New

होम -> सियासत

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 12 नवम्बर, 2019 02:44 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
  • Total Shares

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई ने अयोध्या का फैसला (Ayodhay Verdict) तो सुना दिया है, लेकिन अभी भी रिटायरमेंट (Retirement of CJI Ranjan Gogoi) से पहले उन्हें 5 अहम मालमों में फैसले सुनाने हैं. अयोध्या मामले (Ayodhya Case Verdict) में उन्होंने फैसला सुनाते हुए राम मंदिर (Ram Mandir Verdict) निर्माण को हरी झंडी दे दी है. फैसले के अनुसार, 2.77 एकड़ की विवादित भूमि को राम मंदिर बनाने के लिए राम जन्मभूमि न्यास को देने का फैसला किया है, जबकि मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में ही कहीं और 5 एकड़ जमीन देने का फैसला किया है. निर्मोही अखाड़े को कुछ नहीं दिया है, लेकिन राम मंदिर निर्माण के लिए जो ट्रस्ट बन रहा है, उसमें निर्मोही अखाड़े का भी प्रतिनिधित्व होगा.

इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या की विवादित भूमि के मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच एक समान तीन भांगों में बांट दिया जाए, जिसे किसी ने नहीं माना था और मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने भी इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही नहीं माना. आपको बता दें कि 17 नवंबर को रंजन गोगोई रिटायर हो रहे हैं और 18 नवंबर को नए सीजेआई के तौर पर जस्टिस शरद अरविंद बोबडे (Next CJI Justice Sharad Arvind Bobde) शपथ लेंगे. अपने रिटायरमेंट से पहले रंजन गोगोई को कई अहम फैसले सुनाने थे, जिसमें से एक था राम मंदिर का फैसला. अब राम मंदिर का केस तो सुलझ गया और किसी पक्ष ने इसे लेकर रिव्यू याचिका भी नहीं डाली है, लेकिन रंजन गोगोई को रिटायर होने से पहले 5 अहम फैसले सुनाने हैं.

CJI Ranjan Gogoi retirement Pending cases verdictरंजन गोगोई को रिटायर होने से पहले 5 अहम मामलों पर फैसला सुनाना है.

1- Sabarimala Case Verdict

सितंबर 2018 में रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने सबरीमाला (Sabarimala Case Verdict) पर फैसला सुनाते हुए हर महिला को केरल के सबरीमाला मंदिर में पूजा-पाठ करने की इजाजत दी थी. इसके बाद केरल में काफी बवाल हुआ था. इसे लेकर राजनीति भी खूब हुई थी. यहां तक कि भाजपा भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ नजर आई थी. करीब 65 याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के सबरीमाला पर दिए गए फैसले के खिलाफ याचिका भी डाली थी. याचिकाओं में कहा गया है कि सदियों पुरानी इस परंपरा में सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, क्योंकि लोगों का विश्वास है कि सबरीमाला के भगाव नैस्तिक ब्रह्मचारी हैं, जिनकी मौजूदगी को 10-50 साल की महिलाओं (रजस्वला उम्र) के प्रवेश के जरिए छेड़ना सही नहीं है. रियाटर होने से पहले रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच इस पर भी फैसला सुनाएगी. या तो ये बेंच अपने पुराने फैसला का जस का तस लागू रखेगी या उसे पलट देगी. देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम का फैसला क्या आता है.

2- Rafale Deal Verdict

रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने राफेल फाइटर एयरक्राफ्ट डील (Rafale Deal Verdict) को लेकर एक ज्वाइंट रिव्यू याचिका में अपना फैसला सुरक्षित रखा है. ये याचिका प्रशांत भूषण, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा ने दायर की थी. इस मामले की सुनवाई की दौरान जिस अहम बात पर फोकस किया गया था वह ये थी कि 36 राफेल एयरक्राफ्ट की डील में भ्रष्टाचार की शिकायत पर सीबीआई ने एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की. रिव्यू याचिका में आरोप लगाया गया था कि सरकार ने 14 दिसंबर 2018 के फैसले में कोर्ट को गुमराह किया था. देखना दिलचस्प रहेगा कि इस मामले में क्या फैसला आता है.

3- Rahul Gandhi के खिलाफ अवमानना की याचिका

सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील पर हो रही सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ किया कि वह उन दस्तवेजों को भी सुनवाई में देखेगी, जिन्हें केंद्र ने गोपनीय होने का हवाला दिया था. इसे सुप्रीम कोर्ट की तरफ से केंद्र को झटका माना जा रहा था. इसी मौके का फायदा उठाते हुए राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने राजनीति करते हुए बयान दे डाला कि सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि चौकीदार चोर है. यानी वह ये कहना चाह रहे थे सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि राफेल डील में नरेंद्र मोदी (चौकीदार) ने भ्रष्टाचार किया है. इसके बाद मीनाक्षी लेखी ने राहुल गांधी के खिलाफ कोर्ट में शिकायत करते हुआ कहा था राहुल गांधी ने कोर्ट की अवमानना की है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे रंजन गोगोई के रिटायरमेंट से पहले सुनाया जाना है. देखना दिलचस्प रहेगा कि इसमें राहुल गांधी का गला फंसता है या मीनाक्षी लेखी का तीर उल्टा भाजपा की ओर मुड़ता है.

4- Finance Act 2017 की वैधता को चुनौती

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच ने फाइनेंस एक्ट 2017 (Finance Act 2017) में भी अपना फैसला सुरक्षित रखा है. फाइनेंस एक्ट 2017 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालते हुए इसकी वैधता को चुनौती दी गई थी. आरोप लगाया गया था कि संसद में फाइनेंस एक्ट 2017 को एक मनी बिल की तरह पारित कर दिया गया. 17 नवंबर से पहले-पहले इस मामले पर भी सुप्रीम कोर्ट से अंतिम फैसला आने की उम्मीद है.

5- Supreme Court को RTI के दायरे में लाए जाने को चुनौती

भले ही सुप्रीम कोर्ट हर तरीके से पारदर्शिता बढ़ाने पर जोर देता हो, लेकिन वह खुद आरटीआई एक्ट (Supreme Court under RTI Act) लागू ना होने देने को लेकर आरोपों का सामना कर रहा है. आपको बता दें कि जुलाई 2010 में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि सीजेआई दफ्तर और सुप्रीम कोर्ट पब्लिक अथॉरिटी हैं, जो आरटीआई एक्ट के दायरे में आते हैं. इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल ने चुनौती दी थी. उन्होंने तर्क दिया था कि ऐसा होने पर सुप्रीम कोर्ट के एडमिनिस्ट्रेशन में दिक्कतें होंगी. बता दें कि ऐसा होता है कि जजों की नियुक्ति भी आरटीआई के दायरे में आ जाएगी. रंजन गोगोई को जाने से पहले इस मामले का भी निपटारा करना है.

ये भी पढ़ें-

मस्जिद को भूलकर स्कूल-कॉलेज की बात करें मुस्लिम

Kartarpur corridor: सिखों के कंधे पर बंदूक रखकर पाकिस्तान का भारत पर निशाना!

Ram Mandir Ayodhya verdict हाशिम अंसारी और परमहंस की दोस्ती को समर्पित

लेखक

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय