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Updated: 30 अगस्त, 2018 09:58 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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राहुल गांधी ने 1984 के सिख दंगों को लेकर जो बयान दिया है, उसे लेकर सियासी घमासान रुकने का नाम नहीं ले रहा है. कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के पक्ष में उनके साथ खड़े दिख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भाजपा के नेता राहुल गांधी पर लगातार निशाना लगा रहे हैं. अमरिंदर सिंह ने इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में 1984 के दंगों को लेकर जो बातें कही हैं वह निश्चित रूप से कांग्रेस के पक्ष में तो हैं, लेकिन उन दंगों के गवाह होने के नाते उनकी बातें आधा सच लगती हैं. आखिर ऐसा कैसे हो सकता है कि किसी पार्टी के बड़े नेता किसी घटना को अंजाम दें और पार्टी सिर्फ ये कहकर पल्ला झाड़ ले कि इसके लिए सिर्फ वही एक शख्स जिम्मेदार है और पार्टी की इसमें कोई भूमिका नहीं है? वहीं दूसरी ओर, सिख दंगों के दौरान शासन कांग्रेस का था और अगर व्यस्था मुस्तैद होती तो बेशक इतना भयानक दंगा नहीं होता. ऐसे में कांग्रेस की भूमिका पर सवाल क्यों ना उठे?

अमरिंदर सिंह, राहुल गांधी, सिख दंगे, कांग्रेस, इंदिरा गांधीअमरिंदर सिंह ने 1984 के सिख दंगों पर राहुल गांधी के बयान का समर्थन करते हुए सिर्फ आधा सच बताया है.

इन 5 लोगों पर लगाया हिंसा का आरोप

इस घमासान की शुरुआत तब हुई, जब हाल ही में राहुल गांधी ने ब्रिटेन में कहा था कि 1984 के सिख दंगों में कांग्रेस पार्टी का कोई हाथ नहीं था. बस तभी से भाजपा उन पर हावी हो गई है. अमरिंदर सिंह से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने साफ कहा कि वह खुद भी इस दंगे के गवाह है, लेकिन राहूल गांधी की बात बिल्कुल सही है. इतना ही नहीं, उन्होंने तो कुछ नाम तक गिना दिए, जिनकी इन दंगों में भूमिका थी. हालांकि, उन्होंने जो नाम गिनाए वो सभी कांग्रेस के बड़े नेताओं के ही हैं. अमरिंदर सिंह ने माना कि सिख दंगों को अंजाम देने वालों में एचकेएल भगत, सज्जन कुमार, धरमदास शास्त्री, अर्जुन दास और जगदीश टाइटलर जैसे लोग शामिल थे.

इसलिए ये है आधा सच

सिख दंगों को लेकर खुद राजीव गांधी ने बोट क्लब में जमा लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती थोड़ी हिलती है. धरती हिलने की बात तो कह दी, लेकिन उन सिख परिवारों का जिक्र तक नहीं किया, जिन्हें सिख दंगों की वजह से अपनों को खोना पड़ा. अमरिंदर सिंह ने भी ये कह दिया कि सिख दंगों के लिए चंद लोग जिम्मेदार थे, लेकिन यह भी समझना जरूरी है कि वह चंद लोग गली-मोहल्ले के चौराहों पर खड़े रहने वाले लोग नहीं थे, बल्कि कांग्रेस के बड़े नेता थे. हर बड़े नेता के बहुत से चाहने वाले होते हैं और उसके इशारों पर क्या हो सकता है, ये सिख दंगों में देखा ही जा चुका है.

जिस सिख दंगों के बारे में पूरा देश काफी कुछ जानता है, आखिर कौन मानेगा कि उसमें कांग्रेस की कोई भूमिका नहीं थी, जबकि सत्ता में उस वक्त कांग्रेस ही थी. वहीं इन दंगों को हवा देने वाले कांग्रेस के ही बड़े नेता थे. राहुल गांधी की इस बात पर विश्वास करना तो ठीक वैसा ही होगा जैसे भाजपा कहे कि गुजरात दंगों में उसकी कोई भूमिका नहीं थी या बाबरी विध्वंस में विश्व हिंदू परिषद की कोई भूमिका नहीं थी. जब बात गुजरात दंगों की आती है तब तो कांग्रेस जोर-शोर से उन पर आरोप लगाती है, लेकिन सिख दंगों की बात पर राहुल गांधी माफी मांगने के बजाए कांग्रेस पार्टी का बचाव करते क्यों दिख रहे हैं. राहुल गांधी का ऐसा करना ना तो व्यक्ति गत रूप से सही कहा जा सकता है, ना ही राजनीतिक नजरिए से.

भले ही मनमोहन सिंह हों या फिर खुद सोनिया गांधी, दोनों ने ही सिख दंगों के लिए देश से माफी मांगी है. मनमोहन सिंह ने संसद में और सोनिया गांधी ने खुद स्वर्ण मंदिर जाकर. उन्हें इस बात का इल्म है कि भले ही चंद लोगों ने सिख दंगों की आग को भड़काया, लेकिन वो लोग कांग्रेस के बड़े नेता थे, जिसकी वजह से उनके द्वारा किए गए कामों का असर पार्टी पर भी पड़ना तय है. राहुल गांधी को भी सिख दंगों के मामले से पल्ला झाड़ने के बजाय ये मानना चाहिए कि कांग्रेस से भूल हुई थी. अपनी गलती मान लेने से कोई छोटा नहीं हो जाता. अमरिंदर सिंह से राहुल गांधी का बचाव करते हुए कहा है कि सिख दंगों के लिए चंद लोग जिम्मेदार थे, जिसके लिए पूरी पार्टी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. यहां अमरिंदर सिंह को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि इंदिरा गांधी की हत्या के लिए भी चंद लोग ही जिम्मेदार थे, ना कि पूरा सिख समुदाय, जिनकी निर्ममता से हत्या की गई.

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