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झूठ हैं स्मार्टफोन से जुड़ी ये 10 बातें जिन्हें आप मानते हैं सच

    • ऑनलाइन एडिक्ट
    • Updated: 29 जनवरी, 2017 05:22 PM
  • 29 जनवरी, 2017 05:22 PM
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क्या आप भी मानते हैं कि 'ज्यादा मेगापिक्सल का मतलब बेहतर कैमरा'? स्मार्टफोन से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं जो सही नहीं, लेकिन आंख बंद करके लोग उसपर यकीन कर लेते हैं. चलिए देखते हैं स्मार्टफोन से जुड़े 10 मिथक और उनके पीछे की सच्चाई.

भारतीय मार्केट में कुकुरमुत्ते की तरह स्मार्टफोन्स भी बढ़ रहे हैं. जितने लोग उतने ही फोन! एक सर्वे के मुताबिक भारत में 34.02 करोड़ स्मार्टफोन यूजर्स हैं (2017 तक). अब इतने यूजर्स हैं तो स्मार्टफोन तकनीक के बारे में लोग कुछ ना कुछ तो जानते ही होंगे. अक्सर आपने चौराहे पर, नुक्कड़ में कहीं ना कहीं लोग आपको ये बताने की कोशिश करते हैं कि उनका फोन बेहतर है, फोन की देखभाल कैसे करनी है, फोन को सामने की जेब में ना रखें वगैराह-वगैराह.

ये तो सही है कि स्मार्टफोन को लोग आजकल अपनी जान से भी ज्यादा मानने लगे हैं. पर क्या स्मार्टफोन से जुड़े सभी मिथकों को भी मानते हैं? स्मार्टफोन से जुड़ी कई बातें हैं जो गलत हैं, जिनके बारे में लोग भ्रमित हैं, लेकिन फिर भी किसी के कहने पर यकीन करते हैं. आज चलिए बात करते हैं स्मार्टफोन से जुड़े इन्हीं मिथकों की-

1. पेट्रोल पंप पर फोन इस्तेमाल करने से लगेगी आग-

दरअसल पेट्रोल पंप में रेडिएशन से कोई खतरा नहीं होता. ऐसा कोई भी प्रमाणित किस्सा नहीं है जिससे ये साबित हो कि रेडिएशन की वजह से आग लग सकती है. गैस और पेट्रोल ज्वलनशील होते हैं, लेकिन आग सिर्फ किसी स्पार्क से ही लग सकती है. फोन से डर बैटरी के कारण होता है. अगर बैटरी जरा भी खराब है तो ब्लास्ट हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि रेडिएशन इसका कारण है.  

2. ज्यादा मेगापिक्सल मतलब बेहतर कैमरा

मेरे पास तो 21 मेगापिक्सल का फोन है, लेकिन पता नहीं फोटो क्यों सही नहीं आ रही, शायद सेटिंग में कोई गड़बड़ है. ऐसा शायद आपने भी सुना हो. ये स्मार्टफोन यूजर्स के द्वारा माना जाने वाला आम मिथक है जो सच नहीं है. ज्यादा मेगापिक्सल मतलब बड़ा फोटो साइज. फोटो क्वालिटी असल में कैमरा सेंसर की वजह से आती है. यही वजह है कि एंड्रॉइड फोन का 21...

भारतीय मार्केट में कुकुरमुत्ते की तरह स्मार्टफोन्स भी बढ़ रहे हैं. जितने लोग उतने ही फोन! एक सर्वे के मुताबिक भारत में 34.02 करोड़ स्मार्टफोन यूजर्स हैं (2017 तक). अब इतने यूजर्स हैं तो स्मार्टफोन तकनीक के बारे में लोग कुछ ना कुछ तो जानते ही होंगे. अक्सर आपने चौराहे पर, नुक्कड़ में कहीं ना कहीं लोग आपको ये बताने की कोशिश करते हैं कि उनका फोन बेहतर है, फोन की देखभाल कैसे करनी है, फोन को सामने की जेब में ना रखें वगैराह-वगैराह.

ये तो सही है कि स्मार्टफोन को लोग आजकल अपनी जान से भी ज्यादा मानने लगे हैं. पर क्या स्मार्टफोन से जुड़े सभी मिथकों को भी मानते हैं? स्मार्टफोन से जुड़ी कई बातें हैं जो गलत हैं, जिनके बारे में लोग भ्रमित हैं, लेकिन फिर भी किसी के कहने पर यकीन करते हैं. आज चलिए बात करते हैं स्मार्टफोन से जुड़े इन्हीं मिथकों की-

1. पेट्रोल पंप पर फोन इस्तेमाल करने से लगेगी आग-

दरअसल पेट्रोल पंप में रेडिएशन से कोई खतरा नहीं होता. ऐसा कोई भी प्रमाणित किस्सा नहीं है जिससे ये साबित हो कि रेडिएशन की वजह से आग लग सकती है. गैस और पेट्रोल ज्वलनशील होते हैं, लेकिन आग सिर्फ किसी स्पार्क से ही लग सकती है. फोन से डर बैटरी के कारण होता है. अगर बैटरी जरा भी खराब है तो ब्लास्ट हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि रेडिएशन इसका कारण है.  

2. ज्यादा मेगापिक्सल मतलब बेहतर कैमरा

मेरे पास तो 21 मेगापिक्सल का फोन है, लेकिन पता नहीं फोटो क्यों सही नहीं आ रही, शायद सेटिंग में कोई गड़बड़ है. ऐसा शायद आपने भी सुना हो. ये स्मार्टफोन यूजर्स के द्वारा माना जाने वाला आम मिथक है जो सच नहीं है. ज्यादा मेगापिक्सल मतलब बड़ा फोटो साइज. फोटो क्वालिटी असल में कैमरा सेंसर की वजह से आती है. यही वजह है कि एंड्रॉइड फोन का 21 मेगापिक्सल भी आईफोन के 8 मेगापिक्सल से फीका हो जाता है.  

