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Updated: 28 अक्टूबर, 2017 05:20 PM
शलभ मणि त्रिपाठी
शलभ मणि त्रिपाठी
  @shalabh.tripathi
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वे पांच बार के सांसद रहे हैं, हिंदुत्व और राष्ट्रवाद पर खुल कर बोलते रहे हैं, विरोधी उनके जिस तेवर पर निशाना साधते हैं, समर्थक उनके उसी तेवर के दीवाने हैं. ऐसे में गुरूवार को वे जब बतौर मुख्यमंत्री ताजमहल देखने पहुंचे तब देश और दुनिया भर की मीडिया की नजर उनके हर एक अंदाज पर थी. इसलिए क्योंकि मुख्यमंत्री बनने के बाद वे पहली बार ताजमहल देखने गए, इसलिए भी क्योंकि मुख्यमंत्री बनने से पहले भी वे कभी ताजमहल देखने नहीं गए. हम बात कर रहे हैं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ताजमहल दौरे की. दुनिया भर में मुहब्बत की निशानी और अपनी स्थापत्य कला के लिए मशहूर ताजमहल पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में रहा. कुछ बयानों को लेकर और इन बयानों के बाद उन ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर जिन्हें लेकर तमाम इतिहासकारों के बीच भी हमेशा से विवाद रहा है. ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब ताज के गेट पर झाड़ू उठाई तो ये संदेश गया कि बतौर मुख्यमंत्री अब वे सारे विवादों पर भी झाड़ू लगाने आए हैं. और ताजमहल समेत समूची आगरा में पर्यटन का विकास फिलहाल उनकी बड़ी प्राथमिकता है.

ताज महल, योगी आदित्यनाथ

अपनी पारंपरिक वेशभूषा में योगी जब ताजमहल पहुंचे तो तस्वीरें देखने लायक थीं. करीब 63 मिनट तक मुख्यमंत्री योगी ने ताजमहल के हर कोने से देखा. फिर वो चाहे शाहजहां- मुमताज की कब्र रही हो या फिर कलाकृति आडिटोरियम. अपने गुरू मछंदरनाथ पर बनी एक धार्मिक फिल्म जाग मछंदर गोरख आया के अलावा आज तक कोई भी फिल्म ना देखने वाले योगी ने कलाकृति आडिटोरियम में इत्मीनान से बैठकर शाहजहां और मुमताज की प्रेम कहानी पर आधारित प्ले भी देखा. उनको करीब से जानने वाले लोगों के लिए ये अलग नजारा था. ताजमहल से जुड़ी हर कहानी उन्होंने इत्मीनान से सुनी. फिर वो चाहें ताजमहल के निर्माण की हो या फिर शाहजहां के मुसम्मन बुर्ज में कैद होने की. तमाम कयासों और पूर्वाग्रहों के इतर योगी आदित्यनाथ ताजमहल के संरक्षण, पर्यटन की संभावना और पर्यटकों की सुविधा को लेकर सक्रिय नजर आए.

करीब 25 मिनट उन्होंने एएसआई के अधिकारियों के साथ भी गुजारे और इस दौरान उनके ज्यादातर सवाल ताजमहल के निर्माण और उसे बचा कर रखने की कोशिशों से ही जुड़े रहे. जब उन्हें बताया गया कि ताजमहल के पीलेपन को बचाने के लिए किसी केमिकल नहीं बल्कि मुल्तानी मिट्टी की मदद ली जा रही है तब उन्होंने इस प्रयास की सराहना की. इतना ही नहीं, ये पता चलने पर कि ताजमहल की नींव मजबूत साल की लकड़ियों पर टिकी है और ये साल की लकड़ियों से बने ये खंभे यमुना नदी में हैं, योगी ने यमुना की सफाई का अभियान तेज करने के आदेश भी दिए. ताकी साल की लकड़ियों को नमी मिलती रहे और ताज महफूज रहे. साफ है, इस बार वे महज जनप्रतिनिधि की भूमिका में नहीं, उस मुखिया में नजर आए जिसकी चिंता धरोहरों, विरासतों को बचा कर रखने की है.

