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Updated: 08 अक्टूबर, 2015 05:10 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
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11 अक्टूबर. जश्न तो हर साल मनाया जाता रहा है. लेकिन जेपी के नाम पर कम और बिग बी के नाम पर ज्यादा. इस बार में इसमें थोड़ी तब्दीली आई है. बिहार चुनाव का शुक्रिया, जेपी ज्यादा प्रासंगिक हो गए हैं.

पिछले एक दशक में कई बार तो ऐसा लगा जैसे 11 अक्टूबर को जन्म दिन सिर्फ अमिताभ बच्चन का ही है, समाजवादी नेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण का तो बिलकुल भी नहीं. पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी दिन सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की थी.

जेपी के बहाने

बिहार चुनाव में जेपी के अधिक अहम होने की खास वजहें हैं. दरअसल, लालू प्रसाद, नीतीश कुमार, सुशील कुमार मोदी, राम विलास पासवान और जीतन राम मांझी - ये सभी वे चेहरे हैं जो जेपी आंदोलन की उपज हैं. 40 साल पहले ये सभी साथ थे. गुजरते वक्त के साथ बदलते सियासी समीकरण के चलते ये अलग अलग खूंटों से बंधे हुए हैं. तब लालू, नीतीश और सुशील मोदी के मुकाबले मांझी कहीं गुमनाम चेहरा थे. उस वक्त मांझी कांग्रेस में हुआ करते थे और आज वो बीजेपी के साथ हाथ मिलाए हुए हैं.

जेपी का आंदोलन इमरजेंसी के खिलाफ था, जिसे तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लगाया. उसी इंदिरा की पार्टी कांग्रेस के साथ इमरजेंसी के विरोधी लालू और नीतीश ने चुनावी गठबंधन किया है.

कांग्रेस तो इमरजेंसी के नाम पर पहले से ही बीजेपी के निशाने पर रही है, महागठबंधन ने जेपी के बहाने नीतीश और लालू को भी कठघरे में खड़ा करने का अच्छा बहाना दे दिया है. इमरजेंसी के बाद लालू और नीतीश ने अलग अलग रास्ते अख्तियार कर लिए थे, लेकिन एक बार फिर वे साथ हो गए हैं.

जेपी के नाम पर

जेपी की 113वीं जयंती को बीजेपी 'लोकतंत्र बचाओ दिवस' के रूप में मनाने जा रही है. दिल्ली के अलावा सभी राज्यों की राजधानी और जिला मुख्यालयों पर जेपी जयंती समारोह आयोजित किए जा रहे हैं. बीजेपी ने हर छोटे बड़े नेता और मंत्री को किसी न किसी समारोह में मौजूद रहने को कहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां दिल्ली में विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में हिस्सा लेंगे, वहीं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह जेपी के जन्म स्थल सिताब दियारा में मौजूद रहेंगे.

इस बीच पटना में जेडीयू नेता पार्टी कार्यालय में जेपी के आदर्शों पर चलने का संकल्प लेंगे.

प्रधानमंत्री मोदी इमरजेंसी को लेकर लालू और नीतीश को एक साथ टारगेट पर लेते हैं. दूसरी तरफ, अपने बचाव में नीतीश का कहना है कि मौजूदा दौर में बीजेपी ने कांग्रेस की जगह ले ली है. इसलिए नीतीश का विरोध कांग्रेस से हटकर बीजेपी पर शिफ्ट हो गया है.

अब मोदी की बात दमदार लगती है या लोग नीतीश के तर्क से इत्तेफाक रखते हैं, इस बारे में फैसला सुनाने की पहली तारीख जेपी जयंती के ठीक अगले दिन मुकर्रर हुई है. 12 अक्टूबर को बिहार में पहले चरण के लिए वोट डाले जाने हैं.

और कुछ हो न हो बीफ को लेकर मचे बवाल और आरक्षण की आग फिर से जलाने की कोशिशों के दरम्यान एक दिन जेपी को तो जरूर मिल पा रहा है. मौके की नजाकत ही सही, इसी बहाने नई पीढ़ी भी जान लेगी कि 11 अक्टूबर को सिर्फ अमिताभ बच्चन ही नहीं, लोकनायक जयप्रकाश नारायण का भी जन्म दिन होता है.

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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