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Updated: 23 अप्रिल, 2017 01:47 PM
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क्या एमसीडी चुनाव दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के लिए जनमत संग्रह साबित होने जा रहे हैं? केजरीवाल के विरोधी तो यही समझाने की कोशिश कर रहे हैं. उनके पुराने साथी योगेंद्र यादव ने तो इस चुनाव को केजरीवाल के लिए निजी तौर पर रेफरेंडम बताया है - और नतीजे पक्ष में नहीं आने पर नैतिकता के नाते इस्तीफा देकर दोबारा जनादेश लेने की सलाह दी है. केजरीवाल फिलहाल इस मुद्दे पर फिलहाल साफ तौर पर कुछ नहीं कह रहे हैं.

रेफरेंडम नहीं तो क्या?

रेफरेंडम, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का पसंदीदा कीवर्ड रहा है. पिछले साल ब्रिटेन में चले ब्रेग्जिट मुहिम के बाद केजरीवाल ने दिल्ली में भी रेफरेंडम की मांग की थी. दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग के साथ केजरीवाल ने एक ट्वीट किया था - जिसके जवाब में लोगों ने भी जमकर रिएक्ट किया.

kejriwal-referendum-_042317013014.jpgकेजरीवाल रेफरेंडम पसंद है!

दिल्ली में वोटिंग के वक्त जब केजरीवाल मीडिया से मुखातिब हुए तो बड़ा सवाल रेफरेंडम को लेकर ही था. केजरीवाल ने सीधे सीधे कोई टिप्पणी नहीं की. बस चलते चलते इतना कहा - "चलो अब देख लेंगे... एक दो दिन बाद क्या हुआ!"

केजरीवाल ने लोगों से कहा है कि दिल्ली को चिकनगुनिया और डेंगू से मुक्त करने के लिए आम आदमी पार्टी को वोट दें. लगे हाथ कुछ धमकाने वाले अंदाज में आगाह भी किया है - अगर बीजेपी को दिया तो फिर भुगतने के लिए तैयार रहना.

चिट्ठी भी आई है...

केजरीवाल के पुराने साथी योगेंद्र यादव ने उन्हें एक खुला पत्र लिखा है. साथ में, योगेंद्र ने बताया भी है कि दो साल बाद वो केजरीवाल को कोई चिट्ठी लिख रहे हैं. योगेंद्र यादव आम आदमी पार्टी के संस्थापकों में से हैं लेकिन दिल्ली में दोबारा सरकार बनने के बाद उन्हें और प्रशांत भूषण को आप से निकाल दिया गया.

योगेंद्र यादव भी इस बार एमसीडी चुनाव में हिस्सा ले रहे हैं लेकिन अपनी नयी पार्टी स्वराज इंडिया के साथ.

योगेंद्र यादव पत्र में लिखते हैं, "MCD के चुनाव को अपने अपनी व्यक्तिगत लोकप्रियता के रेफरेंडम में बदल दिया है. आपकी पार्टी सिर्फ आपके नाम पर वोट मांग रही है. होर्डिंग में पार्टी का नाम तक नहीं है."

योगेंद्र यादव ने आगे लिखा है, "मेरा एक प्रस्ताव है. अगर आपको इस चुनाव में तीनों MCD में कुल मिलाकर बहुमत (यानि सिर्फ 137 सीटें) आ जाता है तो मैं यह मान लूंगा कि मेरी समझ गलत है और दिल्ली की जनता आपको धोखेबाज नहीं मानती. ऐसे में अगर केंद्र सरकार आपकी सरकार के खिलाफ कोई षड़यंत्र करती है तो हमारी पार्टी और मैं खुद आपका समर्थन करेंगे. लेकिन अगर दिल्ली में 70 में से 67 सीट जीतने के दो साल में ही आप इस रेफरेंडम में हार जाते हैं तो नैतिकता की मांग है कि आप EVM जैसा कोई बहाना ना बनाएं, मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दें और आपकी सरकार दिल्ली में 'रिकॉल' के सिद्धांत के अनुसार दोबारा जनता से विश्वास मत हासिल करे."

और घर-वापसी?

केजरीवाल अब इस बात को लेकर भी आश्वस्त नजर आ रहे हैं कि आम आदमी पार्टी छोड़ने वाले लोग जल्द ही वापस लौटेंगे. केजरीवाल का कहना है, "जब लोग पार्टी छोड़ते हैं तो हमेशा अफसोस होता है," और उम्मीद जतायी, "मैंने हमेशा से कहा है कि जो लोग मतभेदों के कारण हमें छोड़ कर चले गए हैं, मुझे आशा है कि भविष्य में वे वापस लौटेंगे."

arvind kejriwalदिल्ली को डेंगू और चिकनगुनिया से बचाने के लिए वोट...

केजरीवाल इस सिलसिले में किसी का नाम तो नहीं लेते, लेकिन उनका इशारा योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण की ओर ही समझा जा रहा है. बड़ा सवाल ये है कि जिस तरह दोनों सीनियर नेताओं को बेइज्जत करके आप से निकाला गया क्या वे यूं ही वापसी कर लेंगे? क्या वे उन नेताओं के रहते वापसी करने को तैयार होंगे जिन्होंने उन्हें निकाले जाने को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था? बहरहाल, इस बारे में फिलहाल कुछ ज्यादा सामने नहीं आया है.

अव्वल तो ये होता कि एमसीडी चुनावों के रेफरेंडम को बीजेपी से जोड़ कर देखा जाता क्योंकि वहां 10 साल से वो काबिज है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा. एमसीडी चुनाव को दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के रेफरेंडम के तौर पर देखा जा रहा है. पंजाब, गोवा और फिर राजौरी गार्डन के नतीजे अगर अलग होते तो शायद ही कोई केजरीवाल सरकार को लेकर रेफरेंडम की बात करता. बीजेपी इससे बाइज्जत इसलिए बच पा रही है क्योंकि यूपी चुनाव में उसे भारी बहुमत मिला और तीन राज्यों में अपनी सरकार बनाने मेें कामयाब हो गयी. कोई भी चुनाव जाहिर तौर पर रेफरेंडम तो नहीं हो सकता, लेकिन उससे कम भी नहीं होता.

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