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डॉक्टर का शर्माना बनी एक महान आविष्कार की वजह!

    • आईचौक
    • Updated: 17 फरवरी, 2016 03:28 PM
  • 17 फरवरी, 2016 03:28 PM
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आप शायद यकीन न कर पाएं लेकिन ये सच है कि एक डॉक्टर की झिझक मेडिकल साइंस के सबसे बड़े आविष्कारों में सेे एक स्टेथोस्कोप के आविष्कार की वजह बन गई. जानिए कौन थे ये डॉक्टर.

अक्सर कहा जाता है शर्म और झिझक के कारण आप जिंदगी की रेस में पीछे रह जाते हैं. लेकिन शायद आपको ये बात हैरान करेगी कि एक डॉक्टर की शर्म और झिझक एक महान आविष्कार की वजह बन गई. जी हां आप सभी ने डॉक्टर के हाथ में मरीजों की जांच के लिए स्टेथोस्कोप जरूर देखा होगा.

इस आविष्कार को मेडिकल साइंस के सबसे बड़े आविष्कारों में से एक माना जा सकता है. इस विशेष यंत्र के आविष्कार का श्रेय फ्रेंच वैज्ञानिक रेने थियोफाइल हाएसेनिक लीनेक को जाता है. लेकिन स्टेथोस्कोप के आविष्कार के पीछे एक मजेदार कहानी है.

फ्रेंच वैज्ञानिक लीनेक ने किया था आविष्कारः

रेने लीनेक का जन्म 1781 में फ्रांस में हुआ था. उन्होंने मेडिसिन की पढ़ाई अपने फिजिशन अंकल की देखरेख में नैंट्स में की. लेकिन फिर उन्हें फ्रांसीसी क्रांति में मेकिल कैडेट के तौर पर भाग लेने के लिए बुलाया गया. 1801 में उन्होंने अपनी पढ़ाई फिर से शुरू की और 1815 में फ्रेंच राजशाही के स्थापित होने के बाद नेककर नामक हॉस्पिटल में काम करना शुरू कर दिया.

पेरिस के एक अस्पताल में दुनिया के संभवतः सबसे पहले स्टेथेकोप से मरीज का परीक्षण करते रेने लीनेक

लीनेक ने कैसे किया स्टेस्थेकोप का आविष्कारः

लीनेक ने स्टेथोस्कोप का आविष्कार 1816 में किया था औक इसकी वजह बनी उनकी शर्म और झिझक. दरअसल स्टेथोस्कोप के आविष्कार से पहले डॉक्टर किसी मरीज की जांच के लिए उसके सीने के पास कान लगाकर उसकी धड़कनें सुनते थे. लीनेक जब हार्ट की किसी समस्या से जूझ रही महिला की जांच कर रहे थे तो उन्हें थोड़ा झिझक महसूस हुई.

लीनेक ने इस स्थिति से बचने के लिए कागज को...

अक्सर कहा जाता है शर्म और झिझक के कारण आप जिंदगी की रेस में पीछे रह जाते हैं. लेकिन शायद आपको ये बात हैरान करेगी कि एक डॉक्टर की शर्म और झिझक एक महान आविष्कार की वजह बन गई. जी हां आप सभी ने डॉक्टर के हाथ में मरीजों की जांच के लिए स्टेथोस्कोप जरूर देखा होगा.

इस आविष्कार को मेडिकल साइंस के सबसे बड़े आविष्कारों में से एक माना जा सकता है. इस विशेष यंत्र के आविष्कार का श्रेय फ्रेंच वैज्ञानिक रेने थियोफाइल हाएसेनिक लीनेक को जाता है. लेकिन स्टेथोस्कोप के आविष्कार के पीछे एक मजेदार कहानी है.

फ्रेंच वैज्ञानिक लीनेक ने किया था आविष्कारः

रेने लीनेक का जन्म 1781 में फ्रांस में हुआ था. उन्होंने मेडिसिन की पढ़ाई अपने फिजिशन अंकल की देखरेख में नैंट्स में की. लेकिन फिर उन्हें फ्रांसीसी क्रांति में मेकिल कैडेट के तौर पर भाग लेने के लिए बुलाया गया. 1801 में उन्होंने अपनी पढ़ाई फिर से शुरू की और 1815 में फ्रेंच राजशाही के स्थापित होने के बाद नेककर नामक हॉस्पिटल में काम करना शुरू कर दिया.

पेरिस के एक अस्पताल में दुनिया के संभवतः सबसे पहले स्टेथेकोप से मरीज का परीक्षण करते रेने लीनेक

लीनेक ने कैसे किया स्टेस्थेकोप का आविष्कारः

लीनेक ने स्टेथोस्कोप का आविष्कार 1816 में किया था औक इसकी वजह बनी उनकी शर्म और झिझक. दरअसल स्टेथोस्कोप के आविष्कार से पहले डॉक्टर किसी मरीज की जांच के लिए उसके सीने के पास कान लगाकर उसकी धड़कनें सुनते थे. लीनेक जब हार्ट की किसी समस्या से जूझ रही महिला की जांच कर रहे थे तो उन्हें थोड़ा झिझक महसूस हुई.

लीनेक ने इस स्थिति से बचने के लिए कागज को मोड़कर उससे ट्यूब जैसी सरंचना बनाई. ट्यूब के एक सिरे को महिला के चेस्ट पर दबाया और दूसरे सिरे को अपने कान के पास लगाकर उसकी हार्ट बीट सुन ली. कहा जाता है कि लीनेक को ऐसा करने की प्रेरणा इसलिए मिली क्योंकि वह बांसुरी भी बजाया करते थे.

तो लीनेक की यह झिझक स्टेथोकोप के आविष्कार की वजह बन गई.

अपने इस प्रयोग से उत्साहित लीनेक ने बाद में लकड़ी के कई खोखले मॉडल बनाए जिसके एक सिरे पर माइक्रोफोन लगा था और दूसरे सिरे पर ईयरपीस और उन्होंने इसे नाम दिया स्टेथोस्कोप. स्टेथोस्कोप नाम देने की भी वजह है. दरअसल स्टेथोस्कोप ग्रीक भाषा के शब्द stethos (यानि की चेस्ट) और scopos (परीक्षण) से मिलकर बना है. यानि चेस्ट के परीक्षण को स्टेथोस्कोप कहा जाता है.

गूगल ने रेने लीनेक के 235वें जन्मदिन पर एक डूडल बनाकर उन्हें याद किया

लीनेक का यह आविष्कार फ्रांस से निकलकर धीरे-धीरे यूरोप और फिर अमेरिका तक फैल गया. 1826 में ट्यूबरक्‍यूलोसिस के कारण लीनेक की महज 45 वर्ष की उम्र में मौत हो गई. लेकिन उन्हें अपने इस महत्वपूर्ण आविष्कार के महत्व का अंदाजा अच्छी तरह से था इसलिए उन्होंने इसे अपने जीवन की सबसे बड़ी विरासत कहा था.

गूगल ने बनाया लीनेक पर डूडलः

स्टेथोस्कोप के आविष्कारक लीनेक का जन्‍म 17 फरवरी 1781 को फ्रांस में हुआ था. लीनेक को उनके 235वें जन्मदिन पर श्रद्धांजलि देने के लिए बुधवार को गूगल ने लीनेक पर एक डूडल बनाया है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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