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iPhone के जाल से निकलने में मदद करेंगी ये 5 बातें

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 12 सितम्बर, 2018 08:44 PM
  • 12 सितम्बर, 2018 08:44 PM
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एप्पल फिर तीन नए आईफोन ला रहा है. इस फोन में कुछ ऐसा जादू है जाे इसके ग्राहक को हर साल अपनी जेब ढीली करने पर मजबूर करता है. पिछले चार साल में आईफोन खरीदने वालों की तादाद भारत में दोगुनी हुई है.

आज यानी बुधवार को रात करीब 10.30 बजे एपल तीन नए फोन iPhone Xs, iPhone Xs Plus और iPhone Xr लॉन्च करने वाला है. ये लॉन्चिंग भारत में नहीं, बल्कि अमेरिका में हो रही है. लेकिन इसको लेकर भारत में बेचैनी कोई कम नहीं है. फोन लॉन्च होगा अमेरिका में और भारत में आने से पहले उसकी कालाबाजारी शुरू हो जाएगी. मार्केट में लांच होने से पहले आईफोन अपने हाथों में लेने के लिए लोग दो-दो लाख रुपए तक देने के लिए तैयार हो जाते हैं.

आईफोन जितना महंगा है, उतना ही बड़ा इसका स्‍टेटस है. ब्‍लैक में इसे खरीदने वाले शान भी बघारते हैं. 1 लाख से भी कम के फोन के लिए 2 लाख रुपए खर्च कर दिए हैं. आईफोन के ग्राहकों को एपल यह भरोसा दिलाने में कामयाब रहा है कि यह सिर्फ एक मोबाइल नहीं, बल्कि एक स्टेटस सिंबल है. अमेरिका जैसे देश में हजार डॉलर का आईफोन शायद उतना महंगा न लगे, लेकिन भारत में इसे हर साल खरीदने वालों के लिए तो यह ट्रैप ही है. खासतौर पर मध्‍यम वर्ग के लोगों के लिए. आईफोन और एपल से जुड़ी ये 5 बातें पढ़ि‍ए, यदि आईफोन के मोहपाश ने आपको भी जकड़ा है तो वह टूट जाएगा.

एपल तीन नए फोन iPhone Xs, iPhone Xs Plus और iPhone Xr लॉन्च करने वाला है.

1- iPhone की लागत और कीमत में जमीन-आसमान का फर्क

अगर आईफोन x का उदाहरण लेते हुए समझा जाए तो ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार आईफोन x के 64 जीबी वाले वैरिएंट को बनाने में एप्पल को कुल 370.25 डॉलर खर्च करने पड़े. लेकिन जब ये फोन बाजार में आया तो इसकी कीमत 999 डॉलर थी. जी हां, आपने सही समझा. कंपनी आपसे एप्पल के नाम पर आपकी जेब से फोन की करीब ढाई गुना कीमत...

आज यानी बुधवार को रात करीब 10.30 बजे एपल तीन नए फोन iPhone Xs, iPhone Xs Plus और iPhone Xr लॉन्च करने वाला है. ये लॉन्चिंग भारत में नहीं, बल्कि अमेरिका में हो रही है. लेकिन इसको लेकर भारत में बेचैनी कोई कम नहीं है. फोन लॉन्च होगा अमेरिका में और भारत में आने से पहले उसकी कालाबाजारी शुरू हो जाएगी. मार्केट में लांच होने से पहले आईफोन अपने हाथों में लेने के लिए लोग दो-दो लाख रुपए तक देने के लिए तैयार हो जाते हैं.

आईफोन जितना महंगा है, उतना ही बड़ा इसका स्‍टेटस है. ब्‍लैक में इसे खरीदने वाले शान भी बघारते हैं. 1 लाख से भी कम के फोन के लिए 2 लाख रुपए खर्च कर दिए हैं. आईफोन के ग्राहकों को एपल यह भरोसा दिलाने में कामयाब रहा है कि यह सिर्फ एक मोबाइल नहीं, बल्कि एक स्टेटस सिंबल है. अमेरिका जैसे देश में हजार डॉलर का आईफोन शायद उतना महंगा न लगे, लेकिन भारत में इसे हर साल खरीदने वालों के लिए तो यह ट्रैप ही है. खासतौर पर मध्‍यम वर्ग के लोगों के लिए. आईफोन और एपल से जुड़ी ये 5 बातें पढ़ि‍ए, यदि आईफोन के मोहपाश ने आपको भी जकड़ा है तो वह टूट जाएगा.

एपल तीन नए फोन iPhone Xs, iPhone Xs Plus और iPhone Xr लॉन्च करने वाला है.

1- iPhone की लागत और कीमत में जमीन-आसमान का फर्क

अगर आईफोन x का उदाहरण लेते हुए समझा जाए तो ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार आईफोन x के 64 जीबी वाले वैरिएंट को बनाने में एप्पल को कुल 370.25 डॉलर खर्च करने पड़े. लेकिन जब ये फोन बाजार में आया तो इसकी कीमत 999 डॉलर थी. जी हां, आपने सही समझा. कंपनी आपसे एप्पल के नाम पर आपकी जेब से फोन की करीब ढाई गुना कीमत वसूल करती है और आप खुशी-खुशी ये पैसे दे भी देते हैं.

