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कृत्रिम पहाड़: रेगिस्तान में मायाजाल रचने वाला यूएई अब प्रकृति से खेल रहा है?

    • आईचौक
    • Updated: 05 मई, 2016 05:21 PM
  • 05 मई, 2016 05:21 PM
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क्या आपने कभी इंसानों द्वारा पहाड़ के निर्माण की बात सुनी है? अब ये भी होने जा रहा है. दुबई में. तो क्या अब हम इतने काबिल हो गए हैं कि पहाड़, नदी, समुद्र और अंतरिक्ष का भी निर्माण करने लगेंगे? अहम सवाल ये कि पर्यावरण पर इसका क्या असर होगा...

इंसान और प्रकृति के बीच की जंग पुरानी है. बेमिसाल इंजिनियरिंग, अपनी जिद और सोचने-समझने की ताकत के बल पर हमने कई बार प्रकृति पर अपनी जोर अजमाइश दिखाई है. प्रकृति और इस धरती को डंडे से हांकने की भी कोशिश होती रही है. लेकिन इन सबके बावजूद क्या आपने कभी इंसानों द्वारा पहाड़ के निर्माण की बात सुनी है? अब ये भी होने जा रहा है. दुबई में. खबर आई है कि दुबई कृत्रिम पहाड़ बनाने की दिशा में सोच रहा है. इसके लिए अमेरिकी नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फिरिक रिसर्च (NCAR) के विशेषज्ञों से चर्चा भी हो रही है.

बारिश के लिए पहाड़!

दुबई के प्रशासकों को लगता है कि कृत्रिम पहाड़ की मदद से बारिश की समस्या को खत्म किया जा सकता है. ये रिसर्च जरूर अभी शुरुआती स्तर पर है लेकिन तैयारी पूरी है. इस आईडिया पर‍ रिसर्च के लिए दुबई की ओर से चार लाख डॉलर खर्च भी किए जा चुके हैं. हालांकि ये कितना लंबा होगा और कहां बनेगा, इसे लेकर भी अभी कोई जानकारी सामने नहीं आई है. बता दें कि बारिश के लिए पहाड़ अहम होते हैं. पहाड़ों से टकराने के बाद नम हवा ऊपर उठने के लिए मजबूर होती है और ठंडी होकर बादल में तब्दील हो जाती है और आखिर में बारिश की बूंदों के रूप में नीचे गिरती है.

यह भी पढ़ें- चीन का एक और धमाका, बना रहा है अपने लिए नया सूरज

यूएई में कृत्रिम बारिश का प्रयोग पहले से होता रहा है. इसे क्लाउड सीडिंग कहते हैं. इसी साल मार्च में यूएई में जबर्दस्त बारिश हुई थी. मूसलाधार बारिश और आंधी के चलते देश में बाढ़ जैसे हालात भी पैदा हो गए थे और संपत्ति का बड़ा नुकसान हुआ. बाद में ये बात सामने आई कि इस तबाही मचाने वाली बारिश में एक रोल हद से ज्यादा क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल करना भी रहा. पिछले साल यूएई ने क्लाउड सीडिंग पर करीब 558,000 डॉलर खर्च किए थे.

इंसान और प्रकृति के बीच की जंग पुरानी है. बेमिसाल इंजिनियरिंग, अपनी जिद और सोचने-समझने की ताकत के बल पर हमने कई बार प्रकृति पर अपनी जोर अजमाइश दिखाई है. प्रकृति और इस धरती को डंडे से हांकने की भी कोशिश होती रही है. लेकिन इन सबके बावजूद क्या आपने कभी इंसानों द्वारा पहाड़ के निर्माण की बात सुनी है? अब ये भी होने जा रहा है. दुबई में. खबर आई है कि दुबई कृत्रिम पहाड़ बनाने की दिशा में सोच रहा है. इसके लिए अमेरिकी नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फिरिक रिसर्च (NCAR) के विशेषज्ञों से चर्चा भी हो रही है.

बारिश के लिए पहाड़!