इसका सबूत उस वक्त भी मिला जब कब्रों को देखने के दौरान एक अधिकारी ने लाइट जलाने की कोशिश की, इस पर योगी ने ये कहते हुए मना कर दिया कि ऐसा कि ऐसा करने से इस पुरातात्विक इमारत को नुकसान पहुंचेगा. ताजमहल का मुआयना करा रहे पुरातत्वविद उस वक्त तो हैरत में पड़ गए जब मुख्यमंत्री ने उनसे कुछ बारीक सवाल पूछे. मसलन ताज सत्रह सालों में बना या बीस, क्या वाकई ये ऐतिहासिक इमारत तिरछी हो रही है और क्या ताजमहल कुओं पर बना है. मतलब साफ था, भले ही योगी पहली बार ताजमहल देखने गए हों पर उन्हें इस जगह से जुड़ी तमाम बारीक जानकारियां पहले से थीं. या यूं कहें कि वे ताजमहल पर पूरा रिसर्च करके आए थे. अपने भाषण की शुरूआत ही उन्होंने ताजमहल को लेकर उठ रहे विवादों से की. कहा कि विवाद इस पर नहीं होना चाहिए कि ताजमहल कब बना, क्यूं बना, कैसे बना, महत्वपूर्ण ये है कि ताजमहल का निर्माण भारत के मजदूरों और किसानों की खून और पसीने से हुआ और भारत ने दुनिया को ताजमहल जैसा वास्तु का अनमोल रत्न दिया है.

दुनिया, बेगम मुमताज की याद में ये शानदार इमारत बनाने वाले बादशाह शाहजहां के किस्से तो हमेशा से सुनती रही होगी, पर शायद पहली बार किसी इतने बड़े मंच से उन मजदूरों और कारीगरों को भी सम्मान मिला जिन्होंने ताज जैसी खूबसूरत धरोहर बनाने में दिन रात एक किए होंगे. सच तो ये है कि ये कारीगर हमेशा गुमनामी के अंधेरे में रहे. ऐसे में योगी जब ताजमहल बनाने वाले मजदूरों के बारे में बोल रहे थे तब ताजमहल के इर्द गिर्द बसे रेशम कटरा, फुलेल कटरा, जोगीदास कटरा, कटरा उमर खां से उन्हें सुनने आए लोग उत्साह के साथ तालियां बजाकर उनका समर्थन कर रहे थे. कहा जाता है कि ये वे इलाके हैं जहां ताजमहल बना रहे मजदूरों के लिए बसाया गया था. बाद में ये मजदूर और कारीगर यहीं बस गए और अब ये इलाका ताजगंज के नाम से भी जाना जाता है.

अपनी कर्मभूमि गोरखपुर के तमाम इलाकों के नाम बदल डालने के चलते जो लोग योगी आदित्यनाथ को हमेशा से एक अलग छवि से देखते रहे हैं, उनके लिए योगी का ताजमहल का ये दौरा कौतूहल भरा था. पर उन्हें ये भी समझना होगा कि तमाम मसलों पर लीक से हटकर राय रखने वाले योगी अब देश के इस सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री हैं और उन्हें अपने दायित्वों का भरपूर एहसास भी है. पिछले कई फैसलों से उन्होंने ये साबित करने की कोशिश भी की है कि वो सबको साथ लेकर चलने के ही हिमायती हैं. हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है. उनमें कट्टर हिंदू नेता की छवि देखते आए लोगों को एक बार उनके मठ गोरक्षनाथ के आसपास बसी मुस्लिम बस्तियों में भी जरूर जाना चाहिए, जहां के तमाम गरीब मुस्लिम परिवारों के लिए वो हमेशा से मददगार रहे हैं.

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लेखक

शलभ मणि त्रिपाठी शलभ मणि त्रिपाठी @shalabh.tripathi

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिज्ञ हैं

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