रहा है

सत्येंद्र जैन के मामले में सूत्रों के हवाले से आज तक ने खबर दी है कि उनके कमरे के अंदर सभी सेवाएं प्रदान करने के लिए 10 लोगों को नियुक्त किया गया था, जिनमें से 8 लोगों ने खास तौर से सत्येंद्र जैन की निजी जरूरतों का ध्यान रखा. ये लोग कमरे की सफाई, बिस्तर ठीक करना, बाहर का खाना कमरे के अंदर उपलब्ध कराना, मिनरल वाटर, फल और कपड़े जैसी चीजों की व्यवस्था करते थे. हालांकि, ये सब ठीक से जांच के बाद ही मालूम हो पाएगा.

रही बात सत्येंद्र जैन को लेकर आये वीडियो की, ये असली हैं या फर्जी ये अलग सवाल हो सकता है, लेकिन ये भी ध्यान देने वाली बात है कि आम आदमी पार्टी की तरफ से वीडियो की प्रामाणिकता पर कोई सवाल नहीं उठाया गया है.

सबसे खास बात ये है कि अरविंद केजरीवाल या मनीष सिसोदिया या किसी भी आप नेता ने वीडियो को फर्जी बता कर खारिज करने की जगह बीजेपी के इल्जाम को डाउनप्ले करने की कोशिश की है. बीजेपी पर बस हमला बोला है और सत्येंद्र जैन का बचाव किया है. अलग अलग तरीके से. आप नेता गोपाल राय तो अमित शाह तक की मिसाल दे चुके हैं, उनके जेल वाले दिनों की याद दिला कर.

जेल में सुविधाओं की ऐसी कहानियां पहले भी सुनने को मिलती रही हैं. नेताओं के मामले में भी, पैसे वाले लोगों के मामले में भी और बड़े अपराधियों को लेकर भी - सत्येंद्र जैन का मामला भी प्रचार तंत्र की लड़ाई है, लेकिन ये वीडियो अरविंद केजरीवाल के स्टैंड पर भारी पड़ रहे हैं - और ये तो है कि जबानी जंग से काम नहीं चलने वाला है.

अरविंद केजरीवाल चाहते तो सत्येंद्र जैन के खिलाफ एक्शन लेते और माफी मांग कर छुट्टी कर सकते थे - जैसे कई नेताओं के खिलाफ मानहानि के मामलों में - और '49 दिन की सरकार' के लिए दिल्लीवालों से माफी मांगी थी, लेकिन अरविंद केजरीवाल जानबूझ कर ऐसा नहीं कर रहे हैं.

सत्येंद्र जैन का बचाव क्यों?

जैसे मनीष सिसोदिया के यहां सीबीआई रेड के बाद अरविंद केजरीवाल ने गिरफ्तारी की आशंका जतायी थी, सत्येंद्र जैन के मामले में 22 जनवरी, 2022 को एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ही ऐसा दावा कर डाला था. अपने सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर अरविंद केजरीवाल का कहना था, पांच राज्यों में चुनाव को देखते हुए जांच एजेंसियां सक्रिय हैं और पंजाब चुनाव के बाद केंद्र सरकार सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार करवा सकती है.

कुछ दिन बाद ही अप्रैल, 2022 में प्रवर्तन निदेशालय ने सत्येंद्र जैन के परिवार और उनसे जुड़ी कंपनियों की 4.81 करोड़ रुपये की संपत्ति सीज कर दी थी. बाद में जब गिरफ्तार किया गया तो आप नेता कहने लगे कि बीजेपी को हिमाचल प्रदेश में अपनी हार का डर सता रहा है, इसलिए सत्येंद्र जैन को जेल में डाल दिया. सत्येंद्र जैन को अरविंद केजरीवाल ने हिमाचल प्रदेश का चुनाव प्रभारी भी बना रखा था.

ऐसे देखें तो अरविंद केजरीवाल की आशंका सही साबित हुई जब 31 मई को प्रवर्तन निदेशालय ने सत्येंद्र जैन को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. सत्येंद्र जैन तभी से जेल में हैं और जमानत की उनकी सारी अर्जियां खारिज होती जा रही हैं.

हाल ही में सत्येंद्र जैन की उस अर्जी को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया, जिसमें जेल में फल, ड्राय फ्रूट्स और स्पेशल फूड की मांग की गई थी. अरविंद केजरीवाल खुद भी ऐसी बातों का धार्मिक आधार पर बचाव करते रहे हैं, लेकिन कोर्ट ने माना कि अधिकारियों ने जेल के नियमों का उल्लंघन किया है.

सत्येंद्र जैन का बचाव क्यों: 2015 की बात है, अरविंद केजरीवाल प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे और उसी वक्त अपने मंत्री आसिम अहमद खान को कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया था - और ठीक ऐसा ही मामला पंजाब में तब देखा गया जब मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बिलकुल वैसा ही एक्शन लिया था.

सत्येंद्र जैन कानूनी तौर पर बुरी तरह फंसे हैं और अरविंद केजरीवाल की राजनीति को भी वैसे ही उलझा कर रख दिया है. फिर भी अरविंद केजरीवाल और उनके साथी सत्येंद्र जैन का बचाव कर रहे हैं तो जाहिर है उनकी कुछ न कुछ खासियत तो होगी ही.

1. दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था, स्कूल और मोहल्ला क्लीनिक जैसी चीजें हों या फिर फ्री बिजली पानी देने की सुविधायें - ये ज्यादातर आइडिया सत्येंद्र जैन के ही बताये जाते हैं.

महिलाओं के लिए बसों की यात्रा मुफ्त की सुविधा देने या फिर पंजाब में महिलाओं को एक हजार रुपये देने का आइडिया भी सत्येंद्र जैन का माना बताया जाता है - जो उनके जेल में होते हुए भी गुजरात में भी मैनिफेस्टो का हिस्सा बना है.

2. बताते हैं कि सत्येंद्र जैन प्रशासनिक कामकाज में खास दिलचस्पी लेते हैं और पार्टी का काम भी बेहतरीन तरीके से करते हैं. सत्येंद्र जैन को पहले सरकारी कामकाज के मामले में बेस्ट माना जाता रहा, लेकिन बाद वो राजनीति मोर्चे पर भी एक अच्छे संगठनकर्ता के रूप में खुद को साबित किये - और इसीलिए हिमाचल प्रदेश का चुनावी टास्क भी सौंपा गया था.

3. सबसे बड़ी बात जो बतायी जाती है - सत्येंद्र जैन बेहतरीन वर्कर हैं, फर्क नहीं पड़ता कि उनको किस मोर्चे पर तैनात किया जाता है. वो हर आदेश को सिर आंखों पर लेते हैं और जल्द से जल्द अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं. वो ये भी जानते हैं कि अरविंद केजरीवाल क्या चाहते हैं और चाहते हैं कि कैसे किसी प्रोजेक्ट को पूरा किया जाये.

गुजरात विधानसभा चुनाव और एमसीडी दोनों ही जगह अरविंद केजरीवाल के पास बेहतरीन मौका रहा, लेकिन लगता नहीं कि उतना फायदा मिलेगा जितना मिल सकता था - फिर भी जैन को ढो रहे हैं. अब जिसमें ढेरों खासियत हो तो उसे मुश्किल वक्त में कोई कैसे छोड़ दे, अरविंद केजरीवाल शायद उसी को निभा रहे हैं और जोखिमों की भी परवाह नहीं कर रहे हैं.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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