2- iPhone महंगा ही बेचा जाता है भारत में

आईफोन की ये कीमत तो अमेरिका में लॉन्चिंग की थी. भारत में तो इसकी कीमत और भी अधिक होती है. अगर 999 डॉलर के हिसाब से भारतीय रुपए में इस फोन की कीमत देखी जाए तो करीब 70 हजार रुपए आती है. लेकिन आपको ये फोन भारत में और भी अधिक महंगा मिलता है. यानी भारत के साथ कंपनी दोयम दर्जे का व्यवहार करती है. भारत में आईफोन x के 64 जीबी वैरिएंट की कीमत 95,390 रुपए है. यानी करीब 26,000 रुपए (370.25 डॉलर) में बने फोन के लिए आप करीब साढ़े तीन गुना या यूं कहें कि 1 लाख रुपए खर्च कर रहे हैं. भारत में बने अगर किसी प्रोडक्ट पर कंपनी इतना बड़ा मार्जिन ले तो अगले ही दिन उस कंपनी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो सकते हैं, लेकिन एप्पल का ठप्पा लगा फोन भारत में आते ही बहुत से लोग बैंड बाजा तक लेकर उसे खरीदने पहुंच जाते हैं. कुछ तो ऐसे भी हैं, जिन्हें भारत में कीमत अधिक लगती है तो वो इसे खरीदने के लिए हांगकांग चले जाते हैं.

3- Android के मुकाबले ios यूजर्स के आंकड़े हकीकत बयां करते हैं

अगर बात की जाए अमेरिका की तो वहां आईफोन इस्तेमाल करने वालों की संख्या करीब 44 फीसदी है, वहीं अगर भारत की बात करें तो यहां महज 3.17 फीसदी लोग ही आईफोन इस्तेमाल करते हैं. अमेरिका में आईफोन की मांग अधिक है, क्योंकि वहां लोगों की पर्चेजिंग पावर भी भारत की तुलना में अधिक है. अब अगर बात करें एंड्रॉइड की तो भारत में करीब 82 फीसदी लोगों की पहली पसंद एंड्रॉइड है, जबकि अमेरिका में करीब 54 फीसदी लोग ही एंड्रॉइड इस्तेमाल करते हैं.

4- भारत में reseller के जरिए बिकता है iPhone

भारत में एप्पल कंपनी अपने आईफोन जिस चैनल के जरिए बेचती है, दरअसल वह एप्पल के शोरूम नहीं हैं. भारत में एप्पल के रीसेलर हैं, जो ये फोन बेचते हैं. यानी पहले ये रीसेलर एप्पल कंपनी से फोन खरीदते हैं और फिर आपको बेचते हैं, तो इसकी कीमत अधिक होना तो लाजमी है.

इसे आसानी से समझने के लिए सैमसंग के उदाहरण से समझ सकते हैं. जिसने हर छोटे-बड़े शहर में अपने एक्‍सक्‍लूसिव स्‍टोर्स खोले हैं. जहां से कंपनी अपने फोन और अन्‍य प्रोडक्‍ट सीधे बेचती है. यानी एक तरफ एप्‍पल है जो भारत से सीधा रिश्‍ता रखना ही नहीं चाहती. जबकि बाजार में मौजूद बाकी मोबाइल कंपनियां अपने स्‍टोर्स से लेकर सर्विस सेंटर तक खोलकर बैठी हैं.

5- भारत में प्लांट लगाने का लालच

एप्पल एक विदेशी कंपनी है, जो बेहद लोकप्रिय है. यही वजह है कि भारत में इसके फोन स्टेटस सिंबल बन गए हैं. आईफोन के लिए भारतीयों का लगाव देखकर कई बार एप्पल भारत सरकार से यहां पर प्लांट तक लगाने की बात कर चुका है, लेकिन अभी तक कोई भी प्लांट भारत में नहीं लगा है. जबकि चीन के Zhengzhou प्रांत में Foxconn का प्लांट है, जो दुनिया की सबसे बड़ी आईफोन बनाने वाली कंपनी है. एप्पल अभी तक भारत में अपना शोरूम तक तो खोल नहीं पाया है, आईफोन रीसेलर बेचते हैं, तो प्लांट कब तक लगेगा, इसका तो अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता.

अब एप्पल के तीन नए फोन आ रहे हैं. जिस तरह आईफोन x के नाम पर कंपनी ने लोगों को लूटा, ढाई से साढ़े तीन गुना तक फायदा कमाया, वही काम ये 3 फोन भी करेंगे. अमेरिका में पैसे लुटाने वालों की लाइन लगेगी और भारत में लोग बैंड-बाजा और ढोल-नगाड़े लेकर पैसे फूंकने दुकानों पर पहुंचेंगे और लाख रुपए का आईफोन लेकर आएंगे. खैर, अगर आप आईफोन के इस जाल को समझ गए हैं और बाहर निकलना चाहते हैं तो अभी फैसला कीजिए, क्योंकि कल कभी नहीं आता.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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