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Updated: 11 अप्रिल, 2019 06:19 PM
गोपी मनियार
गोपी मनियार
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गुजरात की राजनीति में तेजी से उभरे कांग्रेस के युवा नेता और विधायक व कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव अल्पेश ठाकोर ने यह कहते हुए कांग्रेस पार्टी से अपना इस्तीफा दे दिया कि कांग्रेस में उनको सम्मान नहीं मिलता. यही नहीं उन्होंने ये आरोप भी लगाया कि कांग्रेस में उनके साथ विश्वासघात किया गया है. ना सिर्फ अल्पेश ठाकोर बल्कि उनके दो साथी विधायक दवल सिंह झाला और भरत जी ठाकोर ने भी कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया है. अल्पेश की कुर्सी की चाहत उसे क्यों ले डूबेगी उसकी भी वजह है. जिसके लालच की परतें दिसंबर 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव से ही खुलती हैं.

अल्पेश ठाकोर ने 2016 से ही अपनी ठाकोर सेना और गुजरात में शराबबंदी की मुहिम को शुरु कर दिया था. गुजरात में ठाकोर और क्षत्रिय युवाओं के लिये अल्पेश उनका नेता बना और अल्पेश ने इसी का फायदा लेते हुए 2017 के विधानसभा चुनावों में खुद का फायदा देखते हुए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों से बार्गेनिंग शुरु कर दी. जब अल्पेश को लगा कि कांग्रेस में ज्यादा फायदा है तो वो कांग्रेस में शामिल हो गए. ना सिर्फ वो शामिल हुए बल्कि अपने नजदीकी लोगों को कांग्रेस की टिकट भी दिलवाई. लेकिन ज्यादातर लोग हार गए.

alpesh thakor quits congressविधायक दवलसिंह झाला और भरतजी ठाकोर के साथ अल्पेश ठाकोर

दिसम्बर 2017 में गुजरात विधानसभा का चुनाव हुआ, और अप्रैल 2018 यानी चुनाव खत्म हुए चार महीने भी नहीं हुए थे, कि अल्पेश ठाकोर को लगा कि अब उनके लिये कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है. अल्पेश ठाकोर की भारतीय जनता पार्टी के साथ जुडने की खबरें लगातार आती रहीं. ये बात भी बीजेपी के नेता मानते रहे कि अल्पेश ठाकोर कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आने के लिये बार्गेनिंग कर रहे हैं. सूत्रों की मानें तो अल्पेश ठाकोर और बीजेपी के बीच बार्गेनिंग का बीड़ा गुजरात के बड़े-बड़े उद्योगपति और कॉर्पोरेट्स ने उठाया था. लेकिन बीजेपी के साथ अल्पेश ठाकोर की बात इसलिये नहीं जमी क्योंकि अल्पेश ठाकोर की महत्वकांक्षा कुछ इस कदर थी कि उन्हें डिप्टी सीएम की कुर्सी या गृहमंत्रालय से कम कुछ नहीं चाहिये था. जो कि भारतीय जनता पार्टी के लिए देना संभव नहीं था. बीजेपी अल्पेश को कांग्रेस से आए बाकी विधायकों की तरह कैबिनेट मिनिस्टर बनाने के लिये तैयार थी.

अल्पेश की बीजेपी के साथ जैसे-जैसे बातचीत बढने लगी, अल्पेश को लगने लगा कि कांग्रेस में उसके साथ विश्वासघात हो रहा है और सम्मान भी नहीं मिल रहा. हालांकि अल्पेश ठाकोर की राहुल गांधी के साथ नजदीकियां भी थीं. यहीं विश्वासघात और सम्मान को लेकर मुलाकात भी हुई और वक्त बेवक्त कांग्रेस में अल्पेश की मनमानी भी दिखी. कांग्रेस ने उन्हें AICC का जनरल सेक्रेटरी और बिहार का सहप्रभारी तक बना दिया था. यही नहीं गुजरात चुनाव से पहले उन्हें केम्पेनिंग कमेटी में भी लिया गया था. लेकिन अल्पेश बार-बार अपनी ठाकोर सेना के साथ कांग्रेस पर अन्याय करने का आरोप लगाते रहे.