3. पावरफुल प्रोसेसर से हैंग नहीं होगा फोन

अगर आपके फोन में ऑक्टा-कोर प्रोसेसर है और आप ये सोच रहे हैं कि अब तो फोन हैंग होगा ही नहीं तो जनाब आपको सोच बदलने की जरूरत है. अगर 2GB रैम वाले फोन में ऑक्टा-कोर प्रोसेसर है तो वो हाई मेमोरी गेम्स खेलने में भी हैंग हो सकता है. कोई बड़ी बात नहीं कि आपका नया फोन आपको ऐसे परेशान करे. प्रोसेसर की पावर डबल कर लेने से फोन की पावर डबल नहीं होती. फोन की वर्किंग के लिए सॉफ्टवेयर भी उतना ही जिम्मेदार है.

4. रात भर चार्ज करने से फटेगी बैटरी

ये पुराने जमाने के फोन्स के लिए तो सही था, लेकिन आज के फोन्स के बारे में ये कहना सही नहीं होगा. स्मार्टफोन्स की बैटरी भी अब स्मार्ट हो गई है. नए फोन्स का चार्जिंग मैकेनिज्म कुछ ऐसा है कि फुल चार्ज होने पर बैटरी अपने आप इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई लेना बंद कर देती है. अगर फोन की IC (इंटिग्रेटेड सर्किट) या चार्जर में कोई समस्या है तो ही बैटरी को नुकसान होगा अन्यथा नहीं.

5. एयरप्लेन मोड पर रखने से फोन ट्रैक नहीं किया जाएगा

ये तो बिलकुल सही नहीं है और अगर कोई आपसे ये कह रहा है तो आप उसे भी तर्क दे सकते हैं. फोन में GPS, ब्लूटूथ, सिम बंद करने या एयरप्लेन मोड में डालने से फोन कहीं से भी ट्रैक ना किया जाए ये गलत है. एयरप्लेन मोड एक तरह से डू नॉट डिस्टर्ब की तरह काम करता है जिसमें आपका फोन सभी तरह की सेल्युलर सर्विसेज से कट जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं है कि इसे ट्रैक नहीं किया जा सकता. फोन में एक यूजर इंटरफेस होता है और एक ऑपरेटिंग सिस्टम. एयरप्लेन मोड से यूजर इंटरफेस की सेल्युलर सर्विसेज बंद होती हैं, लेकिन ओएस फिर भी सेल्युलर एक्टिव रहता है.  

6. पावर सेविंग एप्स से बचेगी बैटरी

थर्ड पार्टी बैटरी और पावर सेविंग एप्स कई मामलों में फोन की बैटरी का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. ये एप्स बैटरी मैनेजर जरूर होते हैं, लेकिन बैटरी बैकअप के मामले में नहीं. ये एप्स दूसरे एप्स का ख्याल रखते हैं और उनमें से कौन सा ज्यादा बैटरी खर्च कर रहा है इसकी रिपोर्ट बताते हैं.

7. फोन चार्ज करने से पहले पूरी तरह बैटरी डिस्चार्ज होने दें

आपको जब सही लगता है आप अपना फोन चार्ज करें. बल्कि इसे पूरी तरह से डिस्चार्ज ना होने दें. आइडियल चार्जिंग साइकल 20 से 30 प्रतिशत तक होती है. ऐसी कोई गाइडलाइन नहीं है कि बैटरी पूरी तरह से डिस्चार्ज होने से पहले आप फोन चार्ज नहीं कर सकते.

8.  स्मार्टफोन से कैंसर होता है

WHO (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन) ने ये गाइडलाइन कंपनियों के लिए जरूर जारी की है कि सभी कंपनियां अपने फोन्स के रेडिएशन की जांच करें और उससे सेहत पर होने वाले असर को जांचें, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है कि स्मार्टफोन्स से कैंसर हो जाएगा. WHO ने भी इस बारे में स्टेटमेंट दिया है कि इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है अब तक जिससे ऐसा साबित हो कि स्मार्टफोन से कैंसर होता है.

9. ब्लूटूथ और वाई-फाई से स्मार्टफोन की बैटरी जल्दी खत्म होती है

ब्लूटूथ और वाई-फाई अगर ऑन रहते भी हैं तो वो तभी बैटरी का इस्तेमाल करेंगे जब आप उनसे जुड़ा कोई काम कर रहे हों, नहीं तो इनसे बैटरी पावर पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता है. ब्लूटूथ और वाई-फाई ओपन नेटवर्क में अपने आप कनेक्ट हो जाते हैं और कई बार ऑटो-एप डाउनलोड भी होता है इसी वजह से बैटरी जा सकती है.

10. ज्यादा फीचर्स मतलब अच्छा फोन

क्या आपके किसी दोस्त ने भी आपसे ये कहा है? फलां व्यक्ति के फोन में 2.5Ghz का प्रोसेसर है, इतने मेगापिक्सल कैमरा है, ऐसी स्क्रीन है, फोन में इतने सारे फीचर्स है और भी बहुत कुछ. मार्केट में हर साल कई फोन्स आते हैं. उनमें से कई के ऑन पेपर फीचर्स काफी अच्छे होते हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि वो हैंडसेट भी अच्छा ही हो. इसका सीधा उदाहरण गैलेक्सी नोट 7 है. फोन लेने से पहले ये ध्यान रखें कि आपकी जरूरत क्या है, कैमरा, स्क्रीन, पावर या फिर गेम्स उसी हिसाब से फोन खरीदें.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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