दुबई के प्रशासकों को लगता है कि कृत्रिम पहाड़ की मदद से बारिश की समस्या को खत्म किया जा सकता है. ये रिसर्च जरूर अभी शुरुआती स्तर पर है लेकिन तैयारी पूरी है. इस आईडिया पर‍ रिसर्च के लिए दुबई की ओर से चार लाख डॉलर खर्च भी किए जा चुके हैं. हालांकि ये कितना लंबा होगा और कहां बनेगा, इसे लेकर भी अभी कोई जानकारी सामने नहीं आई है. बता दें कि बारिश के लिए पहाड़ अहम होते हैं. पहाड़ों से टकराने के बाद नम हवा ऊपर उठने के लिए मजबूर होती है और ठंडी होकर बादल में तब्दील हो जाती है और आखिर में बारिश की बूंदों के रूप में नीचे गिरती है.

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यूएई में कृत्रिम बारिश का प्रयोग पहले से होता रहा है. इसे क्लाउड सीडिंग कहते हैं. इसी साल मार्च में यूएई में जबर्दस्त बारिश हुई थी. मूसलाधार बारिश और आंधी के चलते देश में बाढ़ जैसे हालात भी पैदा हो गए थे और संपत्ति का बड़ा नुकसान हुआ. बाद में ये बात सामने आई कि इस तबाही मचाने वाली बारिश में एक रोल हद से ज्यादा क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल करना भी रहा. पिछले साल यूएई ने क्लाउड सीडिंग पर करीब 558,000 डॉलर खर्च किए थे.

 मार्च में दुबई में बाढ़ जैसे हालात

कमाल के आर्किटेक्चर और हैरान कर देने वाले प्रोजेक्ट्स दुबई के लिए नई बात नहीं हैं. जब अथाह पैसा हो तो क्या कुछ किया जा सकता है, दुबई इसी का उदाहरण है. दुनिया की सबसे ऊंची इमारत से लेकर कृत्रिम मरीन (बंदरगाह) और आईलैंड ये सब दुबई की पहचान हैं. भले ही यहां तापमान 45 से 50 डिग्री के बीच रहता हो लेकिन ये ऐसी जगह है जहां आप स्नो पॉर्क और स्किंग का लुत्फ भी उठा सकते हैं. सब कुछ पैसे के बल पर.

पर्यावरण और जलवायु पर प्रभाव!

दुनिया भर में पर्यावरण पर चर्चा होती है. चिंता जताई जाती है. लेकिन जब दुबई में ऐसे प्रोजेक्ट्स एक के बाद एक आगे बढ़ रहे हैं, तो कोई बात क्यों नहीं हो रही. हवाई जहाज पर उड़ते हुए पाम आईलैंड खूबसूरत लग सकता है. लेकिन क्या ये सच नहीं है कि वहां के समुद्री जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ा है. कंस्ट्रक्शन से पैदा हुए कचड़े का असर स्थानीय समुद्री जीव-जंतुओं पर पड़ा है. नजदीक के समुद्री सतहों पर गाद इतनी जमा हो गई कि समुद्री जीव वहां से दूर चले गए. यहां तक कि समुद्र में उठने वाले लहरों के पैटर्न में भी बदलाव आए हैं.

 पाम आईलैंड

ऐसे में सवाल है कि भविष्य में अगर कृत्रिम पहाड़ खड़ा करने में यूएई सफल होता है तो क्या इसका भी जलवायु पर कोई असर होगा? निश्चित तौर पर होगा. कई जानकारों का मानना है कि इससे पूरे विश्व में हवाओं के बहाव पर असर होगा. यह बहुत आसानी से समझा जा सकता है कि एकाएक जब पहाड़ खड़ा होगा तो हवाओं की गति से लेकर उनके बहने वाले रास्तों में बदलाव आएगा और इसका प्रभाव तापमान के पैटर्न पर भी पड़ेगा. इसका अर्थ है कि बारिश उस तरफ के पहाड़ी इलाकों में होगी, जहां से हवा टकराएगी और पहाड़ का दूसरा हिस्‍सा सूखा रहेगा.

वैसे भी हमें समझना होगा कि नेचर अपने हिसाब से और एक पैटर्न के तहत काम करती है. अब तक तो हम छोटे-मोटे प्रयोग ही करते आए हैं और उसी से इतना हाहाकार मचा है. लेकिन जब हम ही पहाड़, नदी, समुद्र और आकाश का निर्माण करने लगेंगे तो मामला हाथ से बाहर न चला जाए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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