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Updated: 26 मार्च, 2015 07:18 AM
शान्तनु दत्ता
शान्तनु दत्ता
  @shantanu.datta.754
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अरविंद केजरीवाल एक बहुत अच्छे वक्ता हैं जो रोजाना आम मुद्दों पर बोलते हैं, अपनी भाषा में रोजमर्रा की आम शब्दावली और उपमा का इस्तेमाल करते हैं. वह सार्वजनिक वाहनों में सफर करने वाले हर दूसरे व्यक्ति को प्रभावित करने के लिए बोलते हैं. उनके बोले गए हर शब्द का मतलब होता है. पिछली बार उनका सरकारी कार और आवास लेने का मामला मीडिया में एक मुद्दा बन गया था लेकिन इस बार वह इस मामले में पहले से ही साफ थे. नई सरकार दिल्ली में वीआईपी संस्कृति खत्म करना चाहती है. क्योंकि बेवजह रास्तों को किसी मंत्री के आवागमन के लिए बंद कर दिया जाना किसी को पंसद नहीं आता. वह कहते हैं कि "बेशक हमें कारों की आवश्यकता होगी, लेकिन हमें लाल बत्ती से छुटकारा मिल जाएगा."

यह अच्छा लगता है. पहले खुद केजरीवाल ने इस पर अमल किया है. आखिरकार आम आदमी और आम आदमी सरकार शब्द अच्छे लगते हैं. बकवास और मजाक का केन्द्र बने ये शब्द अब साफ हो गए हैं. आधिकारिक तौर पर अब आम आदमी का मतलब पीडीएस राशन और सरकारी खैरात के लिए इंतजार करने वाले गरीब बीपीएल कार्ड धारकों से नहीं है. आम लोगों की इस सरकार का नेतृत्व ऐसे पुरुषों और महिलाओं के हाथ में नहीं है, जो पतले चश्मों के फ्रेम, सफेद कुर्तों और चप्पलों के पीछे अपनी विचारधारा को छिपाते हैं. यह बिल्कुल गुरुदत्त या ऋत्विक घटक की फिल्मों की तरह है.

आम आदमी से मेरा मतलब आप या मैं नहीं था. दो या तीन बेडरूम वाले फ्लैटों में रहने वाले, कार चलाने वाले, छुट्टियों पर जाने वाले, मशहूर हस्तियों के साथ तस्वीर लेकर खुश होने वाले, आयकर से परेशान होने वाले, बढ़ती कीमतों से कराहने वाले और ईएमआई देते-देते मौत के करीब पहुंच जाने वाले हम लोगों को दूसरे शब्दों में मध्यम वर्गीय कहा जाता है.

अब आपके पास है आम आदमी की संरचना: गरीबी के दस रंगों और मध्यम वर्ग के 50 वेरिएंट अपने अलग-अलग उपसर्गों और प्रत्ययों के साथ: निम्न-मध्यम, मध्य-मध्य, ऊपरी-निम्न मध्यम-मध्यम, मध्यम-कम ऊपरी-ऊपरी इत्यादि.

अब आप इस हाई और लो अनुभव के बारे में पूरी बात की कल्पना परिपक्वता और ज्ञान समेत कर सकते हैं कि एक महीने के भीतर ही हर कोई लड़ रहा है. पार्टी हर लड़ने वाले को लेकर परेशान है. पार्टी का नेतृत्व करने वाले नेता केजरीवाल दस दिवसीय उपचार सत्र खत्म करके ज्यादा कटुता भरे माहौल के बीच लौटे हैं. और बजाय पार्टी, प्रशासन और शासन की बात करने के उन्होंने आते ही अधिकारियों को अपने नए मुख्यमंत्री निवास से सारे एयर कंडीशनर हटाने के लिए कह दिया है.

माफ कीजिए क्या कहा आपने? आपने सही सुना उन्होंने कहा कि सभी एसी हटा दो. उनकी कोई ज़रूरत नहीं है. केजरीवाल क्या साबित करने की कोशिश कर रहे थे? आम आदमी के लिए एसी नहीं है? आम आदमी एसी बर्दाश्त नहीं कर सकते? बकवास. ये खुद को गरीबों के ज्यादा करीब दिखाने का तरीका है? शायद. और अगर यह सच में है तो बेहूदा है.

संभावना है कि अगर आप उनसे पूछेंगे तो केजरीवाल शायद कहेंगे कि वह एसी का प्रयोग नहीं करते, या यह भी एक चिकित्सा सुझाव की वजह से हो सकता है. लेकिन यह कोई अच्छा पर्याप्त कारण नहीं है लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को परेशान कर के लिए:

1. रिपोर्ट के अनुसार विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दीवारों में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर बने छेदों को छोड़ना संभव नहीं है. उन छेदों को भरने का काम करना होगा. इसके लिए किसी रॉकेट वैज्ञानिक की जरूरत नहीं है. और केजरीवाल आईआईटी खड़गपुर पहुंच गए.

2. उससे भी ज्यादा यह कि आप सरकारी कर्मचारियों को परेशान कर सकते हैं क्योंकि वे कर्मचारी हैं, सरासर ये विचार ठीक है. आप उन्हें परेशान कर सकते हैं क्योंकि यह सामंती और सामान्य किस्म का भाव है. इस मामले में लाल बत्ती और बदलाव के बीच क्या अंतर है जो आप उसे पंसद नहीं करते या आपको जरूरत नहीं है या आप उसे बदल देना चाहते हैं. ये अंतर सैंकड़ों को परेशान करने वालों और हजारों को परेशान करने वालों के बीच जैसा है. लेकिन यहां मूल में प्रचलित शब्द वही है परेशान या शोषण.

3. आप एसी को वहां से क्यों हटाना चाहते हैं, फिर दिवारों को भरा जाए और जब ये बंगला बाद में किसी और को आवंटित होगा तो फिर से छेद खोलकर वापस एसी वहां लगाए जाएं. सही मायनों में इसे ही संसाधनों की बर्बादी कहा जाता है. कोई हैरत की बात नहीं कि पीडब्ल्यूडी सबसे यथार्थवादी जवाब दे: माफ करें यह काम नहीं किया जा सकता. अगर आपको एसी की जरूरत नहीं तो उनका इस्तेमाल ही न करें.

यह एक छोटा सा उदाहरण है. अभी तो ये केवल शुरुआत है. बमुश्किल उन्हें शपथ लिए एक महीना ही हुआ है. इन 30 दिनों में उन्होंने दस दिन बंगलौर में प्राकृतिक चिकित्सा के लिए बिताए हैं. उग्र अतीत के सामने 14 फरवरी एक छोटे विस्फोट के रूप में दिखाई दे रहा है.

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लेखक

शान्तनु दत्ता शान्तनु दत्ता @shantanu.datta.754

एक लेखक बनने का संघर्ष करते हुए पत्रकार बनने की ओर अग्रसर.

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