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Updated: 06 अगस्त, 2019 04:26 PM
विकास कुमार
विकास कुमार
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जम्मू कश्मीर को लेकर मोदी सरकार ने जो फैसला लिया वो न सिर्फ ऐतिहासिक है, अभूतपूर्व है, अविश्वसनीय है. बल्कि अकल्पनीय भी है. मतलब ये एक ऐसा फैसला था जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी. कोई कयास लगा रहा था कि धारा 370 को खत्म किया जाएगा, कोई कह रहा था कि अनुच्छेद 35 ए को खत्म किया जाएगा, कोई बोल रहा था कि जम्मू-कश्मीर को तीन टुकड़ों में बांटा जाएगा, तो कोई पाकिस्तान के साथ किसी लफड़े का अंदेशा जता रहा था. लेकिन हुआ वो जो किसी ने नहीं सोचा था. ये सिर्फ कश्मीर के स्पेशल स्टेटस के मामले में ही नहीं बल्कि कश्मीर से जुड़े किसी भी मामले में असंभावित नजर आ रहा था.  दरअसल जम्मू-कश्मीर पर चल रही तमाम अटकलों, अफवाहों और कयासों पर विराम लगाते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में दो अहम संकल्प पेश किए. इस संकल्प में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने और जम्मू-कश्मीर राज्य को दो भागों में बांटने का संकल्प शामिल है.

जम्मू कश्मीर, अमित शाह, अनुच्छेद 370, अनुच्छेद 35 (ए), Jammu And kashmirजम्मू कश्मीर से मोदी सरकार के अनुच्छेद 370 अनुच्छेद 35 (ए) को एक बड़ी जीत माना जा रहा है

जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश होगा. इस प्रदेश की अपनी विधायिका होगी. जबकि लद्दाख अब जम्मू-कश्मीर से अलग एक केंद्र शासित प्रदेश होगा. लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी. ये एक ऐसा फैसला है जिसे लेकर बड़े से बड़े संविधान विशेषज्ञ ने कभी कल्पना नहीं की होगी कि केंद्र सरकार सिर्फ अपनी बदौलत इस तरह के फैसले ले सकती है. ध्यान रहे कि जितनी जटिल कश्मीर समस्या नहीं है. उससे कहीं ज्यादा जटिल कश्मीर का स्पेशल स्टेटस था जिसे अब तक बनाकर रखा गया था. कुल मिलाकर एक ऐसा संवैधानिक आडंबर का माहौल था कि मानों कश्मीर को उसके स्पेशल स्टेटस से कभी बेदखल किया ही नहीं जा सकता. स्पेशल स्टेटस को खत्म करना तो दूर वहां से जुड़े छोटे-मोटे फैसले भी केंद्र के लिए टेढ़ी खीर थे.

यही नहीं मोदी सरकार ने कश्मीर की ऐसी 'सर्जरी' की कि सियासत के बड़े से बड़े 'सर्जन' हैरान और परेशान रह गए. वे समझ नही पा रहे थे कि मोदी के इस फैसले का समर्थन करें या विरोध. इसी का नतीजा था कि अरविंद केजरीवाल की AAP और चंद्रबाबू नायडू की TDP जैसे धुर मोदी विरोधी दल जहां सरकार के इस फैसले के समर्थन में आ गए तो JDU ने विरोध कर दिया. इतना ही नहीं मायावती की BSP ने भी संसद में सरकार के समर्थन की घोषणा की. तो YSRCP, BJD जैसे गैर NDA गैर UPA दल भी सरकार के समर्थन में खड़े हो गए. जबकि किसी जमाने में इन तमाम दलों के नेताओं की भौहें कश्मीर के स्पेशल स्टेटस से छेड़छाड़ की बात पर भी तन जाती थीं.

इसी तरह कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को लेकर पूरे देश में भय का माहौल ऐसे बनाकर रखा गया था कि मानों अगर किसी ने इसके खिलाफ सोचा भी तो न सिर्फ कश्मीर में बल्कि पूरे देश में आग लग जाएगी. कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती इस मुद्दे को लेकर लगातार आग उगल रही थीं. उन्होंने यहां तक कहा था कि अगर अनुच्छेद 35ए से किसी तरह की छेड़छाड़ हुई तो कश्मीर में तिरंगे को कोई कंधा देनेवाला नहीं बचेगा.

साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि जो हाथ कश्मीर के स्पेशल स्टेटस के खिलाफ उठेगा न सिर्फ वो हाथ, बल्कि पूरा शरीर जल जाएगा. तो वहीं एक और पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अबदुल्ला ने कश्मीर के लिए अलग प्रधानमंत्री बनाने की बात तक कही थी. लेकिन हकीकत ये है कि मोदी सरकार के इस कदम के बाद जहां पूरे देश में जश्न का माहौल है, वहीं कश्मीर से भी अभी तक किसी तरह विरोध प्रदर्शन या अप्रिय घटना की खबर नहीं आई है.

इसीलिए लोग कहते हैं कि पीएम मोदी एक ऐसे बाजीगर हैं जिनका बायां हाथ क्या करेगा, वो उनके दाएं हाथ को भी पता नहीं होता. शायद यही वजह है कि पीएम मोदी को शिव भक्त मानते हुए लोगों का यहां तक मानना है कि सावन के इस महीने में जहां कुछ खामियों और अंदेशों पर विराम लगाते हुए चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ. देश के सबसे बड़े सियासी मुद्दों में से एक तीन तलाक का बिल संसद में पारित हुआ उसी तरह तीसरे सोमवार को सरकार द्वारा कश्मीर पर लिया गया ऐतिहासिक फैसला भी सफलतापूर्वक न सिर्फ लागू होगा, बल्कि कश्मीर में अमन-चैन और विकास के नए आयाम खुलेंगे. जो न्यू इंडिया का अब तक का सबसे बड़ा नगीना होगा.

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लेखक

विकास कुमार विकास कुमार @100001236399554

लेखक आजतक में पत्रकार हैं

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