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Updated: 15 फरवरी, 2016 08:57 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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जयललिता ने बीजेपी के साथ गठबंधन के लिए ग्रीन सिग्नल तकरीबन दे ही दिया है. तमिलनाडु में बीजेपी इससे कम से कम पैर जमाने की जगह तो बना ही लेगी. हो सकता है चुनाव बाद बीजेपी की भी तमिलनाडु में वैसी स्थिति हो जाए जैसी बिहार में फिलहाल कांग्रेस की हो गई है.

फिर भी रजनीकांत का साथ न मिलना बीजेपी को जरूर अखर रहा होगा.

ये तो होना ही था...

कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला आने के फौरन बाद जयललिता को बधाइयां देने का सिलसिला शुरू हो गया. शुरुआत में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी. मोदी के मुख्यमंत्री रहते ही जयललिता से उनके अच्छे रिश्ते कायम रहे. मोदी के बाद सुषमा स्वराज और फिर नजमा हेपतुल्ला ने भी फोन कर जयललिता को बधाई दी. फौरी तौर पर ये कर्टसी कॉल बताए गये लेकिन इनके दूरगामी नतीजे तभी तय हो चुके थे.

हाल तक बीजेपी और एआईएडीएमके के बीच गठबंधन की तस्वीर काफी धुंधली नजर आती रही. कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की डीएमके चीफ एम करुणानिधि से ताजा मुलाकात के बाद ये पक्के तौर पर माना जाने लगा कि बीजेपी अब जयललिता के साथ ही होगी.

वैसे तो जयललिता मैदान में अकेले उतरना चाह रही थीं. सब ठीक ठाक चल भी रहा था, लेकिन चेन्नई की बाढ़ बहुत कुछ बहा ले गई. उनमें जयललिता के पीछे खड़े जनाधार की जड़ें भी शामिल हैं जो पहले से काफी कमजोर मानी जा रही हैं.

एक रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी पहले अपने लिए 100 सीटों की मांग कर रही थी, लेकिन अब 60 सीटों पर सहमति लगभग बन चुकी है. तमिलनाडु की 235 में 149 सीटें फिलहाल जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके के पास हैं.

जयललिता से गठबंधन के साथ साथ बीजेपी ने रजनीकांत को मनाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन बताया जा रहा है कि उन्होंने खुद को इससे किनारे कर लिया है.

हाथ नहीं आये रजनीकांत

जिस तरह कांग्रेस ने कभी सचिन तेंदुलकर को साधने की कोशिश की थी, उसी तरह बीजेपी ने रजनीकांत पर भी खूब डोरे डाले लेकिन वो हाथ नहीं आए.

सचिन को कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए शासन में ही राज्य सभा भेजा गया और उनके अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से रिटायर होने के दिन ही भारत रत्न देने की घोषणा की गई. उस वक्त चर्चा रही कि चुनावों में कांग्रेस सचिन का फायदा लेना चाह रही है. एक दिन सचिन ने ही ऐसी सारी खबरों को बकवास बता दिया और उसके साथ ही इस पर विराम लग गया.

अप्रैल 2014 में मोदी जब चेन्नै पहुंचे तो एयरपोर्ट से सीधे रजनीकांत से मिलने उनके घर पहुंचे. तब मोदी ने रजनीकांत के साथ सेल्फी भी सोशल मीडिया पर शेयर की थी.

इस बार जब रजनीकांत को पद्म विभूषण दिया गया तो बीजेपी खेमा मान कर चल रहा था कि तमिलनाडु में रजनीकांत ही पार्टी का चेहरा होंगे. मगर शेख चिल्ली का ये किला भी ढहने में ज्यादा देर न लगी. रजनीकांत ने साफ कर दिया कि उनका कोई इंटरेस्ट नहीं है.

वैसे बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में सौरव गांगुली को भी साथ लेने की कोशिश की थी. इस कोशिश में बीजेपी नेताओं ने कई बार गेंद गांगुली के पाले में डालने की कोशिश भी की, लेकिन गांगुली ने फुल टॉस गेंद को सीधे बाउंड्री से बाहर भेज दिया. कभी लेफ्ट के क्लोज रहे गांगुली फिलहाल ममता बनर्जी के करीब हैं.

निश्चित रूप से अम्मा के आशीर्वाद से बीजेपी को तमिलनाडु में पैर जमाने में मदद मिलेगी, लेकिन रजनीकांत के बगैर बीजेपी का मिशन तो अधूरा ही रहेगा.

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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