अक्सर ये बात मिडिया में आती रही कि अल्पेश कांग्रेस छोड बीजेपी जॉइन कर रहे हैं. लेकिन एक महीने पहले जब कांग्रेस में एक साथ 4 विधायकों ने अपना इस्तीफा दिया तो, अल्पेश ने भी मिडिया के सामने अपनी बात रखी और कहा कि मैं कांग्रेस से इस्तीफा नहीं दुंगा और संघर्ष का रास्ता चुनता हूं. तो सवाल ये भी खाड़ा होता है कि आखिरकार ऐसा क्या हुआ कि अल्पेश ठाकोर ने जिस संघर्ष का रास्ता चुना था वो एक महीने में ही छोडना पड़ा. इस एक महीने के बीच अल्पेश ठाकोर बीजेपी के नेता शंकर चौधरी से भी मिलते हुए दिखे. गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी के घर बंद कमरे में भी मीटिंग करने की बात सामने आई. आखिरकार अल्पेश ठाकोर ने कांग्रेस को अपना इस्तीफा सौंप दिया लेकिन कहा मैं विधायक पद से अपना इस्तीफा नहीं दे रहा हूं. मैं विधायक बना रहुंगा और बनासकांठा की लोकसभा सीट और उंझा की विधानसभा सीट पर अपने ठाकोर उम्मीदवार को जिताने के लिये प्रचार करुंगा.

alpesh thakor quits congressअल्पेश ठाकोर का कहना है कि अब वो बीजेपी और कांग्रेस दोनों के खिलाफ एक बार फिर अपना आंदोलन शुरु करेंगे

जानकार मानते हैं कि इसके पीछे भी अल्पेश ठाकोर की बीजेपी में शंकर चौधरी के साथ डील हुई है. क्योंकि लोकसभा चुनाव के लिये बीजेपी ने बनासकांठा से रुपानी सरकार में मंत्री रहे परबत पटेल को टिकट दिया है. कांग्रेस ने कोओपरेटिव सेक्टर का बड़ा नाम पारथी भटोल को टिकट दिया है. यहां के लोग मानते हैं कि पारथी भटोल जमीन से जुड़े हुए नेता हैं. ऐसे में उनका चुनाव जीतना काफी हद तक आसान है. अल्पेश ठाकोर के ठाकोर सेना के सदस्य स्वरुपजी ठाकोर यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. बनासकांठा में टोटल वोटर 10 लाख के आसपास हैं, जिसमें ठाकोर वोटर की तादाद 4.50 लाख है. अगर अल्पेश कांग्रेस में होते और ठाकोर वोट कांग्रेस में जाते तो कांग्रेस की जीत इस सीट से निश्चित मानी जाती थी. लेकिन अब ठाकोर वोट इस सीट पर बंट जाएंगे. जिसका सीधा फायदा बीजेपी के प्रत्याशी को हो सकता है. यहां उपचुनाव होगा, लेकिन शंकर चौधरी जो कि बनास डेरी के चेयरमैन हैं और 2017 के विधानसभा चुनाव में हार गए थे वो चाहते हैं कि बीजेपी के परबत पटेल चुनाव जीतें और लोकसभा जाएं. और उनकी जगह पर पार्टी शंकर चौधरी को उपचुनाव लडाए ताकि वो एक बार फिर विधायक और मंत्री बन पाएं. जानकार मानते हैं कि अल्पेश का ये गेम प्लान काफी बड़ा है.

कांग्रेस से इस्तीफा देते हुए अल्पेश बार-बार ये कह रहे हैं कि वो बीजेपी जॉइन नहीं करेंगे. और बीजेपी और कांग्रेस दोनों के खिलाफ एक बार फिर अपना आंदोलन शुरु करेंगे और ठाकोर सेना को और मजबूत करेंगे. हालांकि कांग्रेस में अल्पेश ठाकोर को सम्मान न मिलने की बात पर हाल ही में कांग्रेस जॉइन करने वाले हार्दिक पटेल का कहना है कि- 'राहुल गांधी ने AICC के जनरल सेक्रेटरी के तौर पर रखा है, उन्हें विधायक बनाया है गुजरात की ऐसी कोई कमेटी नहीं है जिसमें अल्पेश ठाकोर नहीं हैं, यही तो वो सम्मान है जो अल्पेश ठाकोर को दिया गया है. वरना लोगों की जिंदगी निकल जाती है विधानसभा की टिकट तक पहुंचने में.'

वही कांग्रेस के सूत्र कहते हैं कि अल्पेश ठाकोर ने लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के सामने 3 लोकसभा टिकटों पर खुद के उम्मीदवार खड़ा करने की बात कही थी. लेकिन कांग्रेस अल्पेश ठाकोर की इस बात को मानने के लिये तैयार नहीं थी. वहीं ये भी माना जा रहा है कि हार्दिक पटेल के कांग्रेस जॉइन करने की वजह से कांग्रेस में अल्पेश ठाकोर का कद कम हो रहा था. हालांकि अब एक बार फिर अल्पेश ठाकोर वापस अपने आंदोलन की राह पर चल पड़े हैं. देखना दिलचस्प होगा कि अब अल्पेश ठाकोर बीजेपी में शामिल होते हैं या फिर अपनी अलग पार्टी बनाकर 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी करते हैं.

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गोपी मनियार गोपी मनियार @gopi.maniar.5

लेखिका गुजरात में 'आज तक' की प्रमुख संवाददाता है.

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