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पहली कार खरीदते समय लोग इन बातों को भूल जाते हैं...

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 16 सितम्बर, 2017 04:57 PM
  • 16 सितम्बर, 2017 04:57 PM
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कार खरीदने से पहले कुछ अहम चीजें हैं जिन्हें अधिकतर लोग डीलर की बातों में आकर नदरअंदाज कर देते हैं. इस चक्कर में ग्राहकों को नुकसान भी हो सकता है. इसलिए बेहतर है कि ये बातें जान लें...

कार खरीदना जिंदगी के उन हसीन लमहों में से एक होता है जो लोगों को जिंदगी भर याद रहते हैं. किसी अच्छे दिन कार बुक करवाना या किसी त्योहार के दिन उसे घर लेकर आना किसी भी मिडल क्लास इंसान के कई सपनों में से एक होता है. पहली कार खरीदते समय लोगों को जितनी खुशी होती है उतनी ही उम्मीद गलतियां करने की होती है. कार जैसी चीज इंसान बार-बार नहीं लेता और यही कारण है कि कई बार लोग ठग लिए जाते हैं.

कार के फीचर्स, उसकी डिजाइन, उसका माइलेज, इंजन पावर आदि चीजें तो हर कोई पता लगता है, लेकिन क्या आपको पता है कि कार खरीदने से पहले कुछ अहम चीजें हैं जिन्हें अधिकतर लोग डीलर की बातों में आकर नदरअंदाज कर देते हैं. कार खरीदने वालों को एक बात ध्यान रखनी चाहिए कि डीलर एक सेल्समैन है और उसे अपनी चीज बेचनी है. इसलिए इंटरनेट के जमाने में आंख बंद कर उसपर भरोसा न करें.

1. डिस्काउंट का खेल...

अक्सर त्योहारों के समय कुछ कारों के मॉडल पर भारी डिस्काउंट आता है. कारण ये है कि भारत में अधिकतर कारें त्योहारों के समय ही खरीदी जाती हैं (ये आंकड़ों के तौर पर नहीं निजी एक्सपीरियंस से बता रही हूं.) . कार में त्योहारों के समय का डिस्काउंट अलग बात है, लेकिन अगर कोई डीलर बिना किसी खास स्कीम के भी डिस्काउंट दे रहा है तो थोड़ा सचेत हो जाएं. खास तौर पर ये वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में होता है. उस समय डीलर्स पुरानी इंवेंट्री को बेचने के चक्कर में होता है. किसी भी नॉन सीजन कार डिस्काउंट की तहकीकात करना सही होगा.

इससे बचने के लिए गाड़ी का VIN (वेहिकल आइडेंटिफिकेशन नंबर) जरूर जांच लें. इससे ये पता चलता है कि कार किस साल में बनी है. ये अक्सर इंजन पर लिखा होता है. इसके अलावा, डीलर से 'फॉर्म 22' मांगे. इससे कार को लेकर छोटी से छोटी बात पता चलती है. ये फॉर्म आपके बहुत काम आ सकता...

कार खरीदना जिंदगी के उन हसीन लमहों में से एक होता है जो लोगों को जिंदगी भर याद रहते हैं. किसी अच्छे दिन कार बुक करवाना या किसी त्योहार के दिन उसे घर लेकर आना किसी भी मिडल क्लास इंसान के कई सपनों में से एक होता है. पहली कार खरीदते समय लोगों को जितनी खुशी होती है उतनी ही उम्मीद गलतियां करने की होती है. कार जैसी चीज इंसान बार-बार नहीं लेता और यही कारण है कि कई बार लोग ठग लिए जाते हैं.

कार के फीचर्स, उसकी डिजाइन, उसका माइलेज, इंजन पावर आदि चीजें तो हर कोई पता लगता है, लेकिन क्या आपको पता है कि कार खरीदने से पहले कुछ अहम चीजें हैं जिन्हें अधिकतर लोग डीलर की बातों में आकर नदरअंदाज कर देते हैं. कार खरीदने वालों को एक बात ध्यान रखनी चाहिए कि डीलर एक सेल्समैन है और उसे अपनी चीज बेचनी है. इसलिए इंटरनेट के जमाने में आंख बंद कर उसपर भरोसा न करें.

1. डिस्काउंट का खेल...

अक्सर त्योहारों के समय कुछ कारों के मॉडल पर भारी डिस्काउंट आता है. कारण ये है कि भारत में अधिकतर कारें त्योहारों के समय ही खरीदी जाती हैं (ये आंकड़ों के तौर पर नहीं निजी एक्सपीरियंस से बता रही हूं.) . कार में त्योहारों के समय का डिस्काउंट अलग बात है, लेकिन अगर कोई डीलर बिना किसी खास स्कीम के भी डिस्काउंट दे रहा है तो थोड़ा सचेत हो जाएं. खास तौर पर ये वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में होता है. उस समय डीलर्स पुरानी इंवेंट्री को बेचने के चक्कर में होता है. किसी भी नॉन सीजन कार डिस्काउंट की तहकीकात करना सही होगा.

इससे बचने के लिए गाड़ी का VIN (वेहिकल आइडेंटिफिकेशन नंबर) जरूर जांच लें. इससे ये पता चलता है कि कार किस साल में बनी है. ये अक्सर इंजन पर लिखा होता है. इसके अलावा, डीलर से 'फॉर्म 22' मांगे. इससे कार को लेकर छोटी से छोटी बात पता चलती है. ये फॉर्म आपके बहुत काम आ सकता है.

2. पेपर वर्क पर रखें ध्यान...

कार खरीदते समय दूसरी अहम बात होती है अपने सभी डॉक्युमेंट्स चेक कर लेना. कई बार ऐसा होता है कि लोग जल्दबाजी में कुछ भूल जाते हैं. जैसे कई कारों के साथ पूरी कार की इंश्योरेंस के साथ अलग-अलग पार्ट्स की वारंटी भी आति है जैसे टायर, स्टीरियो, बैटरी आदि. इनके वारंटी कार्ड्स ध्यान से रख लें.

इसके अलावा, VAT इन्वॉइस, रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट या फॉर्म 19, PC (पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल) सर्टिफिकेट, इंश्योरेंस सर्टिफिकेट, यूजर मैनुअल आदि सब सही हो.

3. एक्सेसरीज पर रखें ध्यान...

आम तौर पर कई एक्सेसरीज कार के साथ आती हैं, लेकिन इनमें से कितनी काम कर रही हैं और कितनी नहीं ये भी चेक करना जरूरी है. कार ड्राइव कर, ब्रेक लगाकर, स्टीयरिंग, इंजन आदि तो सब चेक कर लेते हैं, लेकिन यूएसबी पोर्ट, AX केबल और पोर्ट, सीडी ड्राइवर आदि चेक नहीं करते. सेंट्रल लॉक, पार्किंग सेंसर, कैमरा आदि खरीदते समय चेक करना जरूरी है. ये तो आप भी नहीं चाहेंगे कि कार घर लाने के कुछ दिन के अंदर ही वापस उसे शोरूम पर ले जाना पड़े. इसलिए हड़बड़ी में गाड़ी न खरीदें.

4. इंजन ऑयल और कूलेंट...

अगर आप उन कुछ अच्छे ग्राहकों में से हैं जो सारी एक्सेसरीज, सारे कागज चेक कर लेते हैं तो इंजन ऑयल और कूलेंट भी चेक कर लें. अपने डीलर से इन दोनों का लेवल पता करना न भूलें. अगर ये कम ज्यादा हुआ तो कार के इंजन को नुकसान पहुंच सकता है और कुछ महीनों बाद इंजन में कुछ गड़बड़ी आ सकती है. कार ज्यादा गर्म होने, न होने, इंजन स्टार्ट होने में देर लगने और इसी तरह की छोटी-छोटी समस्याएं कार कूलेंट और इंजन ऑयल के कारण आ सकती हैं. इसलिए बिना किसी संकोच के कार के बारे में ये सब जानकारी ले लें.

5. छुपे हुए खर्च....

अपनी कार के बिल को अच्छे से जांच लें. ये जरूरी इसलिए है क्योंकि कई बार डीलर्स आपको एक्स्ट्रा चार्ज कर देते हैं. उदाहरण के तौर पर अगर कोई कार डीलर कहे कि वो 3-4 हजार में आपको ज्यादा एक्सेसरीज देगा तो खुशी के मारे हां मत करिए. सबसे पहले पूछ लीजिए कि क्या क्या मिलेगा. ये खास तौर पर त्योहारों के सीजन में ध्यान रखिए. लोग जल्दबाजी में शुभ मुहूर्त में गाड़ी घर लाने के कारण ज्यादा पूछताछ नहीं करते और यही कारण होता है कि कार के साथ 3-4 हजार का एक्स्ट्रा खर्च करने में उन्हें कोई समस्या नहीं होती. बाद में समझ में आता है कि जिस एक्सेसरी के उन्होंने पैसे दिए हैं वो बेहद कम दाम में मिल सकती थी.

इसके अलावा, कार लेने से पहले एक बार RTO की वेबसाइट पर टैक्स कैलकुलेशन के बारे में जरूर जानकारी ले लीजिएगा. इससे अधिक टैक्स चुकाने से बच सकते हैं.

6. सेफ्टी फीचर...

जरा सोचिए कि आपको कार खरीदनी है और न्यूजपेपर में आपके पंसद का कोई मॉडल कम दाम में आ रहा है. शोरूम पर जाने पर सब कुछ देखा जाता है. सारी फॉर्मेलिटी पूरी की जाती है फिर आपकी नजर उसी कार के एक दूसरे मॉडल पर पड़ती है. उसकी कीमत कुछ ज्यादा है. डीलर आपको बताता है कि ये नया मॉडल है कंपनी ने थोड़ा बदलाव कर कीमत काफी ज्यादा कर दी है. आप अच्छी डील मिलने के कारण खुश हो जाते हैं. कुछ दिन चलाते हैं फिर आपको पता चलता है कि आपने गलती कर दी. कारण? कारण ये है कि जो कार आपने ली है उसमें एक्सिडेंट आदि से सुरक्षा के लिए काफी कम फीचर्स हैं.

एक ऑटोमोबाइल इंजीनियर से बात करने पर हमे पता चला कि भारतीय कारों में दाम कम करने के कारण सबसे ज्यादा सेफ्टी फीचर्स को नजरअंदाज किया जाता है. NCAP की रिपोर्ट में भी ये बात सामने आई है कि भारत की कुछ चर्चित कारें बिलकुल भी किसी बड़े एक्सिडेंट को झेल नहीं पाएंगी. तो कार खरीदते समय ही ये ध्यान रखें कि आपकी कार को भारतीय रोड पर चलना है. ट्रैफिक और साइड कट की मार झेलते हुए, गड्ढों से बचते हुए. इसलिए सेफ्टी फीचर पर ध्यान रखें.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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